Miyani Sindh

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Miani (Hindi: मियानी, Urdu: میانی, Sindhi: مياڻي) is a village in Sindh, Pakistan, on the east side of river Indus. It was the site of the Battle of Miani, which British won and made Sindh a part of British India.

Variants

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History

The Battle of Miani (or Battle of Meeanee) was a battle between British East India company forces under Charles Napier and the Talpur Mirs of Sindh led by Mir Nasir Khan Talpur, of today's Pakistan. The Battle took place on 17 February 1843 at Miani, Sindh in what is now Pakistan. This battle eventually led to the capture of parts of Sindh region, first territorial possession by British East India company in what is the modern-day country of Pakistan. The war resulted in a decisive victory for British.[1]

मियानी, सिंध

मियानी (AS, p.746): सिंध, पाकिस्तान में हैदराबाद से 6 मील उत्तर की ओर स्थित है. इस स्थान पर 1843 ई. में कुटिल नीतिज्ञ जनरल नेपियर ने सिंध के अमीरों पर अकारण ही आक्रमण कर उन्हें परास्त किया और सिंध को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया. मियानी के युद्ध के पश्चात नेपियर ने गवर्नर जनरल को अपनी जीत की सूचना इन इतिहास प्रसिद्ध शब्दों में भेजी थी = Peccavi-I have Sinned (Sind). [1]

मियानी का युद्ध

मियानी का युद्ध 17 फ़रवरी, सन 1843 में लड़ा गया था। यह युद्ध पुर्तग़ाली और अंग्रेज़ी नौसेना में एडमिरल सर चार्ल्स नेपियर के नेतृत्व में क़रीब 2,800 अंग्रेज़ सैनिकों और सिंध के अमीरों के 20,000 से अधिक समर्थकों के बीच हुआ था। इतिहास प्रसिद्ध इस युद्ध में अंग्रेज़ों की जीत हुई। विजय के फलस्वरूप अंग्रेज़ों द्वारा सिंध के अधिकतर भाग पर क़ब्ज़ा कर लिया गया। प्रथम आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध (1839-1842 ई.) के दौरान अंग्रेज़ों के प्रति अमीर के रवैये के ख़िलाफ़ शिकायतें आई थीं। ब्रिटिश रेज़िडेंट को बंदोबस्त सौंपने के बजाय अंग्रेज़ों ने सितंबर, 1842 में नेपियर को पूर्ण नागरिक एवं सैन्य अधिकार दे दिए। नेपियर ने सिंध के अमीर पर एक नई कठोर संधि थोपी और रेगिस्तानी इमामगढ़ के क़िले पर क़ब्ज़ा करके उसे नेस्तनाबूद कर दिया। इसके बाद एक जनांदोलन खुले युद्ध में बदल गया। मियानी में अंग्रेज़ों की जीत हुई। अमीर की सेना बिखर गई और खैरपुर राज्य के अलावा सिंध प्रांत पर क़ब्ज़ा कर लिया गया। रेज़िडेंट सर जेम्स ऊट्रम ने इस कार्यवाही की आलोचना की और इस तरह जाने-माने विवाद की शुरुआत हुई। गवर्नर-जनरल लॉर्ड एलनबरो को वापस बुला लिया गया, लेकिन सिंध ब्रिटिश क़ब्ज़े में ही रहा।[2]

External links

References