Thakur Niranjan Singh

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Thakur Niranjan Singh

Niranjan Singh Durvasa (23.01.1905 - 16.10.1968) also known as Thakur Niranjan Singh, was freedom fighter and Member, Madhya Pradesh Legislative Assembly, 1946-57; Leader of the Opposition, Madhya Pradesh Legislative Assembly, 1950-51, 1953-55 and 1956-57. He was Member, Rajyasabha (3-4-1958 to 2-4-1964 and 3-4-1964 to 16-10-1968).

He was born on 23.01.1905 in family of Riddh Singh Durvasa at village Bahoripar, Narsinghpur, Madhya Pradesh.

His family

His son Sri Avnindra Singh, Retired Chief Engineer . His daughters are 1. Smt Dipty Prabha is wife of Late Dr. Aniruddh Singh Narolia Bhopal(1.7.1933-25.4.2013). 2. Smt. Vidyut Pawar w/o Mahipal Singh Pawar 3. Smt. Jyoti Prabha Verma w/o Suresh Verma 4.Smt. Arun Prabha Dahiya w/o Surendra Dahiya. 5. Smt. Mani Prabha Jat w/o Advocate Jagdish Jat (Jajda), Bhopal. 6. Smt. Shruti Prabha Palsaniya w/o J.P. Jat.

In Freedom Movement

After the establishment of Indian National Congress in the year 1885, in Narsinghpur district the feeling for Independence was prevalent and strong efforts were made by the people here to gain independence from the British.Being motivated by the efforts under the leadership of Lokmanya Tilak,Subhash Chandra Bose, Mahatma Gandhi and Pandit Jawahar Lal Nehru people joined freedom movement. Among the leaders of this district were Gayadutt, Manik Chand Kochar, Choudhary Shankar Lal ,Thakur Niranjan Singh and Sri Shyam Sunder Narayan Musharan who lead the people of this district towards the Independence movements. In a bid to break the unity and enthusiasm of the people, the British, once again partitioned the district and merged it with Hoshangabad district but even then, enthusiasm as well as fight for independence continued in the minds of the people. During the mass demonstration of satyagrah at Chichli in the year 1932 Mansharam and Gauradevi lost their lives during Police firing.[1]

Thousands of revolutionaries faced the atrocities of British rule and gave an example of strong devotion for the country and snipe against the British rule. When country got Independence in the year 1947 on 15th August, a new era started in the history of Narsinghpur district. After 9 years of Independence when states were reorganized on the basis of languages, Narsinghpur, once again, became district on 1st November 1956.

क्रांतिवीर ठाकुर निरंजन सिंह का परिचय

ठाकुर निरंजन सिंह मध्य प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक व्यक्ति थे। क्रांतिवीर ठाकुर निरंजन सिंह 23 जनवरी 1905 को नरसिंहपुर के बहोरीपार ग्राम में ठाकुर ऋद्ध सिंह और कमला देवी के घर उनका जन्म हुआ। प्रारंभिक शिक्षा सिंहपुर, खंडवा, नरसिंहपुर में हुई। भोपाल के जननेता मास्टर लाल सिंह के सानिध्य में उन्होंने मैट्रिक और बनारस से बीए की परीक्षा उत्तीर्ण की।

स्वतंत्रता संग्राम में उनकी गतिविधियों का केंद्र आगरा और फिर महाकौशल बना। ठाकुर निरंजन राष्ट्रवादी कवि पंडित माखनलाल चतुर्वेदी के प्रभाव में आए। फलतः 1921 के असहयोग आंदोलन में विद्यालय का बहिष्कार कर दिया और 1923 के नागपुर के झंग सत्याग्रह में भाग लेने पर गिरफ्तार कर लिए गए। आंदोलन धीमा पड़ने पर पुनः अध्ययन करने के लिए जब वे आगरा पहुंचे तो वहाँ उन्हें प्रेरित करने के लिए श्रीकृष्णदत्त पालीवाल पहले से मौजूद थे। 1923 के झंग सत्याग्रह में उन्हें नागपुर में गिरफ्तार कर 15 दिन की सजा सुनाई गई।

जेल यात्रा: ठाकुर निरंजन सिंह का समय राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेने और जेल की सजाएं काटने में बीतता रहा। 1930, 1931, 1932, 1933 और 1940 में उन्हें गिरफ्तार किया गया। 1942 में वे भूमिगत हो गए थे। बाद में गिरफ्तार करके सेंट्रल जेल में डाले गए तो बरसात की एक रात में जेल की ऊँची दीवारों को लांघकर फरार हो गए। फरारी का यह जीवन उन्होंने साधु का वेश धारण करके विदेशी सरकार के विरुद्ध आंदोलन को गति प्रदान करने में बिताया। बाद में जब पकड़े गए तो पैरों में बेड़ी और हाथों में हथकड़ी डालकर उन्हें 6 महीने अलग कोठरी में बंद रखा गया था।

20 नवंबर 1930 से 9 मार्च 1931 तक उन्होंने फैजाबाद जेल में कारावास की सजा काटी। भारत रक्षा कानून के अंतर्गत उन्हें 5 दिसंबर 1940 से 8 मई 1941 तक जेल में रखा गया, जिसमें पहले 3 दिन नरसिंहपुर और बाकी अवधि में नागपुर जेल में रहे। 1943 से 1945 तक उन्हें पुनः नागपुर में कारावास काटना पड़ा। इसी बीच डॉ राम सिंह गौर के साथ वे नागपुर की जेल से फरार हो गए थे और पकड़े जाने पर डंडा-बेड़ी लगाकर जेल में रखे गए। बनारस में अध्ययन करते हुए वे चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल, राजगुरु जैसे क्रांतिकारियों के संपर्क में आए। पश्चात उन्हें गणेश शंकर विद्यार्थी, कृष्ण दत्त पालीवाल, रफी अहमद किदवई, आचार्य कृपलानी का सानिध्य मिला।

ठाकुर निरंजन सिंह नरसिंहपुर डिस्ट्रिक्ट काउंसिल के अध्यक्ष रहे और मध्य प्रांत की पहली विधानसभा के लिए चुने गए। 1957 से दो बार उन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया।1937 से 1947 तक वे नरसिंहपुर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। 1937 से 1950 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे। 1940 से 1946 तक महाकौशल कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी के सदस्य रहे। 1949 में ठाकुर साहब ने महाकौशल लोकतांत्रिक मोर्चा कायम किया। 1951 में कांग्रेस छोड़कर किसान मजदूर प्रजा पार्टी के संस्थापकों में रहे। फिर प्रजा समाजवादी पार्टी के मध्य प्रदेश के सूत्रधार बने।

विधानसभा और राज्यसभा के मुखर सदस्यों के रूप में उन्होंने अपनी छाप छोड़ी। सदन में उनकी बात गौर से सुनी जाती थी।

वह यायावर प्रवृत्ति के थे। लगातार घूमते ही रहते थे। यात्रा के दौरान ही वे इस संसार से विदा भी हुए। 16 अक्टूबर 1968 को भोपाल से नरसिंहपुर जाते हुए ट्रेन में ही वह अंतिम यात्रा पर चले गए।

ठाकुर निरंजन सिंह जन्म महोत्सव: 23.01.2023

ठाकुर निरंजन सिंह की प्रतिमा, ग्राम बहोरी पार, नरसिंहपुर, मध्य प्रदेश

नरसिंहपुर जिले के गौरव क्रांतिवीर ठाकुर निरंजनसिंह जी का 23.01.2023 को 118 वाँ जन्म महोत्सव का मनाया गया। इस अवसर पर उनकी जन्मभूमि ग्राम बहोरी पार मे ठाकुर निरंजन सिंह न्यास के द्वारा उनकी प्रतिमा की स्थापना की गई। उक्त प्रतिमा के अनावरण का कार्यक्रम भी निर्धारित किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ समाजवादी चिंतक एवं विचारक श्री रघु ठाकुर जी के द्वारा ठाकुर निरंजन सिंह जी की प्रतिमा का अनावरण किया गया और इस अवसर पर उनके साथ राज्यसभा सांसद श्री कैलाश सोनी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्री एन.पी. प्रजापति पूर्व मंत्री एवं विधायक श्री जालम सिंह जी एवं ठाकुर निरंजन सिंह जी के सुपुत्र अवनींद्र सिंह एवं अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। उक्त कार्यक्रम के मंच का संचालन श्री लाल साहब के द्वारा किया गया। उक्त कार्यक्रम में इस अवसर पर ठाकुर निरंजन सिंह जी को याद करते हुए श्री रघु ठाकुर ने उनके प्रत्यक्ष एवं समावेशी एवं सर्व स्वीकार्य समाजवाद पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा ठाकुर निरंजन सिंह में गांधी डॉ राम मनोहर लोहिया एवं सरदार भगत सिंह की स्थिति थी। वह गांधी की तरह आचरण और व्यवहार करते थे। लोहिया की तरह सोचते और भगत सिंह की तरह उसे क्रियान्वयन करते थे। उन्होंने यह भी कहा - ठाकुर निरंजन सिंह जी की प्रतिमा लगा देना ही सब कुछ नहीं है सच्चे अर्थों में उन्हें याद करने के लिए हमें उनके बताए हुए रास्ते पर चलना चाहिए और प्रत्येक मनुष्य को स्वत: को ठाकुर निरंजन सिंह का प्रतिरूप समझना चाहिए और आचरण करना चाहिए तभी हमारी संपूर्ण श्रद्धांजलि एवं उनको अपना सम्मान प्रकट कर सकते हैं।

इस कार्यक्रम के अवसर पर राज्यसभा सांसद श्री कैलाश सोनी जी ने भी संबोधित किया। उन्होंने ठाकुर निरंजन सिंह जी के क्रियाकलापों एवं उनके द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में स्कूल कॉलेजों की स्थापना आदि की चर्चा की। भाई जालिम से पूर्व मंत्री एवं विधायक ने भी श्री ठाकुर सिंह जी का पुण्यस्मरण किया। उन्हें महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बताया। भाई एनपी प्रजापति, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा भी सभा को संबोधित किया गया। उन्होंने श्री निरंजन सिंह जी को क्रांतिकारी एवं समाज का प्रणेता बताया। कार्यक्रम के अवसर पर श्री कैलाश सोनी, जालम सिंह जी, एनपी प्रजापति ने ग्राम बहोरीपार का नाम निरंजन नगर करने का प्रस्ताव रखा। इस संबंध में भाई जालम एवं श्री एन. पी.प्रजापति जी ने कहा कि वह इस संबंध में विधानसभा में प्रस्ताव पारित कराएंगे और इस गांव का नाम निरंजन नगर कराएंगे। ठाकुर निरंजन सिंह जी की प्रतिमा के आसपास भवन एवं प्रांगण के लिए कैलाश सोनी जी ने ₹5,00,000 और एन.पी. प्रजापति जी ने भी ₹5,00,000 की सहायता की घोषणा की।

नरसिंह पुर के ग्राम बहोरीपार में ठाकुर निरंजन सिंह की जन्मस्थली में उनकी मूर्ति-अनावरण के अवसर के चित्र:23.01.2023

Source

Source - Santosh Thakur, Bhopal mob. 9826546968

Bio data from Rajya Sabya Website

A short bio data of Thakur Niranjan Singh is available at the website of Rajya Sabya, which is copied below.

SINGH, SHRI NIRANJAN : B.A.; P.S.P. (Madhya Pradesh); s. of Thakur Riddhi Singh; b. 1906; m. Shrimati Dayavati Shastri, 1 s. and 5 d.; Member, Madhya Pradesh Legislative Assembly, 1946-57; Leader of the Opposition, Madhya Pradesh Legislative Assembly, 1950-51, 1953 -55 and 1956-57; Member, Rajya Sabha, 3-4-1958 to 2-4-1964 and 3-4-1964 to 17-10-1968; Secretary/Chairman, P.S.P., Madhya Pradesh; Died. Obit. on 18-11-1968.[2]

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References


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