Kumari

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Kumari (कुमारी) is name of a river mentioned in Mahabharata.

Origin

Variants

History

See Kanyakumari

See Kanwari

कुमारी (नदी)

विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ...1.कन्या कुमारी (AS, p.203)

2. कुमारी (नदी) (AS, p.203) : महाभारत भीष्म पर्व 9,36 में उल्लिखित नदी--'कुमारीम् ऋषिकुल्यां च मारिषां च सरस्वतीम्'. निश्चय ही इसी नदी का उल्लेख विष्णु पुराण 2,3,13 में है जहां इसे शुक्तिमान् पर्वत से उद्भूत माना है तथा इसका नाम महाभारत के उल्लेख के समान ही ऋषिकुल्या के साथ है-- 'ऋषिकुल्या कुमार्याद्या: [p.204]: शुक्तिमत्पादसंभवा': ऋषिकुल्या उड़ीसा की नदी है जो पूर्व विंध्य की पर्वत श्रेणियों से निकलकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है. कुमारी भी ऋषिकुल्या के निकट बहने वाली कोई नदी जान पड़ती है. संभव है यह उड़ीसा के उदयाचल या कुमारीगिरि से निकलने वाली कोई नदी है. श्री न.ला. डे के अनुसार यह वर्तमान कुमारी है जो जिला मनभूम में बहती है.

3. क्वारी (AS, p.204) नामक नदी जो मालवा के पठार में चंबल के निकट बहती हुई यमुना में गिरती है. यह विंध्याचल से निकलती है.

4. (AS, p.203) विष्णु पुराण के अनुसार शाकद्वीप की एक नदी--'सुकुमारी कुमारी च नलिनी धेनुका च या' विष्णु पुराण 2,4,65


कुमारी नामक एक नदी का उल्लेख पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है। यह बिहार की कौढ़री नदी है, जो राजगिर के समीप शुक्तमत पर्वतश्रेणी से निकलती है।[2]


कुमारी हिन्दू मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य महाभारत के उल्लेखानुसार एक केकय कन्या थी, जो कि भीमसेन (चन्द्र वंशी अनश्वान-पुत्र परिक्षित के पुत्र) की रानी थी। [3]


कुमारी हिन्दू मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य महाभारत के उल्लेखानुसार धनंजय की पत्नी का नाम था। [4]

सुकुमारी नदी

विजयेन्द्र कुमार माथुर[5] ने लेख किया है ...1. सुकुमारी (AS, p.971) : 'नद्यश्चात्र महापुण्याः, सर्वपापभयापहाः, सुकुमारी कुमारी च नलिनी धेनुका च या, इक्षुश्च वेणुका चैव गभस्ती सप्तमी तथा, अन्याश्च शतशस्तत्र क्षुद्रनद्यो महामुने'--विष्णु पुराण 2,4,65-66. इस उद्धरण से विदित होता है कि सुकुमारी शाकद्वीप की सप्त महानदियों में से है. [दे. सुकुमार (2)]

2. सुकुमारी (AS, p.971) = कुमारी नदी (मत्स्या पुराण 113)

कुमारीगिरि

विजयेन्द्र कुमार माथुर[6] ने लेख किया है ...कुमारीगिरि (उड़ीसा) (AS, p.204) उदयगिरी का एक भाग जिसका उल्लेख खारवेल के प्रसिद्ध हथिगुंफा अभिलेख में है. खारवेल ने अपने शासन के 13वें वर्ष में इस स्थान पर, जो अर्हतों के निवासस्थान के निकट था, कुछ स्तंभों का निर्माण करवाया था. कुमारीगिरि भुवनेश्वर से 7 मील पश्चिम में है और जैनों का प्राचीन तीर्थ है. कहते हैं कि तीर्थंकर महावीर कुछ दिन यहाँ रहे थे. इसे कुमारीपर्वत भी कहते हैं. कुमारी नदी संभवत: इसी पर्वत से उद्भूत होती है.

In Mahabharata

Kumari (कुमारी) (River) in Mahabharata (VI.10.34),

Kumari (कुमारी) (Tirtha)in Mahabharata (III.86.11),

Bhisma Parva, Mahabharata/Book VI Chapter 10 describes geography and provinces of Bharatavarsha. Kumari (कुमारी) (River) is mentioned in Mahabharata (VI.10.34).[7]....and Lohitya, Karatoya, and Vrishasabhya; and Kumari, and Rishikullya ....


Vana Parva, Mahabharata/Book III Chapter 86 mentions the sacred tirthas of the south. Kumari (कुमारी) (Tirtha) is mentioned in Mahabharata (III.86.11).[8]....And, O bull among men, there, amongst the Pandavas, is the tirtha called the Kumari (कुमारी) . And, O bull among men, there, amongst the Pandavas, is the tirtha called the Kumari (कुमारी). Listen, O son of Kunti, I shall now describe Tamraparni (ताम्रपर्णी) . In that asylum the gods had undergone penances impelled by the desire of obtaining salvation.

External links

References

  1. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.203-204
  2. भारतकोश-कुमारी (नदी)
  3. भारतकोश-कुमारी
  4. भारतकोश-कुमारी (धनंजय पत्नी)
  5. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.971
  6. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.204
  7. लॊहित्यां करतॊयां च तदैव वृषभङ्गिनीम, कुमारीम ऋषिकुल्यां च बरह्म कुल्यां च भारत (VI.10.34)
  8. कुमार्यः कथिताः पुण्याः पाण्ड्येष्व एव नरर्षभ, ताम्रपर्णीं तु कौन्तेय कीर्तयिष्यामि तां शृणु (III.86.11)

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