Rajesh Dhayal

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Rajesh Dhayal

Rajesh Dhayal (b.1.7.1982-d.5.10.2007) was from village Jhanjhot, tah: Chirawa, Jhunjhunu]], Rajasthan. He became Martyr of militancy in Kupwara area of Kashmir on 5th October 2007. He was awarded with Sena Medal posthumously.

जीवन परिचय

भारत माँ की रक्षा के लिए कुर्बानी देने वालो में अग्रणी क्षेत्र झुन्झुनू की परम्परा का निर्वाह करने वाले वीर सपूत शहीद राजेश कुमार धायल का जन्म 1 जुलाई 1982 को चिडा़वा तहसील के झाँझोत गाँव में भूतपूर्व सैनिक श्री मालसिंह के घर माता श्रीमती सरस्वती देवी की कोख से हुआ।

बचपन से ही अपने पापा को वर्दी में देखकर स्वयं ने सेना में जाने की ठान ली। शहीद पिता के अनुसार वह सरल एवं शान्त स्वभाव के थे। माता पिता के प्रति प्रेम कम बोलना तथा हमेंशा देश के लिए श्रेष्ठ बलिदान देने में रुचि रखते थे। शहीद के पिता बताते है कि जब छुट्टी के दौरान घर आते तो वह हमेशा सेना के बारे में कुछ ना कुछ पूछते रहते थे। बेटे की सेना के प्रति रुचि को देखकर पिता ने निर्णय ले लिया कि राजेश कुमार को भी वह सेना में ही भेंजेंगें।

बस समय का इंतजार था स्कूली शिक्षा के बाद 12 अप्रैल 2002 को शहीद राजेश कुमार का चयन भारतीय सेना में 16 जाट रेजिमेंट में सिपाही के तौर पर हुआ। शहीद राजेश कुमार के एक बड़े भाई महेश कुमार है तथा तीन बहने संजू, सुनीता, और पूनम है। आपकी शादी बचपन में ही राजबाला के साथ कर दी गई थी। शहीद ने देश को 6 साल 5 महीने 5 दिन सेवाएं दी।

शहादत

5 अक्टूबर 2007 को जम्मू-कमीर के कुपवाडा़ क्षेत्र में तैनात थे ,उसी दौरान 6 कुख्यात विदेशी आंतकवादि घुसने की सुचना मिली। सर्च अभियान के दौरान राजेश कुमार के दल पर हथियारों से लैस आंतकवादियो के दस्ते ने फायरिंंग शुरू कर दी साथियों के अनुसार शहीद ने अपनी आंखों के सामने अपने साथी को गोली लगते देखा परन्तु जाबांज सिपाही राजेश कुमार ने अपनी फायरिंंग जारी रखी और आंतकवादियो के दल को हावी नहीं होने दिया। उसी दौरान राजेश कुमार ने एक आंतकवादि को पहाड़ के बीच में संकुचित भाग में कूदते देखा। खतरे का एहसास होने के बावजूद उन्होने आंतकवादि का पीछा किया तथा उस आंतकवादि को मार गिराया परन्तु स्वयं को भी गले में गोली लगी और वे वीरगति को प्राप्त हुए। आगे उनके पिता बताते है कि जो कुर्बानी देश की रक्षा के लिए मेरे पुत्र ने दी है वह अवसर मुझें नहीं मिला। मैने भी भारत पाक युद्ध लडा़ लेकिन जो में नहीं कर सका वो मेरे जाबांज शूरवीर बेटे ने कर दिखाया।

सम्मान

श्रेष्ठ बलिदान और अदम्य साहस के लिए शहीद राजेश कुमार को मरणोपरांत सेना पदक दिया गया। गाँव के चौराहे पर शहीद स्मारक बना हुआ है।

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संदर्भ

Source - Ramesh Dadhich by Email:Ramesh Dadhich<dadhichramesh77@gmail.com>


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