Reet Mohinder Pal Singh

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Reet Mohinder Pal Singh

Reet Mohinder Pal Singh (Captain) fought 1965 Indo-Pak War very bravely in Khemkaran Sector on 22 September 1965. He was seriously injured during the war and lost one of his eyes. He was awarded Vira Chakra for his act of bravery. Unit: 8 Light Cavalry, Armed Corps. He retired in 1969 from Indian Army as a captain and settled in Patiala.

कैप्टन रीत मोहिंदर पाल सिंह

कैप्टन रीत मोहिंदर पाल सिंह

वीर चक्र

यूनिट - 8 लाइट कैवलरी

आर्मर्ड कॉर्प्स

ऑपरेशन रिडल

भारत-पाक युद्ध 1965

कैप्टन रीत मोहिंदर पाल सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1942 को ब्रिटिश भारत में संयुक्त पंजाब में हुआ था। इनके पिता उस जमाने में आईपीएस थे। उच्च शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात उन्होंने भारतीय सेना की आर्मर्ड कॉर्प्स में सेकंड लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन प्राप्त किया था। उन्हें 8 लाइट कैवलरी रेजिमेंट में नियुक्त किया गया था। 1965 के युद्ध में उन्हें पंजाब के खेमकरण सेक्टर में तैनात किया गया था।

ऑपरेशन रिडल में, 22 सितंबर 1965 को, सेकेंड लेफ्टिनेंट रीत मोहिंदर पाल सिंह पाकिस्तान के लाहौर सेक्टर में एक टैंक टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे‌। उन्हें पाकिस्तान में लाहौर सेक्टर के माचिके में शत्रु की स्थिति पर कब्जा करने का आदेश दिया गया। टैंकों से आगे बढ़ते हुए शत्रु की स्थिति के 400 गज के भीतर पहुंचने के पश्चात, एकाएक वह शत्रु की बारूदी सुरंगों पर आ गए।

शत्रु की भीषण गोलाबारी के मध्य, अपनी टैंक टुकड़ी के लिए एक उपयुक्त क्रॉसिंग स्थान खोजने के लिए वह अपने टैंक से उतरे। उतरते ही, उनकी छाती और दांए हाथ में चोटें लग गईं, परंतु घायल होने पर भी उन्होंने उस स्थिति की पूरी टोह ली। तभी, एक बार पुनः बम के SPLINTER लगने से उनका बांया पैर और एक हाथ टूट गया। उनके मुंह पर गंभीर चोटें आईं। उनकी एक आंख में चोट लगने से उस आंख की दृष्टि चली गई।

उन्होंने सर्वप्रथम अपने CREW को सुरक्षित स्थान पर भेज दिया और स्वयं तब तक सुरक्षित स्थान की खोज में संपूर्ण रात्रि रेंगते रहे। जब तक उन्हें भारतीय सैनिकों ने पहचान नहीं लिया। उन्हें उपचार के लिए फिरोजपुर के सैन्य चिकित्सालय ले जाया गया। वहां से उन्हें गहन उपचार के लिए दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया। वह 18 माह तक दिल्ली के सैन्य चिकित्सालय में भर्ती रहे थे।

इस कार्रवाई में सेकंड लेफ्टिनेंट सिंह ने उच्च कोटि के साहस और नेतृत्व का परिचय दिया। उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया। शारीरिक कारणों से वर्ष 1969 में वह कैप्टन के पद से भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हुए।

सेवानिवृत्ति के पश्चात उन्होंने पटियाला में खेती आरंभ की और 12 वर्ष तक खेती का कार्य किया। तत्पश्चात उन्हें शारीरिक रूप से दिव्यांग सैनिकों के कोटे से नाभा में गैस एजेंसी आवंटित की गई। उन्होंने पटियाला में अपने घर का नाम माचिके रखा है। उन्होंने अपने पुत्र व पुत्री को सैन्य सेवाओं में भेजा। वर्ष 2012 में उन्होंने परिवार के साथ पाकिस्तान में माचिके की यात्रा की और उन्हें वह स्थान दिखाया जहां उन्होंने युद्ध लड़ा था।

गैलरी

स्रोत

संदर्भ


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