Nandal

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For village named Nandal see Nandal Rohtak

Nandal (नांदल)[1][2][3] Nadal (नादल)/(नदल)[4][5] Nandar (नांदर)[6] Nadar (नादर) Nander (नांदर) Nadarya (नादर्य)[7] Bohariye (बोहरिये ) Nanda (नंदा) Naindal (नैनदल)[8][9] is a Jat clan, found in Haryana, Uttar Pradesh and Rajasthan, India and in Pakistan. They are of Middle Eastern descent, specifically Iranian, or Persian. Some Jats in UP write Nandar or Bohariye or {Bohare (Nadar)} instead of Nandal.


Mention by Panini

Nanda (नन्द) is mentioned by Panini in Ashtadhyayi. [10]

History

Ram Swarup Joon[11] writes about Nandal Tanwar: One person of the family of last Raja Anand Pal left Delhi after its conquest by the Mohammadans and settled at village Bohar (near Rohtak). His name was Nandan and his descendents were called Nandal Vanshi and later on their Gotra became Nandal.

दलीपसिंह अहलावत

दलीपसिंह अहलावत लिखते हैं - जाट्स दी ऐनशन्ट रूलर्ज पृ० 256 पर, बी० एस० दहिया ने लिखा है कि “यह कहना उचित है कि मौर्य शासन से पहले जो नन्द जाट थे वे आज नांदल/नांदेर जाट कहलाते हैं।” आगे वही लेखक पृ० 305 पर लिखते हैं कि “नांदल जाटों ने भारतवर्ष में जो साम्राज्य स्थापित किया वह नन्द मगध साम्राज्य कहलाया।”

नांदल गोत्र के जाटों का निवास आज भी भारतवर्ष में है।

इस गोत्र के जाटों के गांव निम्नलिखित हैं -

1. जिला रोहतक में गांव बोहर तथा इसी के निकट गढ़ी है जिसे बोहर गढ़ी कहते हैं। इस गोत्र के अन्य सभी गांवों का निकास इसी बोहर गांव से है।

2. जिला रोहतक में नन्दल गांव आधा 3. रिठाल गांव का एक ठौला 4. महराना गांव आधा, 5. जटवाड़ा में 50 घर 6. चीमनी में 50 घर हैं।

7. जिला सोनीपत में ज्यासीपुर गांव आधा, डाहर जिला करनाल में भी कुछ गांव हैं जैसे - 8. जाटिल 9. मंढाणा कलां 10. मंढाणा खुर्द आदि। जिला बुलन्दशहर तहसील खुर्जा (उ० प्र०) में इस गोत्र के 12 गांव पास-पास मिलकर बसे हुए हैं। जिनके नाम - भुन्ना, गोहनी, रकराना, शाहपुर, धमपुर, छिरोली, रामगढ़ी, नौरगा, हबीपुर, फिरोजपुर, भूतगढी, जलोखरी। यू० पी० में बोहर गांव से जाकर बसने के कारण वहां ये नांदल जाट, बोहरिये कहलाते हैं।

बोहर गांव का अति प्रसिद्ध नांदल जाट -

द्वितीय महायुद्ध के समय मैंने दिल्ली के लाल किले में एक बड़ा पत्थर रखा हुआ देखा था। उस पर यह लेख खुदा हुआ था कि “बोहर गांव में एक कुआं खोदते समय यह भारी पत्थर उस कुएँ से अकेले एक बोहर गांव के जाट ने बाहिर निकाला था।” उस पर उस जाट का नाम भी था परन्तु मुझे खेद है कि मैं उस पहलवान व्यक्ति का नाम भूल गया हूं।

अनुमान है कि उस पत्थर का वजन लगभग 10 मन था। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद वह पत्थर वहां से हटा दिया गया। मैंन हाल में ही लाल किले में जाकर उस पत्थर को खोजने का प्रयत्न किया किन्तु नहीं मिला। (लेखक)[12]

जाट रत्न पत्रिका

जाट रत्न पत्रिका से साभार: हर जाति , कबिले , वंश , गोत्र का उदगम स्थान होता है जैसे सभी क्षत्रिय (जाटों) का उदगम स्थान मध्य एशिया, फिर तिब्बत और फिर उत्तर भारत रहा है। दिल्ली अनेको बार उजड़ी और बसी व् मुस्लिम भी आये, मुग़ल भी आये , अँगरेज़ भी आये परन्तु दिल्ली सदा तोमरों की कहलाती रही है। इसी भूमि से यह गोत्र उपजा है।

राजा अनंगपाल-II और भुवनपाल के बाद ये दिल्ली के दक्षिण में अनंगपुरी बसे , यहाँ से ये लोग पाट्टन (राजस्थान ) तथा बाद में वापस अनंगपुरी ही स्थापित रहे तथा तोमर कुल ही लिखते रहे. इसी चन्द्र वंश में भुवानपाल >आघोर> झुन्दे रावतनाँदल रावतकंचन रावतबोहर सिंह (भँवर सिंह) → नंदपालकुंदन सिंह हुए. इन्ही चौधरी कुंदन सिंह ने विक्रम संवत 1181 मास फाल्गुन बदी पंचमी (सन् 1125 ईस्वी) में अपने दादा बोहर सिंह (भँवर सिंह) के नाम पर |बोहर गाँव बसाया था और बोहर सिंह (भँवर सिंह )के दादा नांदल रावत के नाम पर नान्दल गोत्र की शुरुआत की थी. अत: नांदल गोत्र की स्थापना व्यक्ति विशेष के नाम पर है। आज भी 20 अक्टूबर को नांदल दिवस हर साल मनाया जाता है। आज जितने भी नान्दल हैं उन सबका ताल्लुक बोहर से अवश्य है। इसलिए भाषा भेद या बोली के अपभ्रंश के कारण ये कहीं नन्दल तो कहीं नांदर कहीं बोहरिये तो कहीं नन्दर कहलाते हैं. कुंदन सिंह के एक पड-पड पोत्ते मेलु सिंह ने बोहर मेल्वान, दुसरे पड-पड पोत्ते भोपा सिंह ने बोहर भोपान तथा तीसरे पड-पड पोत्ते धरम सिंह ने उत्तर प्रदेश जाकर अपने गाँव बसाये .. ..................

वर्तमान में नांदल गोत्र का फैलाव इस प्रकार है :.

हरियाणा

जिला रोहतक : बोहर , गढ़ी-बोहर , नांदल , रिठाल , कुताना , चिमनी , शेखपुरा तितरी कुछ घर कान्ही में भी हैं। इसके अलावा रोहतक के लाखनमाजरा ब्लाक में नांदल नाम का गांव भी है।

जिला सोनीपत: उदेसीपुर (जैसिपुर)

जिला झज्जर : मेहराना, जटवाडा

जिला पानीपत : डाहर , मेहराना, जाटल

जिला कुरुक्षेत्र : भूत-माजरा

जिला कैथल: मानस

सिरसा व बीकानेर के कुछ गांवों में भी आजकल नांदल जमीन ले कर रह रहे हैं।

उत्त्तर प्रदेश

जिला अलीगढ : रकराना , शाहपुर , जलोखरी , धरमपुर , शिम्भरोती

जिला बुलंदशहर: रौंडा, रौरा, अहत्रोली , रामगढ़ी, नौरंगा , फिरिजेपुर , हबीबपुर, भूतगढ़ी, भुना जाटान , गोहनी, खास्रुपुर, चरोरा, राजपुर, शाहपुर कलां , जलालपुर , बिलोसिया,

जिला मेरठ : लाहोडा

जिला मुरादाबाद : लाकडी ,लटुरपुर , धन सिंघपुरा

जिला बदायूं: धरमपुर

राजस्थान

जिला भरतपुर: नगला नांदल

कुछ लोग नन्द से भी संबंध बताते है जो सही नहीं है। ज्ञात रहे कि जाट रत्न पत्रिका में शोध कर हर बार एक या दो जाट गोत्रों की उत्त्पति व गांववार विस्तार सहित प्रकाशित किया जा रहा है। पत्रिका प्राप्ति व सदस्यता हेतु 9355675622 वॉट्सएप पर संपर्क करें।

जाटों का अंतर्राष्ट्रीय इतिहास

नांदल , नादर , बोहरिये, बौहरे एक जाट गोत्र है। हरियाणा में यह नांदल लिखते है और पश्चिम उत्तरप्रदेश बुलंदशहर- अलीगढ़ में नादर लेकिन इनको बोहर गांव से आने के कारण बोहरे बोला जाता है।

सभी नांदल भाइयो से विनती है सिर्फ नांदल [ Nandal ] स्पेलिंग का ही उपयोग करे। पश्चिम उत्तर प्रदेश मे नांदल/नादर को बोहरे बोला जाता है लेकिन लिखते नादर [Nadar] हैं। -नांदल/नादर गोत्र तोमर जाट गोत्र की शाखा है। पश्चिम उत्तर प्रदेश में तोमर और नादर में शादी सम्बन्ध नहीं होते।

इस गोत्र की उत्त्पति नांदल (नन्दन)सिंह तोमर जाट से हुई है जो की दिल्ली के तोमर पांडव वंशी जाट राजा अनंगपाल सिंह तोमर के वंश का था। इतिहासकारो के अनुसार नंदन सिंह के वंशज ही नंदनवंशी या नांदलवंशी जाट कहलाये , जो बाद में नादल गोत्र के कहलाए जो मूल रूप से तोमर जाट थे। बोहर गाँव में एक 1337 विक्रम संवत .के शिलालेख मिला है जो दिल्ली तोमर जाट राजाओ की जानकारी देता है। बोहर से कुछ नांदल वंशी जाट अलीगढ और बुलंदशहर जिले की सीमा के गाँव में जाकर बस गये जिनको उनके मूल गाँव बोहर के नाम पर बोहरे कहते है , और यह नांदल को नादर लिखते है। इन को ही बोहरा भी कहते है, यह बोहर गाँव के निवासी होने के कारण बोहरा या बोहरे कहलाते है। ——इन बोहरा या बोहरे गोत्र के जाटो के 12 गाँव (जलोखरी , शाहपुर - रकराना , गोठनी , भुन्ना जटान , भूतगढ़ी , अहरौली , फिरोजपुर , रामगढ़ी , शाहपुर कलां , धर्मपुर ,जाहिदपुर कलां , औरंगा ( नौरंगा ) )और तोमर गोत्र के 12 गाँव ( पिसावा , जलालपुर , शेरपुर , सुजाबलगढ़ , नगलाभूपसिंह , पोस्तीका उर्फ फरीदपुर , इब्राहिमपुर , डेटा कलां व खुर्द , डेटा शैदपुर , डेटा मजूपूर , बलरामपुर , मढ़ा हबीबपुर ( भरिया का / भैया का ) चीती ) मिल कर एक खाप चौबीसी कहलाती है । तोमर जाटो को अलीगढ में स्थानीय भाषा में चाबुक कहते है , जबकि लिखते तंवर , तनवर , तोमर ही हैं । - अलीगढ़-बुलंदशहर में इन नादर-नांदलो के तोमरो में रिश्ते नही होते और एक दूसरे को भाई मानते हैं ।

नांदल खाप संस्थापक चौधरी रणसिंह की मूर्ति स्थापना - 17.03.2024

अखिल भारतीय नांदल खांप ने बोहर गांव स्थित नांदल भवन में खाप संस्थापक चौधरी रण सिंह एडवोकेट की मूर्ति की स्थापना की गई. इसका अनावरण रविवार (17.03.2024) को पूर्व कुलपति मेरठ विश्वविद्यालय डॉक्टर रामपाल नांदल ने किया. अनावरण समारोह की अध्यक्षता खाप के प्रधान ओमप्रकाश नांदल ने की और समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति डॉ रामपाल नांदल रहे. मंच संचालन खाप प्रवक्ता देवराज नांदल ने किया. इसमें देशभर से हजारों खाप प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इस मौके पर मुख्य रूप से हरीश नांदल, पूर्व प्रधान महेंद्र सिंह नांदल , कोषाध्यक्ष सुरेश भोपान, अशोक प्रिंसिपल, जाट संस्था के पूरे प्रधान राज सिंह नांदल आदि मौजूद रहे.

विस्तार के लिए देखो नांदल खाप संस्थापक स्वर्गीय चौ. रणसिंह एडवोकेट की प्रतिमा का अनावरण समारोह सम्पन्न

In Mahabharata

Shalya Parva, Mahabharata/Book IX Chapter 44 mentions names of combatants armed with diverse weapons and clad in diverse kinds of robes and ornaments, All of them came to the ceremony for investing Kartikeya with the status of generalissimo. It mentions in verse 63 Nandaka along with Hans as under:

हंसजः पङ्कदिग्धाङ्गः समुद्रॊन्माथनश च ह
रणॊत्कटः परहासश च शवेतशीर्षश च नन्दकः (Mahabharata: IX. 44. 63)

Distribution in Haryana

Nandal's are generally present near Panipat, specially in Dahar, Khukhrana. Rohtak, specially Bohar Village. In Rohtak, there is even a village named Nandal with surname Nandal near Lakhan Mazra. Even though the majority of the people belonging to this gotra live in Haryana and Rajasthan, a few families also gone to live in North America and Europe. Nandal is a prominent Khaap or gotra of Jats in Haryana. Mostly Nandals are spread over Rohtak, Sonipat,Panipat, Jhajjar, Kurukshetra and Kaithal districts.

Villages in Rohtak District

Bohar, Kutana, Rithal,

Villages in Sonipat District

Jaissipur,

Villages in Panipat District

Dahar, Jatal, Jatol Panipat, Khukhrana, Mehrana,

Villages in Jhajjar District

Jatwara, Cheemni, Mehrana,

Villages in Kurukshetra District

Bhoot Majra,

Villages in Kaithal District

Manas,

Distribution in Uttar Pradesh

Some Jats in UP write Nandar or Bohariye instead of Nandal.

Villages in Bulandshahar District

Bhootgarhi, Bhunna Jatan, Ahrauli, Charaura, Dhanoura, Gothani, Habipur, Nauranga, Ronda {Bohare (Nadar)}, Firozpur, Ramgarhi Bulandshahr, Ronda, Shahpur Kalan (Bohare (Nadar)), Shekupur Raura,

Villages in Aligarh District

Shahpur, Rakrana, Dharampur, Jalokhari, Shimrauthee Pipli Tappal,

Notable persons

  • Sunita Nandal - A social worker in the village Rithal district Rohtak, Haryana
  • Satish Nandal - Born on 03.06.1965 at RITHAL in Rohtak District ( Haryana). I took my middle education from Govt. Middle School Rithal and then B.Sc. (PCM), M.Sc., LL.B., and MCA from M.D.University Rohtak and MBA from Sikkim Manipal University. I was founder President of Gram Kalyan Parishad Rithal. Joined Govt. job in 1985 and presently working as SDO in HARTRON. he takes part in village welfare acts. His wife Sunita Rana became the village Sarpanch in 1994.
  • S.C. Nandal - Customes & Excise Officer, Gurgaon
  • Rai Singh Nandal, a very respectable person who has spent around 35 years in teaching mathematics.He has served at many places in Haryana. Currently, he resides at Sheela Bye Pass, Bharat Colony, Rohtak.
  • Ch. Kundan Singh Nandal from Bohar village who established the village in 1124 A.D. (Vikrami Samvat 1181 Falgun Badi Panchmi) upon his grandfather name Ch. Bohrsi Nandal. Bohar village is origin of all the Nandal jats. Presently Bohar Village has two gram panchayats i.e. Bohar-Bhopan & Bohar- Melwan. The population of village is more than 20000. Mostly land of the village has been acquired by government due to urbanization & industrialization of Rohtak city. All the HUDA Sectors, MD University, PGI, Model Town, Tilak Nagar, Bharat Colony, Ramgopal Colony, Basant Vihar, Tau Nagar, Sun City are located in the demarcation boundary of village.
  • Mr.S.C. Nandal - Supdt. Custom & Central Excise, 3017, Sec 53, Gurgaon, Haryana, Ph: 0124-2365736 (PP-403)
  • Mr. Satyawati Nandal - State Govt Principal Education, Haryana Govt. GSSS, Madina, 1511, WQ Canal Colony, Madina, Haryana Ph: 01262-272557 (PP-944)
  • Smt. Vijay Laxmi Nandal - Principal, Education Haryana Govt. GGSS Rohtak, 1421,Sector-1, HUDA Rohtak, Haryana Ph: 01262-274288 (PP-946)
  • श्रीमती सुशीला नांदल, व्याख्याता- समाजशास्त्र ने श्री कल्याण राजकीय महाविद्यालय, सीकर

Distribution in Pakistan

Nanda Jats are said to be of Georgian, Tatar, Kazakh and Chechen origin. They are mostly found in Sialkot, Gujranwala, Faisalabad, Okara, Islamabad, etc.

References


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