Khuri Chhoti
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Khuri Chhoti (खुड़ी छोटी) is is a village in Laxmangarh tahsil, Sikar district in Rajasthan.
Location
It is on west of NH-11 between Sikar-Laxmangarh and Khuri Bari is on east.
Jat Gotras
History
रणमल सिंह[1] लिखते हैं कि सन् 1934 के प्रजापत महायज्ञ के एक वर्ष पश्चात सन् 1935 (संवत 1991) में खुड़ी छोटी में फगेडिया परिवार की सात वर्ष की मुन्नी देवी का विवाह ग्राम जसरासर के ढाका परिवार के 8 वर्षीय जीवनराम के साथ धुलण्डी संवत 1991 का तय हुआ, ढाका परिवार घोड़े पर तोरण मारना चाहता था, परंतु राजपूतों ने मना कर दिया। इस पर जाट-राजपूत आपस में तन गए। दोनों जातियों के लोग एकत्र होने लगे। विवाह आगे सरक गया। कैप्टन वेब जो सीकर ठिकाने के सीनियर अफसर थे , ने कटराथल गाँव के चौधरी गोरूसिंह गढ़वाल जो उस समय जाट पंचायत के मंत्री थे, को बुलाकर कहा कि जाटों को समझा दो कि वे जिद न करें। चौधरी गोरूसिंह की बात जाटों ने नहीं मानी, पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया। इस संघर्ष में दो जाने शहीद हो गए – चौधरी रत्नाराम बाजिया ग्राम फकीरपुरा एवं चौधरी शिम्भूराम भूकर ग्राम गोठड़ा भूकरान । हमारे गाँव के चौधरी मूनाराम का एक हाथ टूट गया और हमारे परिवार के मेरे ताऊजी चौधरी किसनारम डोरवाल के पीठ व पैरों पर बत्तीस लठियों की चोट के निशान थे। चौधरी गोरूसिंह गढ़वाल के भी पैरों में खूब चोटें आई, पर वे बच गए।
थालोड़ गोत्र का इतिहास
थालोड़ गोत्र के रेकोर्ड उनके बडवा गोपालराव (मोबा - 09828173479) गाँव श्रीनगर, तहसील राजगढ़, जिला अलवर द्वारा रखे जाते हैं. इनके अनुसार थालोड़ गोत्र की उत्पति चौहान वंश में आबू पर्वत से मानी गयी है. इनके पहिचान चिन्ह हैं - सफ़ेद झंडा, नगारा बेरीसाल, वृक्ष चंपा, निशान घोडा सफ़ेद.
बडवा गोपालराव के बही अनुसार चौधरी बाबलजी धमाणा से आये और चैत बदी दूज संवत 1221 (1164 AD) में लोसल-खेड़ा गाँव बसाया. पक्का कुआ करवाया. कुआं चिनते समय तीन आदमी दब गये. थालोड़ लोग खुवान माता को मानते है. बाबल को खुवान माता का दर्शाव हुआ. बाबल ने तीनों लोगों को जिन्दा निकाल दिया. तब से थालोड़ खुवान माता की पूजा करते हैं. खुवान माता ने प्रण करवाया कि कोई भी थालोड़ जाया कुए पर जूती नहीं ले जायेगा, शिकार नहीं करेगा, मांस नहीं खायेगा, सफ़ेद बकरी नहीं बेचेगा, न सफ़ेद बकरी का दूध खायेगा, न इसके दूध का बिलोवणा करेगा, हरा मुरायला नहीं काटेगा. यदि ये काम कोई करेगा तो उसका वंश नहीं चलेगा.
इनके कुल देवता शकल जी उर्फ़ सावल जी हैं. शकलजी का जन्म थालोड़ गोत्र में गाँव खुडी में पिता तहराजजी के घर चैत बदी 5 संवत 1652 (1595 AD) को हुआ. इनकी माताजी का नाम राजादेवी था और वे गाँव भोजासर के कानजी ढाका की पुत्री थी. राजादेवी के दो भाई थे - कोलाजी और दूदाजी.
शकलजी ने गायों को बचाने के लिए प्राण दिए. मुसलमान गायों को चुरा कर ले जा रहे थे. शकल जी ने चोरों का पीछा किया और छुड़ा कर सिधराणा जोड़ा में गायें ले आये. गायों को छुड़ाने में संघर्ष हुआ और उन्होंने 5 लोगों का क़त्ल किया. वे में लड़ाई में जुझार हुए. सिधराणा जोड़ा में शकलजी की देवली जेठ सुदी 11 संवत 1671 में चिनवाई. इनकी याद में बैसाख माह की चानणी 11 को मेला लगता है. पशुओं को रोग होने पर शकलजी की तांती बांधी जाती है. मस्से होने पर भुवारी चढ़ाई जाती है. यह मान्यता है की 2-3 दिन में मस्से ठीक हो जाते हैं.
सिधराणा जोड़ा खुडी से पहले सांवलोदा बस-स्टैंड से पूर्व में तथा राष्ट्रीय राजमार्ग-11 से आधा किमी पूर्व में स्थित है. वर्त्तमान में थालोड़ गोत्र के लोगों द्वारा शकलजी का एक सुन्दर मंदिर बनाया जा रहा है. शकलजी का एक मंदिर फतेहपुर से 8 किमी दूरी पर रतनगढ़ जाने वाली सड़क पर गाँव गोविन्दपुरा में बना है. यह मंदिर गाँव के श्री रिछपाल थालोड़ द्वारा बनाया गया है.
Population
As per Census-2011 statistics, Khuri Chhoti village has the total population of 1767 (of which 906 are males while 861 are females).[2]
Notable persons
- Suman (Thalor) - RTS, Date of Birth : 15-July-1982, Mob: 9460835521
External links
References
- ↑ रणमल सिंह के जीवन पर प्रकाशित पुस्तक - 'शताब्दी पुरुष - रणबंका रणमल सिंह' द्वितीय संस्करण 2015, ISBN 978-81-89681-74-0 पृष्ठ 113
- ↑ http://www.census2011.co.in/data/village/81460-khuri-chhoti-rajasthan.html
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