Tilottama

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Tilottama (तिलोत्तमा) is name of a river and a village in Nepal. Tilottama is a town in Rupandehi District of western Nepal. Tilottama was an Apsara (celestial nymph) described in Hindu mythology.

Origin

Variants

History

Tilottama city is named after the local Tilottama River. Whereas, the Tilottama river was named after an Apsara named Tilottama as described in Hindu mythology. "Tila" is the Sanskrit word for sesame seed or a bit and "uttama" means better or higher. Tilottama therefore means the being whose smallest particle is the finest or one who is composed of the finest and highest qualities.[1]

Tilottama Apsara

In the Hindu epic Mahabharata, Tilottama is described to have been created by the divine architect Vishwakarma, at Brahma's request, by taking the best quality of everything as the ingredients. She was responsible for bringing about the mutual destruction of the Asuras, Sunda and Upasunda. Even gods like Shiva and Indra are described to be enamoured of Tilottama. While a legend talks about a pre-birth as an ugly widow, another narrates how she was cursed to be born as a Daitya (demon) princess Usha by sage Durvasa.


Identity of 5 Apsaras: Ramayana mentions the Urvashi, Rambha, Menaka and Tilottama among Panchāpsaras.[2]

तिलोत्तमा

विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ...तिलोत्तमा (नेपाल) (AS, p.405) बुटवल के निकट में बहने वाली नदी जिसका संबंध पौराणिक अनुश्रुतियों में तिलोत्तमा नामक अप्सरा से बताया जाता है. कहा जाता है कि तिलोत्तमा में सृष्टि की श्रेष्ठ स्त्रियों के सौंदर्य के सभी गुण वर्तमान थे.

तिलोत्तमा अप्सरा

तिलोत्तमा नाम की एक अप्सरा का पुराणों में कई स्थानों पर उल्लेख हुआ है। इसके बारे में अलग-अलग संदर्भ प्राप्त होते हैं। तिलोत्तमा के विषय में कहा जाता है कि वह परम सुन्दरी थी। माना जाता है कि तिलोत्तमा की रचना के लिए ब्रह्मा ने तिल-तिल भर संसार की सुंदरता को इसमें समाहित किया था, इसीलिए इसका नाम 'तिलोत्तमा' पड़ा। सुन्द और उपसुन्द नाम के दो दैत्य, जो कि आपस में भाई थे और एक-दूसरे से बहुत प्रेम करते थे, वे भी तिलोत्तमा को पाने के लिए आपस में लड़ बैठे और मारे गये। पुराणानुसार तिलोत्तमा अति रूपवती अप्सरा थी। कहा जाता है कि इसकी सृष्टि करने के लिए ब्रह्माजी को संसार भर की सुन्दर वस्तुओं में से तिल-तिल भर लेना पड़ा था। तिलोत्तमा आश्विन मास (वायुपुराण के अनुसार माघ) में अन्य सात सौरगण के साथ सूर्य के रथ की मालकिन है। ब्रह्मा के हवनकुंड से इसका जन्म हुआ था। (वायुपुराण 69.59)

हिरण्यकशिपु के वंश में निकुंभ नामक एक असुर उत्पन्न हुआ था, जिसके सुन्द, उपसुन्द नामक दो पुत्र थे। [4] विश्वविजय करने की इच्छा से सुन्द और उपसुन्द दोनों विन्ध्यांचल पर्वत पर तप करने लगे। जब ब्रह्मा प्रसन्न होकर वर देने आये तो इन दोनों ने अमरत्व का वरदान माँगा। ब्रह्मा ने यह वरदान देने से इंकार कर दिया। तब दोनों भाइयों ने सोचा कि उनमें तो आपसी प्रेम बहुत अधिक है और वे कभी भी आपस में नहीं लड़ सकते। इसीलिए उन्होंने ब्रह्माजी से कहा कि उन्हें यह वरदान मिले कि एक-दूसरे को छोड़कर त्रिलोक में उन्हें किसी से मृत्यु का भय न हो। ब्रह्मा ने उन्हें यह वरदान दे दिया। ब्रह्मा से वरदान पाने के बाद सुन्द और उपसुन्द के अत्याचारों से संसार त्रस्त हो उठा था। अत: इन दोनों भाइयों में विरोध उत्पन्न कराने के लिए ही ब्रह्मा ने तिलोत्तमा अप्सरा की सृष्टि की। सुन्द, उपसुन्द के निवास स्थान विन्ध्य पर्वत पर तिलोत्तमा भेज दी गई। तिलोत्तमा को देखते ही दोनों भाई उसे पाने के लिए आपस में लड़ने लगे और एक-दूसरे के हाथों मारे गए। [5] दुर्वासा ऋषि के शाप से यही तिलोत्तमा बाण की पुत्री हुई थी। माघ मास में यह सौर गण के साथ सूर्य के रथ पर रहती है। अष्टावक्र ने इसे शाप दिया था। [6]

संदर्भ: भारतकोश-तिलोत्तमा

External links

References

  1. "Tilottama Municipality: Tilottama Municipality, Rupandehi".
  2. Ananda W. P. Guruge, 1991, The Society of the Ramayana, Page 180-200.
  3. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.405
  4. पौराणिक कोश |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संपादन: राणा प्रसाद शर्मा |पृष्ठ संख्या: 200 |
  5. महाभारत आदिपर्व 211.19
  6. विष्णुपुराण 2.10.16; 5.38.73.77