Sutikshna Ashrama

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

District map of Satna

Sutikshan Ashrama (सुतीक्ष्णाश्रम) is the hermitage of Sutikshna Rishi located at a distance of 6 km. from Siddha Pahar (Mountain). It is connected with a concrete road from Jaitavara station. The Vigrahas (idols ) of Shri Ram, Laxman , Sita ji and Sutikshan muni are located here.[1]

Origin

Variants

  • Sutikshnashrama सुतीक्ष्णाश्रम, जिला बंदा, उ.प्र. (AS, p.973)
  • Sutikshna (सुतीक्ष्ण)

History

Birsinghpur is a sub district in Satna District in the state of Madhya Pradesh, India. Birsinghpur is situated on the north east in Satna district, at a distance of about 36 km from Satna and 61 km from Rewa. Another two road goes from Birsinghpur to Rewa via Semariya and second Chitrakoot via Majhgawan at a distance of about 60 kilometres (37 mi). Another road goes from Birsinghpur to Satna, Madhya Pradesh via Jaitwar, Kothi (MP SH-52). Birsinghpur has a 10th century temple of Lord Shiva, which is also known as the Gaivinath temple. Birsinghpur is a one of major pilgrim center for local area around Satna and Rewa district.

सुतीक्ष्णाश्रम

विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ... सुतीक्ष्णाश्रम (AS, p.973), जिला बंदा, उ.प्र. में इलाहाबाद-मानिकपुर रेल मार्ग पर जैतवारा स्टेशन से 20 मील और शरभंग आश्रम से सीधे जाने पर 10 मील पर स्थित है. वाल्मीकि रामायण में चित्रकूट से आगे जाने पर अनेक मुनियों के आश्रम से होते हुए राम-लक्ष्मण-सीता के ऋषि सुतीक्षण के आश्रम में पहुंचने का उल्लेख है. यहां वे वनवास काल के दसवें वर्ष के व्यतीत होने पर पहुंचे थे--'रमतः च आनुकूल्येन ययुः संवत्सरा दश । परिसृत्य च धर्मज्ञः राघवः सह सीतया ॥३-११-२७॥ सुतीक्ष्णस्य आश्रमम् श्रीमान् पुनर् एव आजगाम ह । स तम् आश्रमम् आगम्य मुनिभिः परिपूजितः ॥३-११-२८॥ तत्र अपि न्यवसत् रामः कंचित् कालम् अरिन्दमः । अथ आश्रमस्थो विनयात् कदाचित् तम् महामुनिम् ॥३-११-२९॥' अरण्यकांड 11,27-28-29. यहां से वे सुतीक्षण के गुरु अगस्त्य के आश्रम में पहुंचे थे. रघुवंश, 13,41 में पुष्पकविमानारूढ राम सुतीक्ष्ण का वर्णन इस प्रकार करते हैं,'हविर्भुजां एधवतां चतुर्णां मध्ये ललाटंतपसप्तसप्तिः । असौ तपस्यत्यपरस्तपस्वी नाम्ना सुतीक्ष्णश्चरितेन दान्तः ' सुतीक्षण आश्रम के आगे शरभंग आश्रम का तथा फिर चित्रकूट का वर्णन रघुवंश-13 में होने से सुतीक्ष्ण आश्रम की स्थिति उपर्युक्त अभिज्ञान के अनुसार ठीक समझी जा सकती है, क्योंकि चित्रकूट इस स्थान से अधिक दूर नहीं होना चाहिए. चित्रकूट भी जिला बांदा में ही है. अध्यात्म रामायण अरण्यकांड 2,55 में सुतीक्षण के आश्रम का इस प्रकार वर्णन है--'सुतीक्ष्णास्याश्रमं प्रागात्प्रख्यातमृषीसंकुलम्, सर्वतुर्गुण सम्पन्नं सर्वकालसुखावहम्' तुलसीदास ने रामचरितमानस, अरण्यकांड दोहा-9 के आगे सुतीक्ष्ण-राम-मिलन का मधुर वर्णन किया है. (देखें शरभंग आश्रम)

शरभंगाश्रम

विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ...शरभंगाश्रम (AS, p.890) : ज़िला बांदा (उत्तर प्रदेश) में इलाहबाद-मानिकपुर रेलमार्ग के जैतवारा स्टेशन से लगभग 15 मील दूर वनप्रांत में स्थित शरभंग के नाम से प्रसिद्ध स्थान को शरभंगाश्रम कहा जाता है। (दे.ऊनकेश्वर). यहाँ श्रीराम का एक मन्दिर स्थित है। शरभंगाश्रम का उल्लेख बाल्मीकि तथा कालिदास के अतिरिक्त तुलसीदास ने भी किया है- ‘पुनि आये जहं मुनि सरभंगा, सुन्दर अनुज जानकी संगा’। यह स्थान विराधवन के निकट ही स्थित था। (दे. विराधाकुंड). अध्यात्म. आरण्य. 2,1 में इसका वर्णन इस प्रकार है- ‘विराधे स्वर्गते रामो लक्ष्मणेन च सीतया, जगाम शरभंगस्य वनं सर्वसुखाबहम्’।रामायण की कथा के प्रसंग से इसकी अवस्थिति को ऊनकेश्वर की अपेक्षा जिला बांदा में मानना अधिक समीचीन जान पड़ता है. (दे. सुतीक्षणाश्रम)

सुतीक्ष्ण आश्रम परिचय

सुतीक्ष्ण आश्रम वह स्थान है, जहाँ महर्षि अगस्त्य के शिष्य सुतीक्ष्ण मुनि रहा करते थे। यह स्थान मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित वीरसिंहपुर से लगभग चौदह मील की दूरी पर स्थित है। शरभंग आश्रम से सीधे जाने पर दस मील पर यह पड़ता है। इस स्थान पर श्रीराम का मंदिर है। महर्षि अगस्त्य के शिष्य सुतीक्ष्ण मुनि यहाँ रहा करते थे। श्रीराम अपने वनवास के समय यहाँ पर्याप्त समय तक रहे थे। कुछ विद्वान वर्तमान सतना (मध्य प्रदेश) को ही सुतीक्ष्ण आश्रम का प्रतिनिधि मानते हैं। चित्रकूट से सतना का सामीप्य इस मत को पुष्ट करता है।[4]


सिद्धा पहाड़ से 6 कि.मी. दूर सुतीक्ष्ण मुनि का आश्रम है। जैतवारा स्टेशन से एक पक्की सड़क यहां तक आती है। यहाँ श्रीराम, लक्ष्मण, सीताजी तथा सुतीक्ष्ण मुनि के विग्रह हैं।[5]

External links

References