Trikuta

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(Redirected from Trikuta Parvata)
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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Trikuta (त्रिकूट) means a three peaked mountain. It appears in Hindu mythology at various places.

Variants

Mention by Pliny

Pliny[1] mentions Arabia.... There are also the port of Gobœa, the desert islands called Bragæ, the nation of the Thaludæi, the region of Dabanegoris, Mount Orsa, with a harbour, the gulf of Duatus, with numerous islands, Mount Tricoryphos26, the region of Cardaleon, and the islands called Solanades, Cachinna, and that of the Ichthyophagi.


26 Or the mountain "with the Three Peaks."

History

1. Trikakud (त्रिककुद्) is the name of Trikuta of Punjab in Chenab Valley mentioned in Atharvaveda. At present it is known as Trikota.[2]

2. Trikuta Parvata mentioned by Kalidasa located in Thane district of Maharashtra.

3. Trikut Hill in Jharkhand near Vaidyanatha, the source of origin of Mayurakshi River, about 16 kms from Deoghar in Jharkhand state.[3]

4. Trikuta Parvata mentioned in Ramayana on which was settled Lanka of Rawana, claimed to be the Sri Pada mountain in Sri Lanka.

5. Trikuta is one of the twenty mountains surrounding Maha-Meru. The height is said in the Bhagavata Purana to be 10,000 yojanas, and the three peaks are iron, silver and gold. The mountain is believed to be (according to Hindu mythology) the second home of the divine goddess Durga. She was created with the power of the three goddesses to end evil, hence, the mountain is called Trikuta.

6. Trikuta in Jammu: Another Trikuta is located in Jammu division. Trikuta, the triple peak, is where the holy shrine of Vaishno Devi can be found.[4]

त्रिकूट

विजयेन्द्र कुमार माथुर[5] ने लेख किया है ...1. त्रिकूट (AS, p.414) = त्रिककुद्. त्रिककुद् अथर्ववेद में वर्णित है. त्रिकूट नाम परवर्ती साहित्य का है. यह चिनाब नदी की घाटी (पंजाब) का वर्तमान त्रिकोट पर्वत है.विष्णु पुराण 2,2,27 में वर्णित त्रिकूट को मेरू का केसराचल कहा गया है--'त्रिकूट: शिशिरश्चैव पतंगोरुचकस्तथा, निशादाद्या दक्षिणतस्तस्य केसरपर्वता:'. अथर्ववेद और विष्णु पुराण के त्रिकूट एक ही हैं या भिन्न, इसके बारे में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता.

2. त्रिकूट (AS, p.414) = कोंकण (महाराष्ट्र) में स्थित पर्वत तथा परिवर्ती प्रदेश. कालिदास ने रघुवंश 4,59 में रघु की दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में अपरांत की विजय के पश्चात रघु द्वारा त्रिकूट पर चढ़ाई का वर्णन किया है-- 'मत्तेभरदनोत्कीर्ण व्यत्त्क विक्रम लक्ष्मणम्, त्रिकूटमेव तत्रोच्चैर्जयस्तभं चकार स:'. यहां कालिदास ने त्रिकूट पर्वत को ही रघु का विजय-स्तंभ माना है. त्रिकूट पर्वत का उल्लेख श्रीमद्भागवत 5,1,16 में भी है-- 'भारतेअप्यस्मिन् वर्षे सरि च्छेला: सन्ति बहवो मलयो मंगलप्रस्थो मैनाकस्त्रिकूटऋषभ: कूटक:--' वाकाटक नरेश हरिषेण के अभिलेख में त्रिकूट पर उसकी विजय का उल्लेख है (525 ई.). यह अभिलेख अजंता की गुफा 13 में उत्कीर्ण है. त्रिकूट का प्रदेश जिसका नाम त्रिकूट पर्वत के कारण ही हुआ होगा स्थूल रुप से जिला थाना (महाराष्ट्र) के अंतर्गत माना जा सकता है.

3. त्रिकूट (AS, p.414) = (बिहार) वैद्यनाथ के निकट एक पर्वत जो प्राचीन तीर्थ समझा जाता है. यहां मयूराक्षी नदी का स्रोत है.

4. त्रिकूट (AS, p.414) = वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण की लंका त्रिकूट पर्वत पर बसी [p.415] हुई थी-- 'त्रिकूटस्य तटे लंकां स्थित: स्वस्थो ददर्श ह'- सुंदरकांड 2,1 तथा, 'कैलाश शिखराकारे त्रिकूटशिखरेस्थितां लंकामीक्षस्व वैदेहि निर्मितां विश्वकर्मणा--' युद्ध कांड 123,3. अध्यात्म रामायण 1,40 मैं भी लंका को त्रिकूट के शिखर पर स्थित कहा है-- 'नाना पक्षिमृगाकोर्णां नाना पुष्पलतावृताम् ततोददर्श नगरं त्रिकुटाचलमूर्धनि.' तुलसीदास ने भी इसी पर्वत का निर्देश करते हुए लिखा है 'सहित सहाय रावणहिं मारी, आनौ यहां त्रिकूट उखारी.' किष्किंधाकांड.

5. त्रिकूट (AS, p.415) = श्रीमद्भागवत 9,2,1 में उल्लिखित अनभिज्ञात पर्वत--' आसीद गिरिवरो राजंस्त्रीकूट आईटीआई विश्रुत:, क्ष्रीरोदेनावृत: श्रीमान् योजनायुतमुच्छ्रित:' इसके अनुवर्ती श्लोकों में इसका विस्तृत वर्णन है तथा इसे गज-ग्राह की प्रसिद्ध आख्यायिका की घटनास्थली माना है. (देखें चंपारण्य). इस पर्वत के चतुर्दिक समुद्र का वर्णन है.[6]

6. त्रिकूट (AS, p.415) = जम्मू (कश्मीर) में स्थित एक पर्वत जिस पर पुराण प्रसिद्ध वैष्णोदेवी का मंदिर है.[7]

External links

References