Ram Lal Jani

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Ram Lal Jani

Ram lal jani b.jpg
Full NameRam Lal Jani
Born14 July 1995
ResidenceVillage Pabubera Post Bhimthal Tahsil Dhorimanna, Barmer
Nationality

Flag of India.png Indian

OccupationAuthor, Teacher
Parent(s)Shri Harkha Ram Jyani (Father), Veeran Devi (Mother)
GotraJani

Ram Lal Jani is a social worker and Rajasthani and Hindi language poet. He belongs to Pabubera in district Barmer in Rajasthan. He is a blogger.

जीवन परिचय

Ram Lal Jani S/O Shri Harkha Ram Jyani (Father) and Veeran Devi (Mother), Born: 14 July 1995 Villege Pabubera Post Bhimthal Tahsil Dhorimanna Barmer 10th (2012) with 58.67%, 12th (2014) Arts with 83.80%

शैक्षणिक योग्यता

Education : Bachelor of Arts, Diploma in Elementary Education

जातीय प्रेम

आपमें जातीय प्रेम कूट कूट के भरा है । जाट इतिहास से संबंधित अच्छी जानकारी रखते है । सोशल मीडिया पर निरंतर समाज जाग्रति का प्रयास कर रहे है । इसके अलावा आप स्वंय एक प्रतिभाशाली लेखक है। आपकी कविताएं [जिज्ञासु का काव्य जगत] पर जाकर देख सकते हैं। आप जाट इतिहास पर ब्लॉग लिखते है[जाट गुरु] ब्लॉग आप आपका हैं.

अभिरुचि

Hobby : समाज सेवा शिक्षा,शिक्षा, जाट इतिहास और वर्तमान पर ब्लॉग लेखन,जागरूकता,Reading and Writting Poems http://ramlaljani.blogspot.in/

जीवन का उद्देश्य

परमार्थ को जीवन का मकसद मानकर जनसेवा में जुटे रहना। Occupation : Student, Blogger and CEO / Founder at https://jatguru.blogspot.in

प्रमुख रचनाएँ

कविता (1) जाटों का इतिहास

जाटों का इतिहास अनूठा।

घना मजबूत है जाटों का खूंटा।।

हर जाट एक महावीर है।

हर जाट कर्मठ धीर वीर है।।

जाटों का कैसे करूं बखान ।

जाट है सबसे महान।।

जाटों में गजब रणधीर हुए ।

अलबेला योद्धा संत पीर हुए।।

भक्त धन्ना और कर्मा की भक्ति ।

वीर सरदार भगत सिंह की शक्ति ।।

जाटों का है अमर इतिहास ।

इनका गुणगान करें सदा आकाश ।।

धरती दुहरावे इनकी गाथा ।

जाटों ने भेंट किया मायड़ को माथा।।

इनकी वीरता सदा अमर रहे ।

इनके बलिदान को जग धन्य कहे ।।

इनकी गाथा नित सूरज चांद गावे ।

उनकी वीरता को हिमालय भी सिर झुकावे ।।

सरहद भी इनके कदमों को करे सलाम।

खेलो में रहा सदा जाटों का नाम।।

जाट शूरवीरों के आगे।

अरिदल भी रणछोड़ भागे ।।

दुश्मन घुटने टेके इनके आगे ।

जाटों की हुंकार से सोया समुद्र जागे ।।

अमर जाट संतों की वाणी ।

शब्दों में नहीं बंधती जाटों की "कहाणी"

कविता(2) योद्धा सूरजमल

Sketch of Maharaja Surajmal by Painter Pawan Thakan

13 फरवरी 1707 बदन सिंह घर जन्म पाया।

सन 1733 सूरजमल ने गढ भरतपुर बसाया।।

वीरता धीरता चातुर्य से सबको लोहा मनवाया।

अजय योद्धा का परचम विश्व भर में लहराया।।

वो जाट वीर था सदा सर्वधर्म हितकारी ।

हिन्दू मुस्लिम सब प्रजा थी उनको प्यारी ।।

25 वर्ष की उम्र में सोघर जीत आया।

अजेय दुर्ग लोहागढ़ का निर्माण करवाया।।

अब आ गई बागडोर सूरजमल के हाथ।

भरतपुर का हर वासी हो गया सनाथ।।

घनघोर संकट भी डिगा नहीं पाए वीर को ।

सूझबूझ से बदल दिया राज्य की तकदीर को ।।

सन 1748 का ऐतिहासिक था बागडू रण ।।

काम लिया सूरजमल ने बुद्धि चातुर्य क्षण-क्षण।

बागड़ू का वह युद्ध बेमेल था सामने थी सेना भारी।

लेकिन बुद्धि का खेल था,सू रजमल ने बाजी मारी ।।

एक तरफ थे बड़े-बड़े मराठा राजपूत योद्धा।

दूसरी तरफ सूरजमल अकेले ने सब को रौंदा।।

सूरजमल के रण कौशल से हारी बाजी पलट गई।

जाट शेरों से डर के मारे शत्रु सेना पीछे हट गई ।।

ईश्वर सिंह को मिली राजगद्दी और सूरजमल को नाम ।

जाट सेना ने दुश्मन का कर दिया काम तमाम।।

सन 1750 मीर बख्शी को चारों ओर से घेरा ।

दुश्मन के आजू-बाजू में था सूरजमल का डेरा।।

मीर बख्शी मांग रहा था संधि की भीख ।

सब कह रहे थे सूरजमल से ले तू सीख ।।

रुहेलो के विरुद्ध जाटों ने वीरता दिखलाई।

सूरजमल ने बल्लभगढ़ की समस्या सुलझाई ।।

मुगल बादशाह की सेना बड़ी लाचार थी।

वीर सूरजमल की सेना तेजस्वी और खूंखार थी।।

मुगल मराठा संयुक्त सेना आ धमकी थी ।

लेकिन वीर सूरजमल की बुद्धि फिर चमकी थी।।

बुद्धि चातुर्य का उपयोग भरपूर किया ।

दुश्मन को संधि करने को मजबूर किया ।।

मुगल मराठा विशाल सेना काम ना आई।

जाटों ने बुद्धि बल से उन को धूल चटाई।।

भोगी अहमदशाह अब्दाली का जी ललचाया।

उसने आकर दिल्ली में आतंक मचाया ।।

जाट राज्य को लूटने का ख्याल आया।

उसने सूरजमल को कर देने का संदेश भिजवाया ।।

जवाहर सिंह ने अफगान टुकड़ी को हराया ।

अब अब्दाली ने लूटपाट का हुक्म फरमाया ।।

मथुरा में चहुंओर तोपों का धुआं छाया।

अब्दाली सूरजमल के किलों को जीत नहीं पाया ।।

न भेद न कोई जीत का मौका आया ।

उसने हार कर कंधार का मार्ग अपनाया।।

पानीपत की तीसरी लड़ाई 1761 में थी छाई ।

राजपूत देख रहे थे तटस्थ चुपचाप लड़ाई ।।

उनकी विलासिता और दूरदर्शिता आड़े आई ।

वीर सूरजमल ने फिर तलवार चमकाई।।

जाटों की बहादुरी थी दुनिया में छाई ।

शत्रु सेना जाटों की बहादुरी से घबराई ।।

सूरजमल वीर था बड़ा बुद्धिमानी ।

उसने सदा प्रजा की रक्षा की ठानी ।।

सभी धर्म पंथ थे उसके लिए समान।।

नहीं उसने किया किसी का अपमान।।

हर कोई सूरजमल की शरण आया ।

किसी को चौखट से वापस नहीं लौटाया।।

61 में जाटों ने फिर आगरा को जय किया।

वीर गोकुला की शहीदी का बदला लिया ।।

उस जाट वीर सूरजमल ने हर युद्ध जीता था ।

उसके बिना खुद इतिहास का खजाना रीता था ।।

सन 1763 में वह वीर स्वर्ग सिधारा था।

हर इतिहासकार ने उसको पुकारा था ।।

उसका इतिहास विश्व पटल पर छाया था ।

हर कोई उसकी गाथा लिखने को ललचाया था ।।

किसी ने लिखी कविताएं किसी ने गीत।

हजारों संदेश देती है उसकी एक एक जीत ।।

उनकी वीरता कभी शब्दों में सिमट नहीं पाएगी ।

मैंने एक कविता लिखी दुनिया लिखती जाएगी।।

वीर सूरजमल हिंदुस्तान का आखिरी सम्राट था।

वह शूरवीर बुद्धिमान तेजस्वी जाट था।।

मालाणी के सिरमौर रामदान

रामदान डऊकिया है मालाणी के सिरमौर।

हमेशा याद रहेगा इतिहास का वह दौर।।

तेजाराम के घर एक वीर ने जन्म पाया।

वह इतिहास में राम दान कहलाया।।

15 मार्च 1884 का दिन निराला था।

वह वीर भविष्य में क्रांति लाने वाला था।।

सभी ने मिलकर खुशियां मनाई।

सबसे खुश थी जन्मदात्री दौली माई।।


मालाणी का गांव का था सरली।

जिसने बदलाव की हुंकार भर ली।।

रामदान के तन का तेज और ओज।

बढ़ता चला जा रहा था रोज।।

पिताजी के निधन का गम था ।

निर्धनता का कहर कहाँ कम था ।।

रामदान को परख रहा हर पल था।

उनका सपना पवित्र और उज्ज्वल था ।।


उन्होंने हर संकट को झेला था ।

वक्त भी उनके साथ खूब खेला था।।

उनको हराना इतना आसान न था ।

सरलता की मूर्ति को इतना गुमान न था।।

रेलवे की नौकरी और कौम की जिम्मेदारी।

कौम थी उन्हें प्राणों से भी प्यारी।।

जोधपुर में हुई जाट वीरों से मुलाकात।

कौम के लिए स्वर्णिम थी वह रात।।


मिशन था घर-घर हो ज्ञान का उजास।

नेक इरादा और श्रेष्ठ था विश्वास ।।

ज्योति ज्ञान की फैली थी चहुँओर ।

अज्ञान अंधेरा भगाने आई थी भोर।।

मारवाड़ में जगह-जगह खुले छात्रावास।

तेजी से फैल रहा था शिक्षा का उजास ।।

30 जून 1934 का दिन मालाणी के नाम।

शुरू हुआ जाट बोर्डिंग बाड़मेर का काम।।


मूलचंद जी के हाथ हुआ था शुभारम्भ ।

शिक्षा के लिए था यह महान कदम।।

आईदान जी ने किया सहयोग भरपूर ।

ज्ञान का प्रकाश फैला था दूर-दूर।।

समाज से कुरीतियों को दूर करवाया था।

किसान हितेषी बाबा घर घर आया था ।।

नशा मुक्ति का पुनीत अभियान चलाया था।

लोगों को एकता का पाठ पढ़ाया था।।


सामाजिक बुराइयों को दूर भगाया था ।

मृत्युभोज निवारण अधिनियम पारित करवाया था ।।

मालाणी उनको कभी भूल नहीं पाएगा ।

उनका जीवन सदैव प्रेरणा देता जाएगा ।।

उनका योगदान शब्दों में कभी बंध नहीं पाएगा ।

उनका जलाया दीपक सदैव ज्योति फैलाएगा।।

सदैव अमर रहेगा उनका यशोगान ।

मालाणी को किया था प्रकाशमान।।

बाबा खरथाराम चौधरी

वीर प्रसूता मारवाड़ की धरा।

एक फ़रिश्ता धरती पर उतरा।।

गाँव भणियाणा में बाबा ने जन्म लिया।

जन सेवार्थ जीवन समर्पित किया।।


सन् 1939 बलदेवराम से हुई मुलाकात ।

शिक्षा,समाज हित की हुई बात।।

बाबा ने किया सामन्तों का सामना।

मन में थी किसान हित की कामना।।


चरम सीमा पर था सामंती अत्याचार।

बाबा ने किया किसानों का उद्धार।।

जागीरी प्रथा का विरोध और बंद किया लगान।

शपथ ली, नहीँ होने दूँगा किसानों का अपमान।।


उनके इस फैसले से सामन्त हुए नाराज ।

किसानों का भला नहीं चाहता था सामंती राज।।

किसानों और सामन्तों का केस सुप्रीम कोर्ट तक चला।

किसानों को न्याय मिला,बाबा का जादू चला।।


किसान जीत गए और हारा सामंत राज।

बाबा के सर सजा जीत का ताज।।

किसानों का दमन और अत्याचार।

बाबा खरथाराम को नहीं था स्वीकार।।


हाथ ले चले बदलाव और संघर्ष की मशाल।

असफल होता गया सामंती जाल।।

बलदेवराम जी जागृति हेतु तारातरा आए।

विरोध में सामंतों में जाटों के घर जलाए।।


निष्ठुर होकर सामन्त कर रहे थे दमन।

बाबा का अभियान था जागे जन-जन।।

खुद अनपढ़ लेकिन गाँव-गाँव अलख जगाई।

उन्हीं की बदौलत शैक्षिक क्रांति आई।।


उन्होंने जगह-जगह स्कूल खुलवाए।

ताउम्र जनहित के कार्य करवाए।।

35 साल तक रहे भणियाणा के सरपंच।

बाबा की बदौलत खत्म हुआ सामंती दंश।।


डाकू ओमपुरी से जनता को छुटकारा दिलाया।

जनसेवार्थप्रधानमंत्री से सम्मान पाया।।

21 जुलाई 2017 को हुआ निधन।

नम आँखों से विदाई दे रहा था जन-जन।।


खड़ा था हर कोई आँखे नम लिए।

श्रद्धासुमन अर्पित किए दिलों में गम लिए।।

कोई उनके संघर्ष को शब्दों में बांध न पाए।

रामलाल जाणी बाबा की महिमा सुनाए।।


बाबा की जीवनी लिखी सारण जोगाराम।

हम करते हैं उनको लेखनी से सलाम।।

सदैव याद करता रहेगा किसान-जवान।

जीवनी में है बाबा का संघर्ष गान।।

=- रचनाकार Ram Lal Jani, Pabubera,Barmer mo.8003041770

सम्पर्क

References

https://jatguru.blogspot.in Blog जाट गुरु

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