Raj Kumar Poonia

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Lance Naik Raj Kumar Poonia

Lance Naik Raj Kumar Poonia is a martyr of Kargil War. He was from village Bhainsli in Churu district in Rajasthan. He became martyr on 24 May 1999 during War with Pakistan. He belonged to Unit-18 Grenadiers of Indian Army.

Introduction

Lance Naik Raj Kumar Poonia

Sena Medal (P)

Unit - 18 Grenadiers

0peration Vijay

Kargil War 1999

Village - Bhainsli, Churu Rajasthan

Lance Naik Rajkumar had joined Indian Army against his family's wishes. On this day in 1999, he (aged 23) took a bullet in his temple but saved the lives of his comrades on Point #4590 during Kargil War.

Part of a frontal assault wave against intruders entrenched in bunkers, Poonia saw two of his buddies fall and the rest pinned down by a machine-gun nest. Inching his way along a rock face where a fall meant instant death, Poonia was hit in the chest. Blood oozing out, he reached for a grenade and silenced the nest. The gun position came alive a few hours later, but it gave his unit time to escape. Today, point 4590 is back in Indian hands.

He was the first casualty of 18 Grenadiers and was among the 527 heroes who never returned from what was probably the harshest war India has fought.


जीवन परिचय

"मेरे लिए जो गोली बनी है, वह मेरी जान लेगी ही, तब कोई मेरी मदद नहीं कर पाएगा..."

लांस नायक राजकुमार पूनिया

10-10-1976 - 24-05-1999

सेना मेडल (मरणोपरांत)

वीरांगना - श्रीमती सुमित्रा देवी

यूनिट - 18 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट

पॉइंट 4590 की लड़ाई

ऑपरेशन विजय

कारगिल युद्ध 1999

लांस नायक राजकुमार पूनिया का जन्म 10 अक्टूबर 1976 को राजस्थान के चूरु जिले की राजगढ़ तहसील के भैंसली गांव के एक किसान परिवार में श्री शुभराम पूनिया एवं चन्द्रो देवी के घर में हुआ था। तीन भाईयों और दो बहनों में सबसे छोटे राजकुमार बाल्यकाल से ही धुन के पक्के व गंभीर प्रकृति के थे। 18 वर्ष की आयु में 10 वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात उनमें और परिपक्वता आई तो उन्होंने सेना में जाने का निर्णय कर लिया। 24 अप्रैल 1994 को वह भारतीय सेना की ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट में भर्ती हुए थे।

आरंभिक प्रशिक्षण के बाद उनकी नियुक्ति राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में हुई थी। 19 मई 1995 को उनका विवाह राजगढ़ क्षेत्र के बूढ़ावास गांव की सुमित्रा से हुआ। दिसंबर 1997 में उनके एकमात्र पुत्र सचिन का जन्म हुआ था।

दिसंबर 1997 में ही उन्हें जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में तैनात किया गया, जहां वह लगभग 18 महीने तैनात रहे। राजकुमार 6 फीट 2 इंच लंबे सुदर्शन, हंसमुख, अदम्य साहसी व वीर सैनिक थे। उनका यह साहसी स्वभाव माँ चन्द्रो देवी को भयभीत कर देता था, राजकुमार उनसे कहते कि "मेरे लिए जो गोली बनी है, वह मेरी जान लेगी ही, तब कोई मेरी मदद नहीं कर पाएगा" शायद उन्हें रणभूमि में अपनी वीरगति का पूर्वाभास हो गया था।

14 मई 1999 को 18 ग्रेनेडियर्स बटालियन कमांडिंग ऑफिसर कर्नल श्री Khushal Thakur के नेतृत्व में श्रीनगर से कारगिल जिले के द्रास सेक्टर के लिए रवाना हुई। इस बटालियन को तोलोलिंग हिल क्षेत्र में पहुंच कर मोर्चा संभालना था।

23 मई 1999 की रात 18 ग्रेनेडियर्स की एक टुकड़ी चढाई करते हुए लगभग 16000 फीट ऊंचाई तक पहुंच गई। लांस नायक राजकुमार इसी टुकड़ी का हिस्सा थे। इस क्षेत्र में किसी भी तरह के पेड़ों या झाड़ियों की ओट नहीं थी व एकदम खड़ी चढ़ाई थी। यहां के कठिन, दुर्गम भूभाग व शत्रु के एकतरफा हावी होने के कारण यहां सिर्फ रात में ही चढ़ना संभव था। 24 मई 1999 को तड़के जैसे ही यह टुकड़ी आगे बढ़ने लगी तभी अचानक शत्रु ने इस पर भारी गोलीबारी आरंभ कर दी। इस आकस्मिक हमले का सामना अग्रणी पंक्ति ने किया लांस नायक राजकुमार व उनके साथी अग्रणी मोर्चा संभाले रहे क्योंकि अन्य साथी पीछे चल रहे थे।

हमले से उन्होंने अपने साथियों को भारी मशीनगन फायर में घिरते व दो साथियों को घायल होकर गिरते हुए देखा। ऐसे में खतरनाक चट्टान पर इंच-इंच रेंगते हुए लांस नायक राजकुमार शत्रु के मशीनगन NEST की ओर बढ़े, तभी उनकी कनपटी में एक गोली लग गई। घाव से रक्त की धार बह रही थी फिर भी वह निरंतर आगे बढते रहे व एक ग्रेनेड फेंक कर उस मशीनगन को शांत कर दिया। यद्यपि कुछ घंटों बाद वह मशीनगन फिर सक्रिय हो गई पर तब तक उनके साथियों को बचने का अवसर मिल गया था। लांस नायक राजकुमार अंतिम सांस तक अपनी लाइट मशीनगन से गोलियां चलाते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।

इस वीर का शव साथी सैनिक तुरंत प्राप्त नहीं कर सके क्योंकि वहां शत्रु लगातार भारी गोलीबारी कर रहा था। जवानों ने 16 घंटे शत्रु से मुकाबला करते हुए रस्सों से खींच कर उनका शव प्राप्त किया। 29 मई 1999 को उनका शव भैंसली गांव पहुंचा व उसी शाम पूर्ण राजकीय सम्मान से उनका अंतिम संस्कार हुआ।

लांस नायक राजकुमार कारगिल युद्ध में 18 ग्रेनेडियर्स रजिमेंट के प्रथम बलिदानी थे। उनके अदम्य साहस, वीरता एवं सर्वोच्च बलिदान के लिए उन्हें मरणोपरांत सेना मेडल से सम्मानित किया गया।

लांस नायक राजकुमार पूनिया के बलिदान को देश युगों युगों तक याद करेगा।

शहीद को सम्मान

आभार

शहीद और उनके परिवार की तस्वीरें तथा जानकारियाँ श्री रमेश दधीच द्वारा ईमेल (Ramesh Dadhich<dadhichramesh77@gmail.com>) से उपलब्ध कराई गई हैं.

चित्र गैलरी

External links

References


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