Suresh Choudhary

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शहीद सरपंच सुरेश चौधरी

Suresh Choudhary son of Shri Shera Ram was born at Keru in district Jodhpur. He was murdered on 18 May 2012 while removing illicit encroachment on Govt land.

परिचय

नाम - सुरेश चौधरी

उम्र- 37 वर्ष ।

पिता का नाम- श्री शेराराम बाड़ेता

ग्राम- केरू, (जोधपुर) ।

संतान- एक पुत्र, एक पुत्री ।

शिक्षा - बी.ए., बी.एड ।

शहीद- 18 मई 2012 प्रात: ।

अन्य जानकारी

अपने माता-पिता के इकलोते पुत्र शहीद सुरेश जी चौधरी उच्च शिक्षा काल के दौरान JNVU जोधपुर में एक संघर्षशील और औजस्वी छात्रनेता रहे थे । समाजसेवा में अग्रणी व अन्याय के विरूद्ध डटकर खडे रहना उनके व्यक्तीत्व की निशानी थी । औजपूर्ण चेहरे व पहलवानी शरीर (108 किलो वजनी) के धनी चौधरी जी ने उच्च शिक्षा पूर्ण कर अध्यापन क्षेत्र में कार्य शुरू किया । ग्राम केरु के एक सरकारी विद्यालय में अध्यापक के तौर पर लगे । जनवरी 2010 के ग्राम पंचायत चुनावों में एक युवा और शिक्षित उम्मीदवार के तौर पर सरपंच पद के खडे हुए । आपने प्रचार के दौरान साफ तौर से घौषणा की कि सरपंच बनने पर केरू ग्राम की दो मुख्य समस्याओं (1- पत्थर रॉयल्टी नाका गांव से बाहर किया जायेगा तथा 2- मुख्य चौराहे के पास वाली जमीन पर से अतिक्रमण हटाऊंगा) सहित अन्य रूके कार्यों को शुरू किया जायेगा । तत्पश्चात चुनावों में विजयी होकर सरपंच बने और कुछ ही महिनों में रॉयल्टी नाका गांव से बाहर कर दिया ।

चौराहे की जमीन का मामला

यह सरकारी जमीन थी जिस पर गांव के एक बनिये का अवैध कब्जा था । जब उसे पता चला कि सरपंच सुरेश यह जमीन चौराहे के लिए मुक्त करवाना चाहता है, तो उसने षडयंत्र रचना शुरू कर दिया । बनिये ने सरपंच सुरेश के विरोधी पूर्व सरपंच मगराज भंवरिया को आधी जमीन सौंप दी, जिस पर भंवरीया ने अवैध निर्माण करवा लिये । मार्च 2012 में ग्रामवासियों को साथ ले अवैध निर्माण को JCB से रौंद डाला तथा पत्थरों को निलामी के लिए ग्राम पंचायत में रखवा दिया । निलामी की तारीख 18 मई 2012 रखी गई ।

केरू सरपंच हत्याकांड

18 मई 2012,

जिस दिन पत्थरों की निलामी होनी थी, हमेशा की भांती सरपंच सुरेश चौधरी मार्निंग वॉक के लिए घर से निकले थे । ग्राम से 2 किमी बाहर दो हथियारबंद बोलेरो गाड़ी में सवार 10-15 गुंडों ने उन्हें घेर लिया । पहले उनपर गाड़ी चढायी, फिर तलवारों से ताबड़तोड़ वार किये । बचाव के लिए तलवारों को हाथ से पकड़ने के कारण अँगुलियाँ कट गयी । एक शेर का शिकार करने के लिए दर्जन भर गिदड़ों को घंटो संघर्ष करना पडा और इस प्रकार का एक युवा सरपंच ग्रामरक्षा में शहीद हो गया ।

हत्याकांड के बाद

जब गांव में हत्या की खबर फैली तो हजारों लोग इकट्ठे हो गया । शहीद के शव को उसी चौराहे पर रखकर गिरफ़्तारी की मांग की । आरोपी मगराज के घर में जमकर पथराव किया और घर को आग के हवाले कर दिया गया । शहीद सुरेश चौधरी को इंसाफ दिलाने के लिए मारवाड़ का प्रत्येक गांव उठ खडा हुआ । जोधपुर शहर बंद करवा दिया गया । हर तरफ पुलिस की तैनाती कर दी गई । प्रशासन व पुलिस की समझाईश के पश्चात उग्र भीङ शांत हुई ।

शहीद होना भी गौरवशाली लोगों को नसीब होता है ।

कोई देश के लिए तो कोई समाज के लिए ।

कोई जीवरक्षा में तो कोई मानवता के लिए ।

मारवाड़ धरा में तो ऐसे सैंकड़ों उदाहरण मिल जायेंगे ।

मूर्ति अनावरण

ग्राम के मध्य स्थित उसी चौराहे पर शहीद सुरेश चौधरी का अंतिम संस्कार किया गया । 18 मई 2013 को केरू सरपंच सुरेश चौधरी की कांस्य से बनी 18 लाख रूपये लागत की आदमकद प्रतिमा उसी विवादित जमीन पर स्थापित की गई, जिस जमीन को अतिक्रमण मुक्त करवाने के लिए उन्होंने अपने प्राण न्यौछावर किए । संत जगदीशप्रसाद महाराज श्रीराम आश्रम व राम भाखरी आश्रम के संत चेतनदास महाराज के सान्निध्य में भूमि पूजन कर सरपंच सुरेश चौधरी की प्रतिमा स्थापित की गई । इस अवसर पर सुरेश चौधरी के पिता और वर्तमान केरू सरपंच शेराराम, व्यापार मंडल के अध्यक्ष पूनमचंद चौधरी, समाजसेवी ईश्वरसिंह फौजी, सरपंच हत्याकांड संघर्ष समिति के अध्यक्ष नरेंद्र चौधरी, शायरसिंह राजपुरोहित, मांगीलाल, नेमीचंद, मंडोर प्रधान रुघाराम चौधरी सहित गांव के सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे । प्रतिमा को देखने सैकड़ों लोग उमड़े । अनावरण समारोह में मारवाड के समस्त जाट नेताओं ने उपस्थित होकर शहीद को श्रद्धा सुमन अर्पित किये ।


मुख्य बस स्टैंड पर उसी जमीन पर ग्रामीणों ने जुझारू सरपंच सुरेश चौधरी की मूर्ति लगाकर स्मारक बनाने का निर्णय लिया था । खास बात यह है कि ग्रामीणों ने सुरेश चौधरी का स्मारक बनाने के लिए 18 लाख का चंदा कर प्रतिमा बनाई है । आज शहीद सुरेश चौधरी हमारे बीच नहीं है मगर उनकी शहादत हजारों युवाओं के दिलो-दिमाग में एक आदर्श छाप छौड दी । शहीद केरू सरपंच की शहादत की गाथा मारवाड़ क्षेत्र में युगों युगों तक गायी जायेगी । शत शत नमन || जय वीर तेजाजी ||

लेखक

संदर्भ


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