Somasi

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Location of Villages around Churu

Somasi (सोमासी) is a village in Churu tehsil of Churu district of Rajasthan. It was known as Somawasi and ruled by Ransi Kaswan in 11th century.

Founder

Jat Gotras

Population

As per Census-2011 statistics, Somasi village has the total population of 1328 (of which 677 are males while 651 are females).[1]

History

चूरू जनपद के जाट इतिहास पर दौलतराम सारण डालमाण[2] ने अनुसन्धान किया है और लिखा है कि कसवां जाटों के भाटों तथा उनके पुरोहित दाहिमा ब्रह्मण की बही से ज्ञात होता है की कंसुपाल पड़िहार संघ में सम्मिलित था। वह 5000 फौज के साथ मंडोर छोड़कर पहले तालछापर पर आए, जहाँ मोहिलों का राज था. कंसुपाल ने मोहिलों को हराकर छापर पर अधिकार कर लिया. इसके बाद वह आसोज बदी 4 संवत 1125 मंगलवार (19 अगस्त 1068) को सीधमुख आया. वहां रणजीत जोहिया राज करता था जिसके अधिकार में 125 गाँव थे. लड़ाई हुई जिसमें 125 जोहिया तथा कंसुपाल के 70 लोग मारे गए. इस लड़ाई में कंसुपाल विजयी हुए. सीधमुख पर कंसुपाल का अधिकार हो गया और वहां पर भी अपने थाने स्थापित किए. सीधमुख विजय के बाद कंसुपाल सात्यूं (चुरू से 12 कोस उत्तर-पूर्व) आया, जहाँ चौहानों के सात भाई (सातू, सूरजमल, भोमानी, नरसी, तेजसी, कीरतसी और प्रतापसी) राज करते थे. कंसुपाल ने यहाँ उनसे लड़ाई की जिसमें सातों चौहान भाई मरे गए. चौहान भाइयों की सात स्त्रियाँ- भाटियाणी, नौरंगदे, पंवार तथा हीरू आदि सती हुई. कंसुपाल की संतान कसवां कहलाई. फाल्गुन सुदी 2 शनिवार, संवत 1150, 18 फरवरी, 1094, के दिन कंसुपाल का सात्यूं पर कब्जा हो गया. फ़िर सात्यूं से कसवां लोग समय-समय पर आस-पास के भिन्न-भिन्न स्थानों पर फ़ैल गए और उनके अपने-अपने ठिकाने स्थापित किए. [3] [4]

ज्ञानाराम ब्रह्मण की बही के अनुसार कंसुपाल के बाद क्रमशः कोहला, घणसूर, महसूर, मला, थिरमल, देवसी, जयसी और गोवल सीधमुख के शासक हुए. गोवल के 9 लडके थे- चोखा , जगा, मलक, महन, ऊहड, रणसी, भोजा और मंगल. इन्होने अलग अलग ठिकाने कायम किए जो इनके थाम्बे कहे जाते थे.

रणसी के अधिकार में जसरासर, दूधवामीठा, रिड़खला, सोमावासी, झारिया, आसलखेड़ी, गिनड़ी, पीथीसर, धीरासर, ढाढर, बूंटिया इत्यादि.

Notable person

External Links

References

  1. http://www.census2011.co.in/data/village/70497-somasi-rajasthan.html
  2. 'धरती पुत्र : जाट बौधिक एवं प्रतिभा सम्मान समारोह, साहवा, स्मारिका दिनांक 30 दिसंबर 2012', पेज 8-10
  3. गोविन्द अग्रवाल, चुरू मंडल का शोधपूर्ण इतिहास, पेज 115-116
  4. Dr Pema Ram, The Jats Vol. 3, ed. Dr Vir Singh,Originals, Delhi, 2007 p. 203-204

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