Shekhawati Ke Gandhi Amar Shahid Karni Ram/Sachcha Deshbhakt

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पुस्तक: शेखावाटी के गांधी अमरशहीद करणीराम

लेखक: रामेश्वरसिंह, प्रथम संस्करण: 2 अक्टूबर, 1984

द्धितीय खण्ड - सम्मत्ति एवं संस्मरण

मथुरादास माथुर
3. सच्चा देश भक्त

मथुरादास माथुर

भूतपूर्व गृहमन्त्री, राजस्थान

राजस्थान की जंगे आजादी का इतिहास भारत की आजादी के इतिहास से कुछ भिन्न है। राजस्थान तिहरी गुलामी जकड़े हुए थे। ब्रिटिश साम्राज्यवाद राजशाही और देहात में सामन्त शासन के अत्याचारों से रियासती जनता परेशान थी। 15 अगस्त 1947 व 31 मार्च 1949 को क्रमशः ब्रिटिश राज्य सत्ता एवं राजशाही का अन्त हुआ जिससे आम अवाम और खास तौरपर देहात में रहने वाले किसानों को बड़ी राहत मिली। जागीरदारी प्रथा में कुछ समय के लिए और भी ढिलाई हुई। जागीरदारों ने अपना अन्त निकट आया देख किसानों पर और भी जुल्म ढाने शुरू किये। इनका मुकबला राजस्थान के किसानों ने और ख़ास तौर से शेखावाटी के किसानों ने डटकर किया।

भाई करणीराम जी उन नेताओं में से थे जिन्होंने जागीरदारी के बुझते दीपक को एक आंधी के झोंके से हमेशा के लिये बुझाने का पूरा प्रयत्न किया। यहां तक कि उन्होने अपनी जिन्दगी भी कुरबान कर दी। आज किसान जमीन का मालिक है। उसको पूरे जमीन के हकूक है। इस सब का श्रेय श्री करणीराम जी व अन्य किसान नेताओं की क़ुरबानी को जाता है।

वे सच्चे देशभक्त, निष्ठावान एवं कर्मठ कार्यकर्ता थे। उनका महान बलिदान हमेशा के लिए राजस्थान के युवकों को प्रेरणा देता रहेगा।

इस अवसर पर मैं उनको अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। दबे हुए इन्सानों को ऊपर उठाने का जो अभियान उन्होंने शुरू किया था वह आज भी चालू है। उनकी कुर्बानी हमेशा लोगों को प्रेरणा देती रहेगी।


शेखावाटी के गांधी अमरशहीद करणीराम, भाग-II, पृष्ठांत-4

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