Nohata
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Nohata (नोहटा) is a Village in Jabera Tehsil in Damoh District of Madhya Pradesh State, India. It belongs to Sagar Division.
Contents
Location
It is located 40 KM towards East from District head quarters Damoh. 277 KM from State capital Bhopal. Nohata Pin code is 470663 and postal head office is Nohata. [1]
Origin
Variants
- Nohata नोहटा
History
The Jabalpur region was ruled by Bamraj Dev of the Kalachuri dynasty from Karanbel from 675 to 800. The best known Kalachuri ruler was Yuvraj Dev I (reigned 915 to 945), who married Nohla Devi (a princess of the Chalukya dynasty). The princess Nohla Devi is probably of Nohal clan. Nohla Devi constructed the Nohleshwar Shiva Temple at Nohata in Damoh district of Madhya Pradesh.
नोहटा
नोहटा का नोहलेश्वर मढ़ा मंदिर
कल्चुरी कला का प्रतीक नोहलेश्वरमंदिर अपनी अद्भुत कला व नक्काशी के लिए देश भर में प्रसिद्ध है। पुरातात्विक साक्ष्यों के अनुसार यह मंदिर 13वीं सदी में कल्चुरी राजाओं द्वारा बनाया गया है। यह मंदिर कलचुरी नरेश युधराज देव प्रथम के शासन काल में इनकी धर्म पत्नी नोहला देवी द्वारा इसका निर्माण कराया गया था। बताया गया है कि कलचुरी शासन काल में इस तरह के करीब नौ मंदिर एवं नौ हाट हुआ करते थे, जिससे गांव का नोहटा का नाम पड़ा। नौ मंदिरों में से सिर्फ एक ही मंदिर शेष है बाकी मंदिरों के अवशेष गांव के मकानों एवं जहां-तहां बिखरे मिले हैं। लोग अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए नोहलेश्वर मंदिर की आराधना करते है। यह मंदिर जिले भर के लोगों के लिए आस्था का प्रतीक है। गोरैया व व्यारमा नदी के संगम तट पर स्थित नोहलेश्वर मंदिर में भगवान शिव विराजमान हैं। जिनके दर्शनों के लिए यहां पर रोजाना दूर-दूर से लोगों का आना-जाना लगा रहता है। रविवार को यहां पर लोगों की अधिक भीड़ रहती है। [2]
जबलपुर-दमोह मार्ग पर स्थित है नोहटा का प्राचीन नोहलेश्वर मंदिर. ग्राम नोहटा में नवमी शताब्दी (950-60) का कल्चुरी कालीन प्राचीन शिव मंदिर है। जिसकी सुंदरता देखते ही बनती है। यह मंदिर आस्था व शिल्प कला का अदभुत संगम हैं। दमोह जबलपुर हाईवे पर नोहटा के समीप पड़ने वाले इस मंदिर पर जिसकी भी नजर पड़ती है वह मंदिर की सुंदरता निहारता रह जाता है। मंदिर के अंदर अति प्राचीन शिवलिंग विराजमान हैं। मंदिर की दीवारों पर चारों ओर से उकेरी गई पुरातन कालीन सैकड़ों प्रतिमाएं हैं जिनकी नक्काशी देखते ही बनती है। नोहलेश्वर मंदिर में शिवलिंग से सटी हुईं 109 प्रतिमाएं रखी हुईं हैं। जिसमें नो हटा मंदिर का 14 प्रतिमाएं हैं तो 95 प्रतिमाएं फुटेरा जलाशय सहित अन्य स्थानों की है। सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रप्रताप सिंह ठाकुर का कहना है प्राचीन मंदिर की सुरक्षा को लेकर पुरातत्व विभाग की ओर से कठोर कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. [3]