Sher Singh Toor

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Sher Singh Toor is the Ex. Principal of Gramotthan Vidyapith Sangaria.

स्वामी केशवानन्द जी के नाम पर ट्रस्ट की स्थापना

संत स्वामी केशवानन्द जी की स्म्रति बनाए रखने और उनकी ग्रामोत्थान योजनाओं को सतत चालू रखकर समयानुकूल आगे बढ़ाते रहने के उद्देश्य से ग्रामोत्थान विधापीठ परिवार के प्रमुख लोगों, विशेषकर सर्वश्री

जिन सबको स्वामी जी का सान्निध्य और मार्ग – दर्शन चिरकाल तक प्राप्त हुआ था, ने कुछ योजनाओं पर स्वामी जी के अंतिम–संस्कारोपरान्त ही प्रयत्न आरंभ कर दिया था । ग्रामोत्थान विधापीठ परिवार के छोटे-बड़े सभी कर्मचारियों एवं छात्र-छात्राओं ने, यथा-श्रद्धा आर्थिक योगदान दिया, जिससे स्वामी जी की संगमरमर-मूर्ति का निर्माण, उसका स्वामी जी के अंतिम संस्कार स्थल पर प्रतिष्ठापन एवं स्वामी जी की जीवनी, सेवा, श्रम और शिक्षा का एक अध्ययन-स्वामी केशवानन्द का प्रकाशन आदि कार्य सम्पन्न कराए गए एवं प्रतिवर्ष स्वामी जी की निर्वाण-तिथि 13 सितम्बर पर उनके श्रद्धा – दिवसोत्सव का आयोजन स्वामी जी की मूर्ति के पास किया जाने लगा। उस वार्षिक आयोजन में विध्यापीठ के सभी कर्मचारी और छात्र-छात्राएँ स्वामी जी लो श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्र होते थे। गिने-चुने संस्था के पूर्व छात्र और स्वामी जी के श्रद्धालु सज्जन भी आया करते थे। ग्राम कटैहड़ा (पंजाब) के चौ. रामनरायण ज्याणी, चौधरी राजाराम ज्याणी और श्री ब्रजनारयण कौशिक का पहुँचना सर्वथा निश्चित था।

स्वामी जी के पुण्य-तिथि 13 सितम्बर 1983 को श्रद्धा-दिवसोत्सव में श्री ब्रजनारयण कौशिक ने विचार रखा कि सन् 1983 स्वामी जी का जन्म-शती वर्ष होने के कारण उनकी स्म्रति मे ग्रामोत्थान विध्यापीठ में भी कोई प्रवृत्ति चालू की जावे जो स्वामी जी की ग्रामोत्थान योजनाओं को अनवरत चालू रखे। इस पर विस्तृत विचार के लिए सर्वश्री

की समिति गठित की गयी और एक माह में प्रस्तुत करने को कहा गया। इस समिति ने स्वामी जी की कुटिया (निवास-स्थान) में 11 अक्टूबर 1983 को चौ. रामनरायण ज्याणी की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की जिसमें संस्था में कार्यरत संस्था के पूर्व छात्रों को भी आमंत्रित किया गया।

समिति के सुझावानुसार और चौधरी रामनरायण ज्याणी के आग्रह पर “स्वामी केशवानन्द स्मारक ट्रस्ट” की स्थापना का सर्व-सम्मत प्रस्ताव पारित किया गया। चौ. रामनरायण ज्याणी ने प्रस्तावनुसार कार्य को आगे बड़ाने की ज़िम्मेदारी संभाली और उनके मार्ग दर्शन एवं निर्देशन में समिति सदस्य ग्रामोत्थान विध्यापीठ संगरिया के पूर्व छात्रों – [

आदि उच्च-पदस्थ लोगों एवं श्री गंगानगर-हनुमानगढ़, फाजिल्का-अबोहर और सिरसा-फतेहाबाद के स्वामी जी के श्रद्धालु प्रमुख लोगों से ट्रस्ट के आजीवन ट्रस्टी बनने के स्वीकृति प्राप्त करने हेतु मिले। ट्रस्ट के प्रथम 21 आजीवन ट्रस्टी चुनने मे पूर्ण-निर्देशन चौ. रामनारायण ज्याणी का रहा। उनही की राय से डॉ. बलराम जाखड़ को आजीवन मुख्य संरक्षक एवं डॉ. ज्ञान प्रकाश पिलानिया को ट्रस्ट का अध्यक्ष मनोनीत कर उनकी सहमति प्राप्त की गयी। ग्रामोत्थान विद्ध्यापीठ के महामंत्री श्री यशवंत सिंह से भी संपर्क साधकर उनका सहयोग प्राप्त किया गया। संस्था के विभागाध्यक्षों ने भी सभी कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं का सहयोग ट्रस्ट के लिए उपलब्ध कराया। जुलाई-अगस्त 1984 में ट्रस्ट की प्रथम स्मारिका प्रकाशित कराई गयी, जिसकी विषय-वस्तु स्वामी जी, ग्रामोत्थान विद्ध्यापीठ का संक्षिप्त इतिहास, ट्रस्ट-विधान की प्रारम्भिक रूप-रेखा और ट्रस्ट कोष में प्रथम वर्ष में प्राप्त दान का विवरण आदि थे।

स्वामी केशवानन्द जी के जीवन पर पुस्तक

पुस्तक - "सेवा श्रम और शिक्षा का एक अध्याय स्वामी केशवानंद": लेखक - सरदार शेर सिंह

Address

Chotala Road , Sangaria. Ph: 01499-251277

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References