Lal Singh Sinsinwar

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Thakur Lal Singh Sinsinwar

Thakur Lal Singh Sinsinwar (1889-4.12.1951) was a an educationist, politician, freedom fighter and social worker from Bhopal, Madhya Pradesh.

जीवन परिचय

स्व.ठाकुर मास्टर लाल सिंह (सिनसिनवार) का जन्म संवत् 1946 सन् 1889 ई.में स्व. ठाकुर वीरा सिंह जी के यहां भोपाल में हुआ था । इन्होंने क्रिश्चियन कॉलेज इंदौर से BA पास किया। वर्ष 1913 के लगभग उन्होंने जहांगिरिया स्कूल भोपाल में अध्यापन कार्य शुरू किया।

आपका जीवन धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों का केन्द्र बिन्दु रहा । इन्होंने भोपाल में कन्या शाला खोलकर स्त्री शिक्षा का श्रीगणेश किया। वर्ष 1924 में भोपाल में पहला अनाथालय शुरू कराया । वर्ष 1935 में सरकारी नौकरी छोड़कर हिंदू महासभा भोपाल की स्थापना की । आपने साप्ताहिक समाचार प्रजा पुकार निकाला बाद में किसान व पथ प्रदर्शक के नाम से भी पत्र निकाले जिसमें अछुतोद्धार और नारी चेतना की आवाज बुलंद की । कुछ समय पश्चात पंडित मदन मोहन मालवीय के परामर्श से प्रजा मंडल नामक राष्ट्रीय संस्था के द्वारा अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार किया। सन 1949 में भोपाल रियासत के भारतीय गणतंत्र में विलय हो जाने पर भोपाल प्रजामंडल का अखिल भारतीय कांग्रेस में विलय हो गया और ठाकुर साहब कांग्रेस में आ गये। सन् 1949 में भोपाल की ओर से कांस्टीट्यूएंट असेंबली में नई दिल्ली भेजे गए जो वह 1951 दिसंबर में मृत्यु होने तक बने रहे। 4 दिसंबर 1951 में जीप एक्सीडेंट से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया बैरागढ़ रोड पर आहत हुए और स्वर्गवासी हो गये।

सन् 1813 में मास्टर लाल सिंह जी के पूर्वज, भरतपुर में अंग्रेजों के दखल के बाद भरतपुर से चले थे । तब से ही उन्होंने छद्म नाम रख लिए थे। स्व.श्री मोती सिंह, अगली पीढ़ी स्व.श्री हीरा सिंह उससे अगली पीढ़ी के श्री लाल सिंह जिनका पुत्र पुनः मोती सिंह नाम धारण करेगा। उनके नेतृत्व में हज़ारों जाट परिवार चले थे और राजगढ़, धार आदि अनेक पड़ाव डालते हुए बचे हुए लोग बैरसिया रोड जिला भोपाल की बंजर भूमि को आबाद कर यहॉ बस गए।

आज़ादी के बाद भरतपुर महाराज के प्रधानमंत्री कर्नल घमंडी सिंह जी तीन दिन इनके यहां आकर रुके थे। वे सभी को भरतपुर वापिस चलने का न्योता देने आए थे जिसे लालसिंह जी ने विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिया । परन्तु अपने बेटे नारायण के नाम से पहले बृजेन्द्र जोड़ दिया जो भरतपुर वालों का टाईटल है। ये योद्धा भोपाल नवाब की सेना में भर्ती नहीं हुए अपितु अपने शस्त्रों के साथ व्यापारियों को दस्युओं से सुरक्षा प्रदान करते थे। लालसिंह जी की सात पीढ़ी से एक मात्र पुत्र ही हो रहा था। श्रीबृजेन्द्र नारायण सिंह जी भी इकलौते थे। उनकी एक बहिन हो कर नहीं रही थी। उसी समय गांव से नारायणी देवी जी की माता प्रसव के लिए आई हुई थीं। बुआ के ना रहने पर उन्होंने कहा कि इसे भी आपकी बेटी ही समझिए। इस तरह उनका लालन-पालन और विवाह लालसिंह जी के घर से हुआ। उससे अगली पीढ़ी में भी एक ही पुत्र हैं श्री भरत सिंह जी, पर बहिने चार हैं। उनके घर भी एक बेटा है चिरंजीव करण और दो बेटियां हैं।

लालसिंह जी ने बी.ए. ऑनर्स किया था और फर्स्ट क्लास फर्स्ट आये थे। इनके बेटे स्व.श्री बी एन सिंह जी भी प्रायमरी से लेकर एम एस सी तक हमेशा प्रथम स्थान पर ही रहे। स्वतंत्रता संग्राम में लाल सिंह जी के जेल जाने से व्यथित उनकी पत्नी ने जमीन पर सोना और एक समय भोजन जैसे कष्ट उठा कर असमय देह त्याग कर दिया था । उस समय श्री बी एन सिंह जी मात्र आठ वर्ष के थे। लाल सिंह जी ने पुनः विवाह नहीं किया ।

हिन्दू मुस्लिम दंगों में अपहृत बालिकाओं को मुक्त करा कर स्वयम् उनका कन्यादान किया था । बैरसिया में उनके बनवाये दो हायर सैकण्डरी स्कूल हैं । एक कन्या,और दूसरा बालक विद्यालय। वे पूरे भोपाल में अंग्रेज़ी और गणित के मूर्धन्य विद्वान माने जाते थे। नवाब का खुल कर विरोध करने के कारण आर्थिक परेशानियां आती रहती थीं। वे सीधे वाइसराय को पत्र लिख कर शिकायत कर देते थे और उस पर एक्शन भी होता था। एक बार विदिशा से भी चुनाव लड़ा था। वो जीवन का हर चुनावों जीते। उनकी लोकप्रियता पूरे मध्य भारत में थी। उनकी मृत्यु पर धार नगर तक में तीन दिन तक दुकानें स्वप्रेरणा से बन्द रही थीं।

श्री लालसिंह जी के पुत्र श्री बृजेन्द्र नारायण सिंह का जन्म भोपाल में हुआ और और शिक्षा भी। मैट्रिक विदिशा से। एग्रीकल्चर में बी एस सी आगरा के राजपूत कॉलेज से। एम एस सी अमेरिका की नेब्रास्का यूनिवर्सिटी से। ब्लॉक फिर डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट अधिकारी के रूप में नौकरी। डिप्टी प्रोडक्शन कमिश्नर , कृषि विभाग के संचालक,सीड कॉर्पोरेशन के मैनेजिंग डाइरेक्टर जैसे शीर्ष पदों पर रहे। उनका विवाह मन्दसौर निवासी आर्य समाज के लिए शहीद हुए मेघराज जी आर्य के पुत्र डॉक्टर रघुनाथ सिंह देवगढ़ा की एकमात्र सन्तान चित्रा से हुआ था जो क्रांतिकारियों को संरक्षण देने के लिए लखनऊ से पढ़ाई करने के बाद जतारा और टीकमगढ़ जैसे गुमनाम स्थान पर रहे। उनकी चार पुत्रियां और एक पुत्र हैं।

भरत सिंह जी ने मॉडल स्कूल भोपाल से स्कूल , MACT से मेकैनिकल इंजीनियरिंग तत्पश्चात आल इंडिया प्रतियोगी परीक्षा से ऑर्डनेन्स फैक्ट्री जॉइन की। उन्हें सर्वश्रेष्ठ जनरल मैनेजर एवम् उनकी फैक्ट्री को लगातार तीन वर्ष तक सर्वश्रेष्ठ का पुरुस्कार मिला। देश की गौरवमयी उपलब्धि धनुष गन विकसित करने में उनकी अग्रणी भूमिका रही। जनवरी 2020 में बोर्ड मेम्बर के पद तक पहुंच कर सेवा निवृत्त हुए। कनेरा गांव बेरसिया रोड में इनकी कृषि भूमि है । भोपाल और हैदराबाद में वर्तमान निवास है।

ठाकुर लाल सिंह जी की एक दत्तक पुत्री स्व.श्रीमती नारायणी बाई, अध्यापक थी । इनके दो पुत्र हुए स्व.श्री नरेन्द्र कुमार सिंह, बैंक आफिसर एवं स्व.श्री कमलेंद्र कुमार सिंह, कार्यपालन यंत्री, एमपीईबी थे । श्री नरेन्द्र कुमार सिंह की धर्मपत्नी श्रीमती शकुन्तला सिंह, सेनि अध्यापिका हैं । इनके दो पुत्र श्री भूपेन्द्र सिंह,ठेकेदार एवं श्री ऋषि कुमार सिंह , निजी कम्पनी में सेवारत हैं। दुसरे पुत्र श्री कमलेन्द्र कुमार सिंह की धर्मपत्नी श्रीमती लक्ष्मी सिंह ग्रहणी है । इनका एक पुत्र और दो पुत्रियां हैं । श्री अखिलेश सिंह,ठेकेदार हैं ।

स्रोत

स्रोत - संतोष ठाकुर भोपाल (9826546968) को जैसा उनके पारिवारिक सदस्यों ने अवगत कराया ।

सम्मान

आपके नाम से पुराने शहर भोपाल में मास्टर लाल सिंह हॉस्पिटल, लाल सिंह पार्क और लाल सिंह शासकीय स्कूल आज भी हैं।

गैलरी

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ

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