Obedullaganj

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Obedullaganj (ओबेदुल्लागंज) is an Industrial town in Goharganj tahsil in Raisen district in Madhya Pradesh.

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History

भोपाल के नवाब

भोपाल में लगभग 250 साल दोस्त मोहम्मद और उनके वारिसान का शासन रहा। इन में आठ नवाब और नौ बेगम रहीं। भोपाल के आस-पास अनेक स्थानों के नाम इनके द्वारा दिये गए हैं।

बेगम शाहजहाँ के कार्यकाल में 1879 में इटारसी से भोपाल रेल्वे लाइन डाली गई थी। प्रिन्स्ली स्टेट होने से बेगम ने रेल्वे लाइन के लिये ज़मीन अंग्रेजों को मुफ़्त में दी, कुछ पैसा बेगम ने भी लगाया और फ़िरंगी से एक गुज़ारिश की थी कि भोपाली से कभी भी प्लैट्फ़ॉर्म टिकट ना लिया जाये, जिसे अंग्रेजों ने माना। भोपाल के पुराने बाशिंदों को आज भी याद होगा कि वे तफ़रीह के लिये रेल्वे स्टेशन जाते थे। तब वहाँ से गुजरने वाले खूबसूरत चेहरों का दीदार तो होता ही था दीन दुनियाँ की खबरें भी मिल जाती थीं। नसरुल्ला खान के बड़े लड़के हबीबुल्ला के नाम पर भोपाल में छोटी सी जागीर थी जिसे हबीब गंज कहा जाता था।

सन् 1900 के लगभग भोपाल में बेगम के पद पर सुल्तान जहां क़ाबिज़ हुईं। उनके नाम पर रायसेन ज़िले में सुल्तानपुर तहसील और सुलतानिया जनाना अस्पताल बना है। उनके तीन लड़के और दो लड़कियाँ हुईं। लड़कियाँ कम उम्र में अल्लाह को प्यारी हो गईं जिनमें से एक का नाम बिल्कीस जहां था और उसके नाम पर सीहोर ज़िले की सीहोर तहसील में एक क़स्बा बिल्कीस गंज है।

तीन लड़के वरिष्ठता अनुसार ऐसे थे - 1. नसरुल्ला, 2. ओबेदुल्ला, 3. हमीदुल्ला। इनकी जागीरों के नाम पर नसरुल्ला गंज,ओबेदुल्ला गंज क़स्बे हैं और आख़री नवाब हमदुल्ला के नाम पर आज का हमीदिया कॉलेज और व्यस्ततम हमीदिया रोड है। नसरुल्ला खान सबसे बड़े होने के कारण नवाब होने के हक़दार थे मगर वे अल्ला वाले थे इसलिए अंग्रेजों को पसंद ना आये। दूसरे ओबेदुल्ला मस्तमौला, हॉकी के खिलाड़ी और दबंग थे इसलिये अंग्रेजों ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया। हमीदुल्ला अलीगढ़ और बाद में बरतानिया से पढ़ लिख आये और अंग्रेज तथा सुल्तान जहां बेगम दोनों की पसंद थे इसलिए नवाब बन गये। नसरुल्ला और अब्दुल्ला की मृत्यु संदिग्ध हालतों में हुई।

इन हालातों में नसरुल्ला खान का बड़ा लड़का हबीबुल्ला नवाबी का हक़दार बना। इसके नाम पर भोपाल में छोटी सी जागीर थी जिसे हबीब गंज कहा जाता था। दिल्ली सरकार में उसने केस किया कि उसे नवाब बनाया जाये और फ़ैसला उसके हक़ में हुआ। मगर उसकी नवाबी ज़्यादा दिन नहीं चली। बेगम सुल्तान जहां और हमीदुल्ला लंदन रवाना हो गये और विक्टोरिया महारानी से अपने पक्ष में फ़ैसला ले आये। इस प्रकार हबीबुल्ला अपदस्थ हुए।

इतिहास अपने आप को कैसे दोहराता है। 15.11.2021 को फिर हबीबुल्ला अपदस्थ होकर कूचे से बाहर हैं और “ताल तो भोपाल ताल बाक़ी सब तलईयें, रानी तो कमलापति बाक़ी सब गधईयें” की कहावत वाली रानी का नाम भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय रेलवे स्टेशन पर चमचमा रहा है।

उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में मौजूद हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन कर दिया गया है जो गिन्नोरगढ़ की रानी कमलापती के नाम पर किया गया है।

स्रोत - सुदेश वाघमारे की फेसबुक पोस्ट, 16.11.2021, भोपाल का हबीब गंज रेल्वे स्टेशन, नवाबजादा हबीबउल्लाह और रानी कमलापती-मिथक और सच्चाइयाँ

Notable persons

  • Ch. Mahavir Singh (Get) - Businessman.
  • Ch. Shishram, business

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References


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