Master Narain Singh Kataria

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Late Ch. Narain Singh Kataria

Master Narain Singh Kataria (b: 1-1-1935, d: 22-6-2017) was ex-Member of Parliament (MP) from Hissar, ex-MLA from Julana, ex-Chairman of Haryana State Education Board.

He served as Member of Parliament from 1991 to 1995. Prior to that, he held many chair positions such as MLA from Julana (Jind), Chairman of Haryana State Education Board, Chairman of Jat education Society etc.

Master Narain Singh basically belonged to village Sindhvi Khera (5 miles from Jind) and resided at Jind. He came from an established landlord family of Sindhvi Khera and was known to be close to Maharaja (King) of Jind. He started his career with Jat Education Society of which he was the chairman for a long time. He was also appointed Chairman of State Haryana Education Board. Later, he successfully contested election for MLA from Julana seat and then made his way to Lok Sabha, the apex House (Parliament) of India in New Delhi. He visited many countries, leading diplomatic delegations.

Legacy

His younger brother Master Ameer Singh Kataria also contested and succeeded him as Chairman of Jat Education Society. His youngest son, Rajesh Kataria, was Advocate General of Haryana State. His grandsons make his family full of known scientists, engineers and high rank professionals in MNCs. उनके पुत्र स्व. सुरेंद्र, वेटरनरी सर्जन विरेंद्र सिंह, बिजनेसमैन नरेंद्र, एडवोकेट राजेश और बेटी सुनीता का भरा-पूरा परिवार है।

Demise

Master Narain Singh Kataria breathed his last on 22 June 2017 at Medanta Hospital, Gurugram, Haryana.

Obituary

जिले में शिक्षा की अलख जगाने वाले पूर्व सांसद मा. नारायण सिंह ने सांसारिक दुनिया को अलविदा कह दिया। पांच दशक पहले शहर में कोई बड़ा शिक्षण संस्थान नहीं था, तब मा. नारायण सिंह ने जाट शिक्षण संस्थान को नई ऊंचाई तक पहुंचाया। शिक्षा के प्रति उनका इतना गहरा लगाव था कि प्रदेश की पहली विधानसभा का सदस्य रहने के बाद दोबारा जाट स्कूल में हेडमास्टर बने और उसे प्राइमरी स्कूल से प्रमोट कर पहले हाई स्कूल और फिर सीनियर सेकेंडरी का दर्जा दिलाया। जाट कॉलेज और आइ.टी.आइ. बनवाने में भी उनकी अहम भूमिका रही। हमेशा साधारण से दिखने वाले मा. नारायण ने चौ. दल सिंह और जयप्रकाश उर्फ जे.पी. जैसे बड़े नेताओं को सियासी मैदान में धूल चटाई थी।

सिंधवी खेड़ा गांव में 1935 में जन्मे मा. नारायण सिंह ने बी.ए. और बी.एड. की पढ़ाई की। तब बहुत कम लोग इतना पढ़ पाते थे। वे पहले जाट स्कूल में टीचर बने और फिर प्राइमरी के हेड टीचर। पंजाब से अलग हरियाणा बनने के बाद 1968 में हुए प्रदेश की पहली विधानसभा के चुनाव में स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोंकी और उस समय के बड़े राजनेता चौ. दल सिंह को हराया। हालांकि चौ. दल सिंह हार के खिलाफ कोर्ट चले गए थे और फैसला उनके पक्ष में रहा। 1970 में दोबारा उपचुनाव हुए, जिसमें चौ. दल सिंह जीत गए। मा. नारायण सिंह ने विधायकी छोड़ने के बाद दोबारा शिक्षा की राह पकड़ी और जाट स्कूल के हेडमास्टर बने। वर्ष 1971 में जाट स्कूल को सीनियर सेकेंडरी तक अपग्रेड कराया और पहले प्रिंसिपल रहे। उनके अथक प्रयासों से जाट डिग्री कॉलेज बना। इसके बाद वे दो बार लगातार जाट शिक्षण संस्था के प्रधान रहे और एक बार एकतरफा चुनाव में जीत हासिल की। जाट संस्था को आगे बढ़ाने में उन्होंने दिन-रात एक कर दिया था। कॉलेज की बिल्डिंग के लिए चंदा जुटाने के लिए लोगों को संस्था से जोड़ा और बड़े दानियों को बुलाया। दूरदर्शी विचारों के मा. नारायण सिंह ने युवाओं को तकनीकी ज्ञान दिलाने के लिए जाट आइ.टी.आइ. खुलवाई। आज जाट शिक्षण संस्थाओं में हजारों युवा शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

83 वर्षीय मा. नारायण सिंह ने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में सोमवार को अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर मिली तो उनके घर शोक जताने वालों की भीड़ लग गई। मंगलवार शाम करीब चार बजे उनका अंतिम संस्कार किया गया।

गांव के दो बार निर्विरोध सरपंच रहे

मा. नारायण सिंह लगातार दो बार सिंधवी खेड़ा गांव के निर्विरोध सरपंच रहे। गांव के सबसे ज्यादा शिक्षित लोगों में रहे मा. नारायण सिंह जात-पात से दूर रहे। इसका प्रमाण यही है कि उन्होंने अपने नाम के साथ कभी अपना उपनाम कटारिया नहीं लिखा। गांव में उनका बहुत ज्यादा रसूख था। दूसरी बार वे की गांव की सरपंची छोड़कर हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के वाइस चेयरमैन भी बने।

वर्ष 1991 में सांसद बनने के बाद उनके बड़े पुत्र सुरेंद्र का निधन हो गया था, जिससे काफी टूट गए थे। उनके पुत्र स्व. सुरेंद्र, वेटरनरी सर्जन विरेंद्र सिंह, बिजनेसमैन नरेंद्र, एडवोकेट राजेश और बेटी सुनीता का भरा-पूरा परिवार है। राधा स्वामी सत्संग से जुड़े रहे मा. नारायण सिंह दिनोद के परम संत हुजूर स्व. ताराचंद और परम संत कंवर सिंह के काफी नजदीकी रहे।

जे.पी. को हराकर देशभर में छाए

वर्ष 1989 से 1991 के दौर में ग्रीन ब्रिगेड के ब्रिगेडियर जयप्रकाश उर्फ जेपी की तूती बोलती थी। वह वी.पी सिंह. और चंद्रशेखर सरकार में केंद्रीय पेट्रोलियम एवं गैस राज्य मंत्री रहे। 1991 के लोकसभा चुनाव में हिसार संसदीय सीट से मा. नारायण सिंह ने कांग्रेस के टिकट लेकर चौ. देवीलाल की पार्टी के उम्मीदवार रहे जे.पी. को हराकर तहलका मचा दिया था। मा. नारायण सिंह के हाथ जेपी की हार की चर्चा देशभर में हुई। बीबीसी लंदन ने भी इसे अपनी प्रमुख खबरों में शामिल किया था। उनके भतीजे धर्मपाल कटारिया ने कहा कि मा. नारायण सिंह संत प्रवृत्ति के राजनेता और शिक्षाविद थे।

Posted By: Jagran :

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References


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