Swami Chaindas Lol

From Jatland Wiki
(Redirected from Swami Chain Das)
Jump to navigation Jump to search
लेखक:लक्ष्मण बुरड़क, IFS (R)

Swami Chaindas Lol (born:1905) (स्वामी चैनदास लोल), from Baloopura (बलूपुरा), Danta Ramgarh, Sikar, was a freedom fighter, social worker and reformer in Nagaur, Rajasthan.[1]

जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....स्वामी चैनदासजी लोल - [पृ.193] : आप गांव बलुपुरा ठिकाना सीकर रियासत जयपुर के रहने वाले हैं। परंतु अभी आप 20-22 साल से कस्बा लाडनू जोधपुर स्टेट में आबाद है। आपका जन्म संवत 1962 में भादवा सुदी 8 का है। आपने हिंदी व आयुर्वेदिक में विशारद की परीक्षाएं पास की है तथा आपकी विद्यास्थली खास लाडनू ही है। आपकी लेखनी बड़ी तगड़ी है और बोली में बड़े ही निपुण और चतुर हैं। आप नामी वैद्य हैं और इसमें आपका ध्येय यही है कि गरीबों की मुफ्त में सेवा की जाए। गरीबों के सहायक होने की वजह से ही सन् 1939 में माघ मास में लाडनू के जागीरदार ने रात के समय अपने गुंडे से आपके ऊपर हमला करवाया और उसमें आपको काफी चोट लगी। यहां तक कि 3-4 शरीर के अंग की हड्डी टूट गई। आपने कोई परवाह नहीं करते हुये किसानों व गरीबों की पहले से ज्यादा मदद करने लगे। आप सन 1937 से ही मारवाड़ लोक परिषद् के प्रमुख कार्य करते रहे हैं। लोग परिषद डीडवाना के आप प्रेसिडेंट हैं। आपने मारवाड़ लोक परिषद् का जलसा भी विशाल पैमाने पर लाडनू में करवाया। उसमें बाहर गांव की जनता ने खूब भाग लिया। आप राजनीति में खास हिस्सा लेने वाले हैं और जागीरदारों के जुल्मों के कट्टर खिलाफ हैं। किसानों के लिए रात दिन भूखे प्यासे दौड़-धूप कर रहे हैं।


[पृ.194] : आप शुरूआत से ही जाट सभा से ताल्लुक रखते हैं और अभी वाइस प्रेसिडेंट है। आपने न केवल जाति का बल्कि देश सुधार के लिए बड़े काम किए हैं। हिंदुस्तान में जाहिरा व्यक्ति हैं। अपने यहां अछूत पाठशाला बड़े ही सिलसिले से चला रहे हैं। आप ने किसानों के भविष्य के लिए जागीरदारों के खिलाफ कई राजनीतिक कार्य किए हैं और बड़ी-बड़ी राजनीतिक सजाएं भी भोगनी पड़ी परंतु सेवा कार्य में अटल रहे। आपकी रग-रग में तीव्र जोश व सेवाएं भरी हुई हैं। लाडनूं में जितने भी संस्थाएं हैं उन सब में आप का खास हाथ रहता है। आप दिल से कार्य करते हैं। आप अच्छे वैभवशाली हैं। आप सन 1940 के सत्याग्रह में तीसरे डिक्टेटर की हैसियत से जेल गए। चौधरी पन्नाराम जी आपके पिताजी थे।

गैलरी

सामाजिक सुधार के कार्य

सेवानिवृति के बाद सूबेदार पन्नाराम मण्डा ने जोधपुर, नागौर, डेगाना, डीडवाना आदि अंचलों में गाँव-गाँव व ढाणी-ढाणी जाकर किसानों को अन्यायकारी व्यवस्था का विरोध करने के लिए जाग्रत किया। इनके साथ निम्न क्रान्तिकारी स्वतंत्रता सेनानी थे:[3]

इन साथियों के साथ आपने किसानों में व्याप्त सामाजिक बुराइयों यथा मृत्यु-भोज, अंधविश्वास व अशिक्षा के विरुद्ध पूरे मारवाड़ में प्रचार किया। गाँवों में शिक्षा का प्रचार करना इनका मुख्य ध्येय था। जोधपुर, नागौर और डीडवाना में जाट बोर्डिंग की स्थापना की, बोर्डिंग के लिए चन्दा किया तथा लड़कों को जाट बोर्डिंग में भरती करने हेतु प्रोत्साहित किया। डीडवाना में निरंजनी साधुओं के अखाड़े गाढाधाम में जाट बोर्डिंग डीडवाना की स्थापना कर उसके वर्षों तक अध्यक्ष रहे तथा उसका कुशलता पूर्वक सञ्चालन आपने ही किया। इसमें पढ़कर अनेक विद्यार्थियों ने शिक्षा ग्रहण की। राजस्थान के नामी व्यक्तित्व परसराम मदेरणा ने आपकी प्रेरणा से ही शिक्षा ग्रहण करना आरम्भ किया था। नागौर के जाट बोर्डिंग का शुभारम्भ भी श्री मूलचंद जी सिहाग निवासी चेनार के सहयोग से आपने ही किया था।

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ

  1. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.193-194
  2. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.193-194
  3. 'जुल्म की कहानी किसान की जबानी' (2006), लेखक - भीमसिंह आर्य, प्रकाशक - मरुधर प्रकाशन, आर्य टाईप सेंटर- सुजानगढ़ (चूरू), पृ.212

Back to Jat Jan Sewak/The Freedom Fighters/The Reformers