Neemodamath

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Location of Radep Village in Sheopur District

Neemodamath (नीमोदा मठ) is a village and site of Jat Fort in Karahal tahsil of Sheopur district in Madhya Pradesh.

Location

Jat Gotras

History

The Sheopur tehsil of Sheopur district adjoining Rajasthan is rich in Jat population. There are many villages inhabited by Jats. About 40-45 villages around Sheopur are having Jats in majority. According to the records of Jagas and Bhats they had come to this area long back. It is believed that when Khilji was the ruler on Delhi, the Barauda area of Sheopur was ruled by Gond Rajas and the Jats of this area defeated Khilji. The oldest village of Jats here is Radep. This is inhabited by Kuradia and Mogar gotra Jats.

There was Jat Sikh Jagir in village Kelor, its last Jagirdar was Sardar Hajari Singh, who was married in the family of Raja Mahendra Pratap of Mursan state. [1]

The Jat Fort is now abandoned.The descendants of Jat Jagirdars now have shifted to Abada and Nagpur. [2]

कैलोर जागीर

श्योपुर जिले की कैलोर जागीर सीप नदी के किनारे श्योपुर से लगभग 25 किमी दूर पर मौजूद है कैलोर जागीर मे 12 गांव नीमोदा मठ , बन्धाली, कैलोर सिरसिल्ला , भोजका , कैरका पनार, गोरस , करवालेनी, कपुरिया, गोठरा , जागदा गांव थे.

जाट परिवार मूलत: पंजाब के पखवाडा गांव के थे , जो बाद ग्वालियर सिंधिया की सेना मे रहे और युद्धों मे भाग लिया बहादुरी के कारण महाराजा दौलतराव सिधिया के विश्वास पात्र बन गये , और जब दौलत राव सिधिया ने गोडो से श्योपुर अपने कब्जे मे करलिया तो श्योपुर मे बाहरी डकैत जिन्हें उस समय पिंडारी कहते थे , उनके आतंक से मुक्ति के लिये जंगल क्षेत्र के उपरोक्त 12 गांव देकर जाट श्री रामसिंह जी सम्मत 1734 मे कैलोर जागीर नियुक्ति किये. जंगल क्षेत्र होने से एक दर्जन घोडे, दो हाथी डकैतों से मुकाबला करने के लिए तैनात रहते और एक दर्जन घोड़े सिंधिया स्टेंट के रहते आवश्यकता पडने पर ग्वालियर भिजवाना होता था ।

जागीरदार राम सिंह के भीम सिंह लक्ष्मण सिंह हुये. श्री लक्ष्मण सिंह ने कैलोर मे सीप नदी के किनारे भव्य किले का निर्माण कराया । शिव भक्त होने से ऐतिहासिक शिवमंदिर नीमादा मठ में मन्दिर का जीर्णोद्धार और दो छत्रिओं का निर्माण कराया और मन्दिर की सेवा पूजा के लियें नीमोदा मठ मे 30 बीघा जमीन मन्दिर में दान दी. उसके बाद श्री नाहरसिंह जागीरदार हुये जिन्हे आम भाषा मे सिंह जी कहते। सिंह जी के पुत्र श्री हजारी सिंह जी हुये जो महाराजा जीवाजी सिंधिया के साथ सिंधिया स्कूल मे पढ़े , जागीर सम्मालने के पूर्व गुना मन्दसौर मे स्टेंट के समय एस डी एम रहे , जो श्योपुर सम्भवत: पहले अधिकारी बने और बडोदा के दरबार शाहपुरा श्री शम्भु सिंह के मित्र थे और इनकी शादी मथुरा में मुरसान स्टेट के जाने माने स्वतंत्रता सेनानी राजा महेंद्र प्रताप सिंह के परिवार में हुई । देश आजाद होने तक कैलोर जागीर के अन्तिम शासक रहे और श्री हजारी सिंह जी ने गोठरा मे भी भव्य गढ़ी का निर्माण करवाया जिसमें इनके परिवार रहते हैं। श्री हजारी सिंह के तीन पुत्र हुये अजित सिंह , यदुराज सिंह जिनकी शिक्षा भी सिंधिया स्कूल ग्वालियर मे हुई , एक भगवान सिंह जो गोठरा मे रहते थे। श्योपुर के पूर्व विधायक सरदार गुलाब सिंह जी भी इसी परिवार से थे । गुलाब सिंह के पिता श्री नाथूसिह जी जागीर मे वन विभाग का कार्य देखते और सारसिल्ला गांव के जमीदार भी थे ।

स्रोत: मोडी लाल जागा की पुस्तक से

कैलोर खानदान

ठाकुर देशराज[3] ने लिखा है ....[पृ.568]: महाराजा दौलतराव जी सिंधिया के जमाने में ग्राम केलोर - नीमोदा ठाकुर गोपालसिंह लक्ष्मणसिंह जी को प्रदान हुआ। इसके बाद प्यारेसिंह को यह गांव बहाल रहे। संवत 1882 में प्यारे सिंह ला बलद मर गए। इसलिए गांव जप्त हो गए। फिर संवत 1926 में गोद नसीनी साहबसिंह जी ने मंजूर कर ली और गांव वापस कर दिए।

यह गांव पांच थे: गोठरा, जाखदा, एक और थे। हजारीसिंह जी इस समय इस जागीर के मालिक हैं। आपने सिंधिया स्कूल में शिक्षा पाई है। लोकप्रिय हैं। उम्र लगभग 23 साल होगी।

Notable Persons

External links

Reference

  1. Girraj Singh, Jat-Veer Smarika, Gwalior, 1987-88,p.81
  2. S S Jat, Jat-Veer Smarika, Gwalior, 1992, p.20
  3. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.568

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