Tungakaranya
Author: Laxman Burdak IFS (R) |
Tungakaranya (तुंगकारण्य) was an ancient forest located in in Bundelkhand mentioned in the epic Mahabharata.
Contents
Variants
- Tungakaranya (तुंगकारण्य) = Tungaranya (तुंगारण्य) (बुंदेलखंड) (AS, p.405)
- Tungaranya (तुंगारण्य) = Tungakaranya तुंगकारण्य (AS, p.407)
Location
History
तुंगकारण्य
विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लिखा है ....तुंगकारण्य अथवा 'तुंगारण्य' (AS, p.405) बुंदेलखंड के वेत्रवती (बेतवा) और जंबुल (जामनेर) के संगम का परवर्ती प्रदेश है। इसका क्षेत्रफल लगभग 35 वर्ग मील है। झांसी से यह स्थल लगभग दस-बारह मील दूर है।
महाभारत के अनुसार इस वन प्रदेश का विस्तार शायद कालिंजर तक था- 'तुंगारण्यमासाद्य ब्रह्मचारी जितेन्द्रिय:, वेदानध्यापयत् तत्र ऋषि: सारस्वत: पुरा। तदरण्यं प्रविष्टस्य तुंगकं राजसत्तम पापं प्रणश्यत्यखिलं स्त्रियो वा पुरुषस्य वा' (वनपर्व 85, 46-53.)
इसके पश्चात् ही वनपर्व [वनपर्व 85, 56] में कालंजर (कालिंजर) का उल्लेख है। पद्मपुराण[2] में भी कालंजर की स्थिति तुंगकारण्य में बताई गई है। हिन्दी के [p.406]: प्रसिद्ध कवि केशवदास ने ओरछा तथा बेतवा की स्थिति तुंगारण्य में कही है- 'नदी बेतवै तीर जंह तीरथ तुंगारण्य, नगर ओड़छो बहुबसै धरनीतल में धन्य। केशव तुंगारण्य में नदी बेवते तीर, नगर ओड़छे बहु बसै पंडित मंडित भीर।'
In Mahabharata
Vana Parva, Mahabharata/Book III Chapter 83 mentions the names of Pilgrims. Tungakaranya (तुङ्गकारण्य) (Forest) is mentioned in Mahabharata (III.83.43).[3]
External Links
References
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur,p.405-406
- ↑ पद्मपुराण, आदि. 39, 52-53
- ↑ तुङ्गकारण्यम आसाद्य बरह्म चारी जितेन्द्रियः, वेदान अध्यापयत तत्र ऋषिः सारस्वतः पुरा (III.83.43)