Man Singh Dhatarwal

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Author:Laxman Burdak, IFS (R), Jaipur

Man Singh Dhatarwal (born:1881) (मानसिंह जी), from Bangothri Kalan, Jhunjhunu, was a Freedom fighter who took part in Shekhawati farmers movement in Rajasthan. [1]

जीवन परिचय

जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....मानसिंह जी - [पृ.396]: बनगोठडी (शेखावाटी) के चौधरी दिल सुखरामजी छतरपाल1 के घर संवत 1938 (1881 ई.) में आपका जन्म हुआ था। संवत 1960 में जबकि आयु लगभग 22 साल की थी आपको आर्य समाज का रंग लगा। उन दिनों जींद राज्य के झोझु ग्राम निवासी महाशय वीरदान जी इधर प्रचार के लिए आया करते थे। उन्हीं के सत्संग से आपके ख्यालात अग्रगामी हुए। सांगासी के महारथी चौधरी भूधाराम और चिमनाराम जी के साथ मिलकर आपने अपने प्रांत के जाट भाइयों को जगाना और उनमें आर्य समाज के खयालात पैदा करना आरंभ किया।

आपने अपने अथक परिश्रम से बगड़ में जाट पंचायत का आयोजन किया जिससे आसपास के लोगों में चेतना पैदा हुई।


नोट 1. यह गोत्र सही नहीं है। सही गोत्र धतरवाल जिसकी पुष्टि राजेंद्र कसवा से की गई है।


[पृ. 397]: सन् 1931 से आपने देवरोड के पन्ने सिंह के साथ मिलकर जाट उत्थान का कार्य आरंभ कर दिया और झुंझुनू महोत्सव को सफल बनाने में पूरी ताकत लगा दी। उत्सव के बाद जब झुंझुनू जाट बोर्डिंग की स्थापना हुई तो उस के उन्नत बनाने के लिए आपने भरपूर प्रयत्न किया।

सन् 1938 से आप प्रजामंडल में काम करते हैं। ग्राम समूह कमेटी के प्रेसिडेंट भी रहे हैं। आप एक निस्वार्थ कौम परसथ और अतिथि सेवा व्यक्ति हैं। और दत्त-चित्त होकर सार्वजनिक सेवा करते हैं।

आपके छोटे भाई का नाम चौधरी भानीराम जी है जिनके 3 लड़कों में थे रीछपाल सिंह और जयमल सिंह जी फ़ौज में और मल्ली नारायण जी घरेलू धंधों में संलग्न लगे रहते हैं।

चौधरी मानसिंह जी के खुद के एक ही लड़का है, हरिराम सिंह जी जो फौज में ऊंचे ओहदे पर हैं। चौधरी मान सिंह जी सत्याग्रह में जेल भी हो आए हैं।

किसान सभा का अनुमादन

मान सिंह बनगोठडी - 15 जून 1946 को झुंझुनू में किसान कार्यकर्ताओं की एक बैठक चौधरी घासी राम ने बुलाई. शेखावाटी के प्रमुख कार्यकर्ताओं ने इसमें भाग लिया. अध्यक्षता विद्याधर कुलहरी ने की. इसमें यह उभर कर आया कि भविष्य में समाजवादी विचारधारा को अपनाया जाये. जिन व्यक्तियों ने किसान सभा का अनुमादन किया उनमें आप भी सम्मिलित थे. (राजेन्द्र कसवा, p. 201-03).

References

  1. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.396-397
  2. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.396-397

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