Tagaram Choudhary

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Tagaram Choudhary

Tagaram Choudhary (Karwasara) (तगाराम चौधरी) (7th February, 1933 – 23rd January, 2017) was a social worker, politician and ‘Voice of Farmers’ in the western Marwar region of Rajasthan state. He was born in the village Nimboniyon Ki Dhani of Barmer district in the family of farmer Nand Ram Choudhary, a Karwasara Jat. An honest and venerated politician, Late Sh. Tagaram Choudhary was a Member of Legislative Assembly (MLA) from Barmer Constituency.

जीवन परिचय

बाड़मेर के विधायक रहे तगाराम चौधरी की अमिट पहचान गौ-सेवी किसान एवं उत्कृष्ट विकास पुरोधा के रूप में ख्याति प्राप्त है । खेमाबाबा के परम सेवक श्री तगाराम चौधरी का अद्भुत व्यक्तित्व समाज सेवा के लिए समर्पित रहा । वार्डपंच से राजनैतिक सफ़र प्रारंभ कर प्रधान होते हुए विधायक पद तक कुशल नेतृत्वकर्ता व जनसेवक के रूप में अव्वल रहे श्री चौधरी का जन्म अति साधारण कृषक परिवार में हुआ । आपने जीवन में कुल 54 बार विभिन्न पदों हेतु चुनाव लड़ा जिसमें आपको 50 चुनावों में सफलता प्राप्त हुई । पश्चिमी राजस्थान के मरुअंचल में जन्मे श्री चौधरी ने हर वर्ग के साथ मधुर सम्बन्ध रखते हुए अनुकरणीय उदहारण प्रस्तुत किये ।

जन्म से युवावस्था

तगाराम चौधरी का जन्म 7 फरवरी, 1933 को बाडमेर जिले की बायतु तहसील के ग्राम पंचायत माडपुरा बरवाला के ग्राम निम्बानियों की ढाणी में पञ्च नन्दराम चौधरी के परिवार में हुआ। आपने प्रारंभिक शिक्षा गाँव में प्राप्त की परन्तु आगे पढाई की पर्याप्त सुविधा न होने से शिक्षा प्राप्त नहीं कर सके । तत्पश्चात् आम जाटों के पुश्तैनी कार्य कृषि एवं पशुपालन में अपने माता-पिता का हाथ बंटाने लगे । भारत की आज़ादी के बाद की किसानों की परिस्थितयों को देखकर आपका युवा मन उद्वेलित हो उठता था ।

उनकी युवावस्था के दौरान छोटे-बड़े कई डाकू गिरोह सक्रिय थे जो किसानों के ऊँट, घी के घड़े, ऊनी वस्त्र, बकरी या भेड़ रात्रि को चोरी कर ले जाते थे । बड़े गिरोह के लोग डाका डालकर सोना चांदी के गहने तक लूट लेते थे । जागरूक एवं जज्बातों के धनी श्री तगाराम चौधरी और उनके भ्राता श्री जीवणाराम चौधरी दबंगाई से मुकाबला कर ऐसे डकैतों को पकड़कर पुलिस के हवाले कर देते थे व उनके पास बरामद चोरी का माल वापस मालिक को दे देते । इससे चोरों के मन में इनका खौफ पैदा हो गया । कईयों ने मार्ग बदल दिया तो कईयों ने चोरी करनी छोड़ दी । 1955 से 1970 तक के समय में आपने बहादुरीपूर्वक ऐसे कई चोरों की धरपकड़ की । इस से आपकी लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ती गयी ।

राजनैतिक जीवन

व्यवसाय से कृषक श्री चौधरी ने 1953 में हुए पंचायत चुनावों में प्रथम बार मात्र 20 वर्ष की अल्पायु में कवास ग्राम पंचायत के वार्ड पंच बनकर राजनीति की दहलीज पर पैर रखा । इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा । 1958 से 1961 तक उप सरपंच पद पर रहे । 1958 से 1973 तक 15 वर्षों तक माडपुरा बरवाला ग्राम सेवा सहकारी समिति के अध्यक्ष रहे । आप 1961 में माडपुरा बरवाला के सरपंच चुने गए । 1963 से 1964 तक बायतु पंचायत समिति के उप प्रधान रहे ।

बायतु पंचायत समिति के प्रधान पद के तो आप पर्याय ही बन गए । प्रधान पद पर आप 1965 से 1977 तथा 1981 से 1992 तक 24 वर्ष तक आसीन रहे । 1973 से 1977 तक बाड़मेर सेन्ट्रल कॅापरेटिव बैंक के अध्यक्ष रहे । 1988 से 1992 तक बाड़मेर जिला परिषद् के उप प्रमुख के पद पर रहे । लगातार कांग्रेस में रहने के बाद 1993 में आप भाजपा में सम्मिलित हो गए । बायतू ब्लॉक अध्यक्ष पद से शुरुआत कर 1998 से 2007 तक जिला भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष पद पर रहे । वरिष्ठ पार्टी कार्यकर्ताओं के अनुसार सीमान्त क्षेत्र के किसान जो अभी तक पार्टी से दूर थे उनको भाजपा की विचारधारा से जोड़ने का श्रेय श्री चौधरी को जाता है ।

पंचायती राज के वार्ड पंच से लेकर सरपंच, प्रधान, एवं उप जिला प्रमुख के पदों सहित सहकारिता के बैंक अध्यक्ष पद पर रहना इनकी न केवल लोकप्रियता अपितु जनसेवा के कार्यों के सही मूल्यांकन को दर्शाता है –

कुल दीपक कड़वासरो, माडपुरे रो मोड़ ।
परधानी प्रकट कीनी, जाट तगाराम जोर । ।

2003 में 12 वीं विधान सभा के चुनाव में बाड़मेर क्षेत्र से भाजपा की टिकट पर 30 हज़ार से अधिक मतों से विजयी हुए । विधायक पद पर रहते हुए तो आपने अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्यों की झड़ी लगा दी । यह वही समय था जब तेल और कोयले की खोज से बाड़मेर आर्थिक प्रगति की दिशा में कदम रख रहा था । उनके कार्यकाल के दौरान महत्वाकांक्षी मोहनगढ़-बाड़मेर लिफ्ट पेयजल परियोजना, नए राष्ट्रीय राजमार्ग (बर से बाड़मेर), भादरेश विद्युत संयंत्र की 8 इकाईयां, तेल क्षेत्र में आयल प्रोसेसिंग टर्मिनल सहित कई बड़े कार्य स्वीकृत व प्रारंभ हुए । उन्होंने विधानसभा में बाड़मेर क्षेत्र की समस्याओं को मुखरता से उठाया भले ही बाड़मेर में रिफाइनरी का मुद्दा हो या बाड़मेर के लिए पेयजल की समस्या । शिक्षा, चिकित्सा सहित अन्य क्षेत्रों की तमाम संवेदनशील समस्याओं पर अपना प्रभावी पक्ष रखा व उनका समाधान करवाया । उनके बारे में यह कहा जाता था कि एक बार यदि किसी काम को ठान लेते थे तो उसमें जुट जाते थे और पूरा करके ही दम लेते थे । प्रदेश-केंद्र स्तर तक लगातार किसान वर्ग के हितों की आवाज़ उठाने वाले श्री चौधरी स्वयं खेती के उच्च स्तरीय जानकार थे इसलिए किसान वर्ग व राजनीती क्षेत्र के लोगों ने उन्हें ‘हलशास्त्री’ के सम्मान से सुशोभित किया ।

समाज सेवा के कार्य

ग्रामीण क्षेत्र में पले-बढे एवं सरल, सहज व सादगीपूर्ण व्यक्तित्व के धनी श्री चौधरी का जीवन समाज-सेवा के क्षेत्र में अनुकरणीय रहा । अपने जीवनकाल में आप विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संगठनों-संस्थाओं से जुड़े रहे । आप खेमा बाबा मंदिर कमेटी बायतू के 1965 से लगातार जीवनपर्यंत अध्यक्ष पद पर रहे । इस पद पर रहते हुए आपने मंदिर निर्माण व विकास करवाया तथा खेमाबाबा मेले को ख्याति दिलाने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । आपने जाट समाज के विभिन्न संगठनों से जुड़े रहकर समाज के प्रति भी अपने दायित्व का निर्वहन किया । चौधरी श्री किसान छात्रावास कमेटी बाड़मेर व जाट चेरिटेबल ट्रस्ट बाड़मेर के अध्यक्ष रहे । श्री किसान छात्रावास बाड़मेर द्वारा 2009 में श्री चौधरी को ‘सर्वोच्च सेवा सम्मान’ से सम्मानित किया गया ।

बाड़मेर शहर में आने वाले समाज के यात्रियों के आवास सुविधा, छात्र-छात्राओं के लिए शिक्षण संस्थानों तथा छात्रावासों के निर्माण, शिक्षा के प्रोत्साहन तथा सामाजिक कुरीतियों को रोकने के प्रयासों के उद्देश्यों से जाट चैरिटेबल ट्रस्ट का गठन किया गया । ट्रस्ट के अध्यक्ष पद पर रहते हुए श्री तगाराम चौधरी ने 1997-98 में मेहनत कर ट्रस्ट की जमीन पर नोहरे के लिए 14 कमरों का निर्माण करवाया । स्वयं अधिक पढ़े-लिखे न होने के कारण उन्होंने शिक्षा का महत्व समझा व जीवनपर्यंत मालाणी क्षेत्र के युवाओं में शिक्षा की अलख जगाने हेतु कार्य करते रहे । युवाओं के लिए उनका सन्देश था कि “हमारा युवा वर्ग अनुशासित तथा राष्ट्रीयता की भावना रखने वाला होना चाहिए व युवाओं को बड़ो का आदर करते हुए कड़ी मेहनत से आगे बढ़ना चाहिए ।“ मरुधरा में पड़ने वाले अकाल में जन सहयोग से पशु शिविरों का सुचारू सञ्चालन कर गौ-धन को बचाने का सराहनीय कार्य किया ।

सन् 1987, 1988, 2000, 2003, 2005, 2006, 2007 व 2008 के भीषण अकालों में पशु शिविरों के माध्यम से गौ सेवा की –

गौ सेवा लोक सेवा, सेवा करत तमाम ।
निम्बावत नन्दराम रा, रंग हो तगाराम । ।

निधन

दिनांक 23 जनवरी, 2017 को प्रातः 5 बजे श्री चौधरी ने जोधपुर के एम.डी.एम. अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली। आप काफी समय से अस्वस्थ चल रहे थे। और इस तरह समस्त मालाणी क्षेत्र की आंखो का यह तारा सदा सदा के लिए अमर हो गया। उनकी अंतिम यात्रा में हजारों लोगों ने शामिल होकर जनता के सच्चे सेवक को श्रद्धांजलि अर्पित की । श्री चौधरी के पैतृक गाँव निम्बानियों की ढाणी जिला बाड़मेर में बाड़मेर-जोधपुर हाईवे पर उनका समाधि स्थल है जिनकी प्रतिमा का अनावरण दिनांक 2 फ़रवरी, 2017 को मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने महंत श्री ओंकार भारती जी के सानिध्य में किया ।

कवि गोविन्द सारण की कलम से -

                                         बाढ़ाणै भल चौधरी, तगजी थारौ नाम ।
                                         माडपरो गाँव थोरो, पिता हवै नंदराम । ।
                                         सेवा तो अणूत करी, सखरा करया काम ।
                                         सिरपस बण माडपुरै, घणा कमाया काम ।
                                         सिक्को जमायो चौधरी, बण बायतू प्रधान ।
                                         जात-पांत छेटी रया, मिनख करी पैचाण ।
                                         देसी नेता थे हुया, अचरज कीना नाम ।
                                         चौमाळा काळ मायने, तगजी दीना दाम । ।
                                         घणा खोलाया डीपू, बचाया गऊ गराम ।
                                         घर घर दीनी बाजरी, चौखा करया काम । ।
                                         विधायक बणे चौधरी, जैपर कीनो नाम ।
                                         ऐड़ा जबरा चौधरी, हा जाट तगाराम । ।

तगाराम चौधरी का परिवार

आपकी धर्मपत्नी गवरीदेवी ग्राम पंचायत माडपुरा बरवाला की 1995 से 2009 तक तीन बार लगातार सरपंच रह चुकी हैं । आपके तीन पुत्रों में सर्वप्रथम इंजीनियर श्री शिवजीराम चौधरी जलदाय विभाग में रहते हुए सरकार व क्षेत्रीय समाज की सेवा कर रहे हैं । श्री शिवजीराम के भाई समाज सेवी स्वर्गीय श्री कुम्भाराम चौधरी ठेकेदारी का व्यवसाय करते थे । उनसे छोटे भाई श्री चैनाराम चौधरी वर्तमान में भाजपा बायतु ब्लॉक अध्यक्ष रहते हुए समाज सेवा के कार्य में लगे हुए हैं व उनकी धर्मपत्नी सिगरती देवी वर्तमान में बायतु क्षेत्र से पंचायत समिति सदस्य है । श्री तगाराम चौधरी के सबसे बड़े पौत्र व श्री शिवजीराम के पुत्र युवा उद्यमी श्री दीपक कड़वासरा (Deepak Karwasara) प्रतिष्ठित संस्थानों आई.आई.टी. दिल्ली से कंप्यूटर साइंस में बी.टेक. व आई.आई.एम. बैंगलोर से एम.बी.ए. करने के उपरांत वर्तमान में बाड़मेर में समाज सेवी के रूप में जनहित कार्यों में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं ।

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सन्दर्भ

  • जोगाराम सारण: बाड़मेर के जाट गौरव, खेमा बाबा प्रकाशन, गरल (बाड़मेर), 2009 , पृ. 233-234, पृ. 254
  • जाट समाज स्मारिका, मालाणी बाड़मेर – 2011, पृ. 100-101

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