Panis

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Panis (पणि) were a Rigvedic tribe.

Variants

Jat clans

Jat History

Hukum Singh Panwar (Pauria)[1] writes... The Indo-Aryan had colonised Anatolia and established the Vedic culture there (Nevali Cori) in 7300 B.C After them the Getae (5000 B.C.), the Panis or Punis or Phoenicians (3500 B.C.) and others went to Europe via Middle East, Asia Minor or Anatolia . The Indo-Aryans tribes migrated to the western countries as far as Scandanavia. On their way out they had intermittent stay and settlements, temporary or permanent, in suitable climes and countries. Orlova does not seem to have taken into consideration this significant factor.

Parni

Parni (Hindi:पर्णी), /ˈpɑːrnaɪ/; were an east Iranian people[2][3] who lived around Ochus[4] (Ancient Greek: Ὧχος Okhos) (Tejen) River, southeast of the Caspian Sea but it is believed that their original homeland may have been southern Russia from where they emigrated with other Scythian tribes.[5] The Parni were one of the three tribes of the Dahae confederacy.

कुशस्थली

विजयेन्द्र कुमार माथुर[6] लिखते हैं कि कुशस्थली द्वारका का ही प्राचीन नाम है। पौराणिक कथाओं के अनुसार महाराजा रैवतक के कुश बिछाकर यज्ञ करने के कारण इसका नाम कुशस्थली नाम पड़ा। पीछे त्रिविक्रम भगवान् कुश नामक दानव का वध भी यहीं किया था। त्रिविक्रम का मंदिर भी द्वारका में रणछोड़ जी के मंदिर के पास है। ऐसा जान पड़ता है कि महाराज रैवतक (बलराम की पत्नी रेवती के पिता) ने प्रथम बार, समुद्र में से कुछ भूमि बाहर निकालकर यह नगरी बसाई थी। हरिवंश पुराण (1.1.4) के अनुसार कुशस्थली उस प्रदेश का नाम था जहाँ यादवों ने द्वारका बसाई थी। विष्णु पुराण के अनुसार, आनर्तस्यापि रेवतनामा पुत्रोजज्ञे योऽसावानर्त विषयं बुभुजे पुरीं च कुशस्थली मध्युवास अर्थात आनर्त के रेवत नामक पुत्र हुआ जिसने कुशस्थली नामक पुरी में रहकर आनर्त विषय पर राज्य किया। एक प्राचीन किंवदंती में द्वारका का सम्बन्ध पुण्यजनों से बताया गया है। ये पुण्यजन वैदिक पाणिक या पणि हो सकते हैं। अनेक विद्वानों का मत है कि ये प्राचीन ग्रीस के फिनिशियनों का ही भारतीय नाम है। ये अपने को कुश की सन्तान मानते थे। (वेडल: मेकर्स ऑफ़ सिविलाइजेशन पृ.80) हमारा मत है कि ये पूनिया जाट ही थे।

पणिक

डॉ. धर्मचंद्र विद्यालंकार[7] ने लिखा है....जो कबीला ऋग्वेद का मरुद्गण था, वह संभवतः मरुभूमि में आवासित होने के कारण बजाए कृषक के व्यापारी भी बन गया होगा. संभवत: यह लोग पणिक् जनगण के भी सदस्य रहे होंगे व क्योंकि इन्हीं का संघर्ष ऋग्वेद में रसा नामक नदी के निकट अर्बुद पर्वत शिखर पर दिखाया गया है. उन्होंने भी आर्यों की गायों का ही अपहरण कर लिया था. तब इंद्र ने अपनी 'शर्मा' नमक देवदूती को ही संदेशवाहिका बनाकर उनके पास समझौते के लिए भेजा था. जब पणियों ने संधि-सुलह करने से स्पष्टतया इंकार कर दिया था, तभी देवराज इंद्र ने उनको अपने सैन्य बल से पराभूत करके उत्तर-पूर्व की ओर धकेल दिया था. उन्हीं पणिक् लोगों में से आगे चलकर किसान बनने वाले लोग ही मरुस्थल के जांगल प्रदेश या बिकानेर संभाग के ही चुरू जैसे जिलों में पूनिया जाट बन गए थे और जो उतने में से आगे चलकर अतिरिक्त करभार से आगे जाकर भूमिहीन बन गए थे; वहीं पंजाब में दलित भी बन गए थे. भूमिहीन कामगार ही हमें हरियाणा और पंजाब में पुनिया, बल और चीमा जैसे दलित कुलनाम मिलते हैं. बल्कि राजस्थान के पाली जिले में तो कभी मंडोर राज्य के शासक परिहार कुल के लोग भी हमें दलितों में ही देखने को मिलते हैं. पनिकों के नायक का भी नाम हमें ऋग्वेद में बलवूथ ही मिल रहा है.

References

  1. The Jats:Their Origin, Antiquity and Migrations/The migrations of the Jats to the North-Western countries,p.258
  2. Encyclopedia Iranica : "APARNA (Gk. Aparnoi/Parnoi, Lat. Aparni or Parni), an east Iranian tribe established on the Ochos (modern Taǰen, Teǰend) and one of the three tribes in the confederation of the Dahae
  3. Lecoq, Pierre (1987), "Aparna", Encyclopaedia Iranica, 2, New York: Routledge & Kegan Paul, p. 151.
  4. Lecoq, Pierre (1987), "Aparna", Encyclopaedia Iranica, 2, New York: Routledge & Kegan Paul, p. 151.
  5. Lecoq, Pierre (1987), "Aparna", Encyclopaedia Iranica, 2, New York: Routledge & Kegan Paul, p. 151.
  6. Aitihasik Sthanavali,p. 212
  7. Patanjali Ke Jartagana or Jnatrika Kaun The,p.16

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