Navrang Singh Jakhar

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Navrang Singh Jakhar
Navrang Singh Jakhar presenting his book to Shri S K Singh Governor of Rajasthan

Navrang Singh Jakhar (नवरंग सिंह जाखड़) (born: 7 June 1942) is Ex. MLA from Nawalgarh in district Jhunjhunu in Rajasthan. Shri Navrang Singh Jakhar belongs to village Jakharon Ki Dhani (Dhamora village) in Jhunjhunu district in Rajasthan.

Brief introduction

He completed his primary education from Jakharon Ki Dhani and higher education from Bagad, Nawalgarh and Jaipur. He did M A (History) and B.Ed.

He was active in abolition of Jagirs in Shekhawati from his student life. He opposed the emergency imposed in 1975 in India and had to go to jail during this period. He won as MLA from Nawalgarh twice in 1977 (Janta Party) and 1985 (Lokdal Party). He took part in various movements for the upliftment of farmers, abolition of social evils, etc. His contribution in the field of education and social reforms has been appreciated.

He is an author of a book in Hindi - "Ghumati Jindagi" (Dhani se Vidhansabha tak). This book gives first hand information about his political life and the works he did. It was published in 2008.

His eldest son Ramavtar Singh Jakhar is an International Volleyball Player, who was born at Nawalgarh on 15 May 1970.

Detailed description about him may be read from article given below in hindi or from his book mentioned at the end of this page.

Contact details

  • Permanent Address : E – 268, Lal Kothi Scheme, Jaipur
  • Phone 0141-2741845, Mob-9413238390

जीवन परिचय

पुस्तक:घूमती जिंदगी:ढाणी से विधान सभा तक
  • श्री नवरंग सिंह जाखड़ का जन्म ७ जून १९४२ को ग्राम धमोरा जिला झुंझुनू में श्री गनपत सिंह जाखड़ के घर श्रीमती घोटी देवी की कोख से हुआ. इनके दादा का नाम घड़सी राम था.
  • इन्होने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जाखड़ों की ढाणी में ग्रहण की. शेष स्कूल व कालेज की शिक्षा बगड़, नवलगढ़ व जयपुर में प्राप्त की. आपने ऍम. ए. (इतिहास ) की डिग्री लेकर बी.एड. तक शिक्षा प्राप्त की व एल.एल.बी. की पढाई शुरू की थी जो पूर्ण नहीं कर पाए.
  • श्री नवरंग सिंह का विवाह २६ मई १९५७ को श्रीमती मूंगी देवी के साथ हुआ. उनके तीन पुत्र रामावतार सिंह जाखड़, संजय जाखड़, सुनील जाखड़ हैं तथा पुत्री सुमित्रा सिंह आर्य हैं.
  • विद्यार्थी जीवन से ही श्री नवरंग सिंह आजादी व जागीरदारी उन्मूलन के लिए संघर्षरत रहे. वे नवलगढ़ व जयपुर के महाविद्यालय के छात्रसंघ के पदाधिकारी रहे व १९७७ तक पंचायत समिति उदयपुरवाटी जिला झुंझुनू के सदस्य रहे.

राजनैतिक जीवन

  • श्री नवरंग सिंह वर्ष १९७७ में जनता पार्टी से और १९८५ में लोक दल पार्टी से राजस्थान विधान सभा के नवलगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए.
  • वे विधान सभा की विशेषाधिकार, सरकारी आश्वासन तथा गृह समिति के अध्यक्ष रहे.
  • आप जनलेखा तथा पुस्तकालय समिति के भी सदस्य रहे. वे १९७९-८० में राजस्थान विधानसभा के मुख्यसचेतक रहे.
  • वे कांग्रेस (संगठन) तथा जनता पार्टी के प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य रहे.
  • वे लोकदल एवं जनतादल के प्रदेश महामंत्री रहे तथा लोकदल (अ) के विधान सभा में नेता रहे.
  • वर्तमान में राजस्थान किसान मंच के अध्यक्ष हैं.

समाज सुधार के प्रयास

  • श्री नवरंग सिंह ने शिक्षा, साक्षरता, दहेजप्रथा, मृत्युभोज , बल-विवाह, सती प्रथा, पोलियो अदि विषयों पर सामाजिक सुधारों के अनेक सराहनीय कार्य किये जिसके लिए इनका अभिनन्दन अनेक अवसरों पर किया गया तथा प्रशंसा पत्र मिले. उन्होंने सामाजिक बुराइयाँ दूर करने के लिए अनेक आन्दोलन चलाये.
  • श्री नवरंग सिंह ने अपने गाँव धमोरा में छत्र जीवन में लम्बे समय तक पुस्तकालय का सञ्चालन किया. तथा प्रौढ़ शिक्षा के माध्यम से लोगों को शिक्षित करने का अनुकरणीय कार्य किया. श्री नवरंग सिंह ने प्रारंभ में १७ वर्ष तक शिक्षा के क्षेत्र में कार्य किया.
  • श्री नवरंग सिंह ने ८ मार्च १९७९ में राजस्थान विधानसभा के सामने विधायक फलौदी के साथ शराब बंदी के लिए आमरण अनशन पर बैठे. इस आमरण अनसन के बाद राज्य सरकार ने केन्द्रीय सरकार से बात की और १ अप्रेल १९७९ से राजस्थान में शराब बंदी लागू करवाई. सद्भावना फायदे के लिए ही इन्हें आमरण अनशन करना पड़ा.
  • शिक्षकों के आन्दोलन में सत्याग्रह करके कई बार जेल गए और मांगे पूरी करवाई.
  • महिलाओं में जाग्रति पैदा करने में इन्होने महत्वपूर्ण सहयोग किया.
  • राजस्थान में ४ सितम्बर १९८७ को दिवराला में हुए सती प्रकरण को सर्वप्रथम उजागर किया. इसमें दिवराला गाँव की १७ वर्षीय नव विवाहिता को उसके पति के निधन पर सती होने के लिए बाध्य होना पड़ा. आपने सती प्रथा को प्रतिबंधित करने के लिए उस पर कानून बनवाया.इस कांड में कई मुख्यमंत्रियों को अपना पद त्यागना पड़ा पर अंततोगत्वा राजस्थान में सतीप्रथा पर रोक लग गई.
  • आपने संसद एवं विधान सभाओं में महिला आरक्षण के लिए सबके साथ भरसक प्रयासकिया जिसको देश में भारी समर्थन मिला.


  • आप देश की रक्षा के सम्बन्ध में भी चिंता करते हैं. श्री नवरंग सिंह ने १९६२, १९६५, १९७१ तथा कारगिल युद्ध १९९८ में सैनिक परिवारों का उत्साह बढ़ाने तथा समाज में शांति बनाये रखने का सराहनीय प्रयास किया. आपने १९६२ में चीन के साथ युद्ध में भारतीय सेना की कमियों के सम्बन्ध में तत्कालीन प्रधान मंत्रीजी को पत्र लिखा था. आपका मानना है की कारगिल युद्ध में भी १९६२ की तरह प्राम्भ में उचित निर्णय लेने में देरी की जिसके कारण हमारे अनेक वीर शहीद हुए. इनकी चिंता इसलिए भी है कि झुंझुनू जिला देश को सर्वाधिक सैनिक प्रदान करने का श्रेय रखता है. आपका हमेशा प्रयास रहता है कि जब भी उनके इलाके का कोई शहीद होता है तो स्वयं जाकर परिवार को धधास बंधाएं. कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों में रामावतार दूत , विजयपाल ढाका, ओम प्रकाश जाखड, शीश राम गिल, रामप्रताप, राजेंद्र शेखावत-चिराना , रामजीलाल बडवासी, देवकरण किडवाना, दशरथ यादव. प्रह्लाद सिंह, जय सिंह, बाबूलाल पूनिया, राम निवास सहू आदि कारगिल शहीदों की अंतेष्टि में भाग लिया.
  • आपका मानना है कि संसार का समस्त सौन्दर्य जन सेवा में है.

विकास के लिए संघर्ष

  • वर्ष १९६७-६८ में मंडावा, फतेहपुर, नवलगढ़ में आई बाढ़ में राहत कार्य करवाकर प्रशंशनीय कार्य किया.
  • वर्ष १९८७ में राजस्थान में भयंकर अकाल पड़ा था उसमें राहत में भारी योगदान किया. श्री नवरंग सिंह के कारण ही वर्तमान किसान छात्रावास नवलगढ़ का निर्माण संभव हो सका. इस कार्य के लिए श्री नवरंग सिंह ने छात्रावास के लिए अपनी खुद काश्त की जमीन दान देकर एक सराहनीय कार्य किया.
  • डून्डलोद रेलवे फाटक पर तथा सीकर लुहारू वाया झुंझुनू बाईपास १९८८-८९ में स्वीकृत करवाया तथा उसके लिए सरकार से २० करोड़ का प्रावधान करवाया. बड़ी रेल लाइन के लिए १९९७ से संघर्ष कर रहे हैं.
  • अपने विधायक काल में उन्होंने झुंझुनू जिले में बिजली विस्तार, सड़क निर्माण, कार्य में प्रगति लाइ. शिक्षण संस्थाओं की संख्या बढ़वाई तथा गावों में पीने के पानी की व्यवस्था करवाई.


  • श्री नवरंग सिंह ने ३० जून २००४ को दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री साहिब सिंह वर्मा के साथ जाट धर्मशाला लोहार्गल का उद्घाटन किया. आपके प्रयास से इस स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए गति प्रदान की गई.

किसान हितों की रक्षा

  • मार्च १९८५ में नवलगढ़ के आस-पास के ग्रामों गोठडा, परसरामपुरा, टोंक, छीलरी, टोडपुरा, चिराना उदयपुरवाटी में ओलावृष्टि हुई और किसानों को फसल का भारी नुकशान हुआ. अकाल के कारण बहुत सी गायें, भैंसें और ऊंट अकाल मौत की शिकार हो गये. श्री नवरंग सिंह ने किसानों की मांग पर विधानसभा में समस्या उठाई. उस समय किसानों की फसल के लिए मुआवजे का प्रावधान नहीं था. राज्य सरकार ने केंद्र को अनुशंषा भेजी जिस पर अंत में किसानों को नकद राशि मुआवजे के रूप में दी गई.
  • जुलाइ १९८५ में किसानों को कुओं पर बिजली कम मिलने लगी तथा इसके बाद भी बिजली की दरें बढा दी. १७ जुलाइ १९८५ को किसानों की मांग को लेकर उन्होंने विधानसभा में आन्दोलन चलाने की घोषणा की जिसमें अंत में सभी किसान संगठन सरीक हो गए. श्री नवरंग सिंह के नेतृत्व में २० सितम्बर १९८५ को राजस्थान में एक बड़ी किसान रैली निकाली गई. २ अक्टूबर १९८५ को इनके ही नेतृत्व में सब्जी व दूध की सफल हड़ताल की गई. किसान नेता जब मुख्यमंत्री के आवास पर धरने पर बैठे थे तब उनसे मिलने के लिए जाने वाले नेताओं को सिविल लाइन फाटक पुलिस ने बेरहमी से पिता जिसमें नवरंग सिंह का हाथ टूट गया जिस पर ढाई माह तक प्लास्टर रहा. १० फ़रवरी १९८५ तक की समय सीमा में सरकार द्वारा मांगें नहीं मानी जाने पर श्री नवरंग सिंह और सुमित्रा सिंह, मालाराम आदि ने झुंझुनू में सत्याग्रह किया. १२ फ़रवरी को जिलाध्यक्ष के घर पर किसानों के जुलूस पर गोली चलाई गई जिसमें इनके ही गाँव के बालूराम शहीद हुए.
  • ११ से २४ फ़रवरी १९८६ में १४ दिन तक २३९३ किसानों ने गिरफ्तारी दी. ५०० किसानों के साथ श्री नवरंग सिंह डुण्डलोद की अस्थाई जेल में रहे तथा किसानों की सभी मांगे मनवाकर ही बाहर आये. वर्ष १९८६ के किसान आन्दोलन का श्रेय आपको है. इस आन्दोलन में सारे राजस्थान के १००००० से भी अधिक किसानों ने गिरफ्तारी दी.
  • वर्ष १९८७ में कम वर्षा के कारण राजस्थान में अकाल भीषण पड़ा. भारी जन-धन की हानि हुई. नवरंग सिंह ने लोकदल विधायक के रूप में उस समय राहत मंत्री रघुनाथ विशनोई के साथ भ्रमण किया. राहत कार्य के रूप में इन्होने ५००० किसानों के नए कुए बनवाये. नवलगढ़ उपखंड में लोहार्गल, किरोडी, शाकम्भरी और गिरावड़ी में वन विभाग के सहयोग से काफी पेड़ लड़वाए जो आज भी इन क्षेत्रों को हरा भरा रखे हुए हैं. ऊंट के चारे का आभाव दूर करने के लिए १५ अक्टूबर १९८७ को प्रधान मंत्री जी को पत्र लिखा.
  • आज भी किसानों की और गरीबों की समस्याओं के हल करने के लिए तत्पर रहते हैं. जाटों को पिछडे वर्ग का आरक्षण दिलाने में भी अग्रणी रहे. रामनिवास बाग़ जयपुर में आपके तेत्रत्व में आरक्षण समर्थित रैली में आपके ऊपर समाज कंटकों द्वारा बर्बरतापूर्ण हमला किया गया. इसमें आप गंभीर रूप से घायल हुए और कई दिन तक सवाई मानसिंह अस्पताल जयपुर में इलाज के लिए भरती रहना पड़ा. आपने जाटों को ही नहीं अन्य पिछड़ी जातियों यथा विशनोईकायमखानी अदि जातियों को भी पिछड़ी जाती में सामिल करने की वकालत की. सभी के सम्मिलित प्रयास से राजस्थान में आरक्षण लागू हुआ. कायमखानी, जाट एवं विशनोई को पिछडे वर्ग में सामिल कर आरक्षण प्रदान करने के लिए १९९९ में जयपुर के विद्याधर नगर स्तेदिअम में एक विशाल रैली की, जिसके कारण भारत सरकार एवं राजस्थान सरकार द्वारा इन वर्गों को पिछड़ी जाति में सामिल किया गया.
  • वर्ष २००० में प्याज के उचित मूल्य के लिए आन्दोलन किया एवं किसानों को सरकार से उचित मूल्य दिलाने की व्यवस्था करवाई.
  • राजस्थान विधान सभा के सामने मार्च २००३ में आमरण अनसन करके राजस्थान के अकाल पीड़ित किसानों को ३८७ करोड़ रुपये के मुआवजे का प्रावधान करवाया. इसमें से झुंझुनू संसदीय क्षेत्र के लिए ७ करोड़ और नवलगढ़ तहसील के लिए १ करोड़ वितरित किये गए.
  • ३० सितम्बर से ११ अक्टूबर २००३ तक झुंझुनू जिले में धरने के द्वारा झुंझुनू ,मुकुंदगढ़, चिडावा, उदय पुर वाटी, सूरजगढ़ में बाजार के समर्थन मूल्य के खरीद केंद्र खुलवाए.
  • नवलगढ़ में फ़रवरी २००४ को राजस्थान के राज्यपाल मदनलाल खुराना के संबोधन के दौरान श्री नवरंग सिंह ने झुंझुनू जिले में किसानों की कुर्की एवं नीलामी कार्यवाही रोकने की अपील करके कुर्की एवं नीलामी कार्यवाही में शिथिलता दिलवाई.
  • विधानसभाओं की कार्यप्रणाली समझने के लिए अनेक विधानसभाओं का भ्रमण किया तथा वे नेपाल भी गए.

व्यक्तित्व

  • नई पीढी के राजस्थान के किसान नेताओं में श्री नवरंग सिंह न केवल महत्वपूर्ण हैं बल्कि कई मायनों में असामान्य नेता हैं. कृषक लोकतंत्र एवं विकेंद्रीकृत अर्थ-व्यवस्था में उनका गहरा विश्वास है.
  • वे अपनी आस्थाओं और कार्यक्रमों से गहरे जुड़े हुए हैं. सत्ता में आने पर उनको लागू करने के लिए जुट जाते हैं बिना झिझक के. इस प्रक्रिया में वे पद्चुत होने तक का खतरा मोल ले लेते हैं. इनके व्यक्तित्व का विकास आपातकाल में हुआ जब वे कई बार जेल गए.

घूमती जिंदगी के लेखक

श्री नवरंग सिंह ने अपने चार दशकों से अधिक समय की जन सेवा के अनुभवों के आधार पर पुस्तक लिखी है जिसका शीर्षक है: घूमती जिंदगी:ढाणी से विधान सभा तक. यह पुस्तक वर्ष २००८ में प्रकाशित हुई है. इस पुस्तक में श्री नवरंग सिंह ने आँखों देखी वास्तविक घटनाओं और समस्याओं का उल्लेख किया है.

सन्दर्भ

यह लेख श्री नवरंग सिंह की पुस्तक : घूमती जिंदगी:ढाणी से विधान सभा तक. ( २००८), सपना प्रिंटर्स, १३९६, मनिहारों का रास्ता, किसनपोल बाजार, जयपुर में दिए गए तथ्यों पर आधारित है.


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