Palitana

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Palitana on Map of Bhavnagar district

Palitana (पालीताना) is a town in Bhavnagar district, Gujarat, India. It is located 50 km southwest of Bhavnagar city and is a major pilgrimage centre for Jains.

Variants

History

Palitana is associated with Jain legends and history. Ādinātha, the first of the Jain tirthankaras, is said to have meditated on the Shatrunjaya hill, where the Palitana temples were later constructed.

The Palitana State was a princely state, founded in 1194. It was one of the major states in Saurashtra.

In 1656, Shah Jahan's son Murad Baksh (the then Governor of Gujarat) granted the village of Palitana to the prominent Jain merchant Shantidas Jhaveri. The management of the temples was assigned to the Anandji Kalyanji Trust in 1730.[1]

During the British Raj, Palitana was a princely state in the Kathiawar Agency of the Bombay presidency. It was ruled by a Gohil Rajput, with the title of Thakore sahib (also spelled Thakor Saheb or Thakur Sahib), enjoying a 9-guns salute, of the Hindu Gohel dynasty.

पालीताना

विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...पालीताना,(AS, p.555), जिला भावनगर, गुजरात में स्थित है. पालीताना के निकट शत्रुंजय नामक पहाड़ी के शिखर पर अनेक मध्यकालीन जैन मंदिर हैं जो अपने रचना-सौंदर्य के लिए आबू के दिलवाड़ा मंदिरों की भाँति ही भारतभर में विख्यात है. (दे. शत्रुंजय)

पालीताना परिचय

पालीताना गुजरात के भावनगर ज़िला स्थित एक प्रमुख शहर तथा जैन धर्म का तीर्थ स्थान है। यह भावनगर शहर से 50 किमी. दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित है। पालीताना शत्रुंजय नदी के तट पर शत्रुंजय पर्वत की तलहटी में स्थित है। यहाँ 900 से भी अधिक जैन मन्दिर हैं। पालिताना जैन मंदिर जैन धर्म के 24 तीर्थंकर भगवानों को समर्पित हैं। पालिताना के इन जैन मंदिरों को 'टक्स' भी कहा जाता है। 11वीं एवं 12वीं सदी में बने इन मंदिरों के बारे में मान्यता है कि ये मंदिर जैन तीर्थंकरों को अर्पित किए गए हैं। कुमारपाल, मिलशाह, समप्रति राज मंदिर यहाँ के प्रमुख मंदिर हैं। पालीताना में बहुमूल्य प्रतिमाओं आदि का भी अच्छा संग्रह है।

इतिहास: मुग़लों के शासन के दौरान पालिताना के राजा उनादजी ने सीहोर पर आक्रमण किया था। उसी के विरोध में भावनगर के राजा गोहिल वाखटसिंझी ने पालिताना पर आक्रमण किया, परंतु इस युद्द में राजा उनादजी ने साहस से भावनगर के राजा को पराजित किया। शतरुंजया पर स्थित जैन मंदिर पहले तीर्थंकर ऋषभदेव को अर्पित है, जिन्हें 'आदिनाथ' के नाम से भी जाना जाता है।

विशेषताएँ: यह माना जाता है कि सभी जैन तीर्थकरों ने यहाँ पर निर्वाण प्राप्त किया था। निर्वाण प्राप्त करने के बाद उन्हें 'सिद्धाक्षेत्र' कहा जाता था। यहाँ के जैन मंदिरों में मुख्य रूप से आदिनाथ, कुमारपाल, विमलशाह, समप्रतिराजा, चौमुख आदि बहुत ही सुंदर एवं आकृष्ट मंदिर हैं। संगमरमर एवं प्लास्टर से बने हुए इन मंदिरों को देखने पर उनकी सुंदरता हमारे समक्ष प्रकट होती है। पालीताना जैन मन्दिर सफ़ेद संगमरमर में बने गये हैं और इन मंदिरों की नक़्क़ाशी व मूर्तिकला विश्वभर में प्रसिद्ध है। 11वीं शताब्दी में बने इन मंदिरों में संगमरमर के शिखर सूर्य की रोशनी में चमकते हुये एक अद्भुत छठा प्रकट करते हैं तथा माणिक्य मोती से लगते हैं। इन मंदिरों के दर्शन के लिए सभी श्रद्धालुओं को संध्या होने से पहले दर्शन करके पहाड़ से नीचे उतरना ज़रूरी है। इसका कारण यह है कि रात को भगवान विश्राम करते हैं, इसलिए रात के समय मंदिर के द्वार बन्द कर दिये जाते हैं।

प्रमुख तीर्थ: पालीताना शत्रुंजय तीर्थ का जैन धर्म में बहुत महत्त्व है। पाँच प्रमुख तीर्थों में से एक शत्रुंजय तीर्थ की यात्रा करना प्रत्येक जैन अपना कर्त्तव्य मानता है। मंदिर के ऊपर शिखर पर सूर्यास्त के बाद केवल देव साम्राज्य ही रहता है। पालीताना का प्रमुख व सबसे ख़ूबसूरत मंदिर जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का है। आदिश्वर देव के इस मंदिर में भगवान की आंगी दर्शनीय है। दैनिक पूजा के दौरान भगवान का श्रृंगार देखने योग्य होता है। 1618 ई. में बना 'चौमुखा मंदिर' क्षेत्र का सबसे बड़ा मंदिर है।

संदर्भ: भारतकोश-पालीताना

External links

References

  1. Yashwant K. Malaiya. "Shatrunjaya-Palitana Tirtha"
  2. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.555