Uma Ram Bhambu

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Shaheed Umaram Bhamu (1978-2015) was born on 14 January 1978 in village Kalri of Nagaur district in Rajasthan. He was in Rajasthan Police posted at Panchu thana of Nokha tahsil in Bikaner district, Rajasthan. He lost his life on 7 September 2015 fighting with the poachers for the protection of wild life.

शहीद उमाराम का जीवन परिचय

शहीद उमाराम नागौर जिले के कालड़ी ग्राम के थे, इन्होंने हरिण की रक्षार्थ अपने प्राण न्यौछावर कर दिये थे ।

जन्म व पारिवारिक परिचय

किसी गजरे की खुशबु को महकता छोड़ के आया हूँ...

मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़ के आया हूँ..

मुझे छाती से अपनी तू लगा लेना ऐ भारत माँ..

में अपनी माँ की बाहों को तरसता छोड़ के आया हूँ....!

शहीद उमाराम का जन्म 14 जनवरी 1978 को नागौर जिले के कालड़ी ग्राम में पिता श्री भूराराम व माता चम्पादेवी की कोख से भाम्भू गोत्री जाट परिवार में हुआ । आपकी माताजी गृहणी व पिताजी कृषक हैं । आपकी बहन का नाम हस्तुदेवी हैं । आपका विवाह नोखा निवासी श्री भेराराम जी गोदारा की सुपुत्री भजना देवी के साथ संपन्न हुआ जिनसे आपको 3 पुत्ररत्नों की प्राप्ति हुई । आपके पुत्र-पुत्री का नाम शारदा (18), मुनाराम (16) व राकेश (13) है । अभी 6 महीने बाद इनकी पुत्री की शादी होने वाली थी ।

शिक्षा

शहीद उमाराम पढाई में हमेशा अव्वल रहे । आपने उच्च प्राथमिक की शिक्षा ग्राम कालड़ी से पूर्ण की । तत्पश्चात खड़कालि से मेट्रिक व अलाय से 12 वीं कक्षा उत्तीर्ण की ।

पुलिस सेवा

वर्ष 1996 में आपका बीकानेर जिले से पुलिस सेवा में चयन हुआ । आपको पहली पोस्टिंग कोतवाली बीकानेर में मिली । आपने कुछ वर्ष कोलायत कोतवाली व बीकानेर शहर ट्रैफिक में भी अपनी सेवाएं दी । अभी लगभग 7-8 सालों से आप नोखा तहसील के पांचू थाना में कार्यरत थे ।

शहादत

दिनांक 7 सितम्बर को आप पांचू थाने में अपनी सेवा दे रहे थे । तभी सूचना मिली कि पांचू थाना क्षेत्र के गांव शोभाणा की रोही में कुछ शिकारी हरिण का शिकार कर रहे है । हिरण शिकार की सूचना मिलने पर पांचू थाने से चार-पांच पुलिस जवान पास की ढाणी में शिकारी को पकड़ने गए और शिकारी को चारों ओर से घेर लिया । कांस्टेबल शहीद उमाराम ने शिकारी को पीछे से पकड़ने की कोशिश की, शिकारी के हाथ में पिस्टल थी । कोशिश करने के बावजूद शिकारी ने उमा राम के सीने में दो और पेट में तीन गोली एक के बाद एक चला दी । ऐसे में कांस्टेबल उमाराम नीचे गिर गए । अस्पताल ले जाते समय उमाराम ने वन्यप्राणी की रक्षार्थ अपने प्राणों की आहूती दे दी । उमाराम परिवार में इकलौता कमाने वाले था । वह एक मात्र संतान थी । हादसे के बाद परिवार सदमे था, लेकिन पिता और परिवार वालों का कहना था उमाराम ने उनका नाम रोशन कर दिया । हिरण को बचाते हुए जान दी, यह उनके लिए गर्व की बात है ।

शहीद का सम्मान

बीकानेर रेंज के आईजी डॉ. गिरीराज मीणा के समक्ष अलाय पूर्व सरंपच अनोपचंद विश्नोई अन्य ग्रामीणों ने शिकारी के हाथों शहीद हुए उमाराम की शहादत के लिए मांग रखी, कि उमाराम को शहीद का दर्जा और शौर्य चक्र दिया जाए तथा जहां पर उमाराम शहीद हुआ वहां पर एक स्मारक बनाया जाए । ऐसे में इन मांगों को आईजी मीणा से लिखित में लिए जाने के बाद शव उठाया गया । इस पर आईजी मीणा ने कहा कि शौर्य चक्र तो केंद्र सरकार दे पाएगी इसके लिए मांग बनाकर जल्द भेज दी जाएगी । अलाय पूर्व सरपंच अनोपचंद ने बताया कि अखिल भारतीय विश्नोई समाज की ओर से शहीद के परिजनों को पांच लाख रुपए दिए जाने की घोषणा की है ।

अंतिम संस्कार

वन्यजीव शिकारियों के हमले में उमाराम जाट की शहादत की जानकारी मिलने पर बीकानेर रेंज आईजी डॉ. गिरीराज मीणा, एसपी संतोष चालके घटना स्थल पर पहुंचे । शहीद का नोखा स्थित अस्पताल में पोस्टमार्टम करवाकर शव कालड़ी गांव में लाया गया । दोपहर बाद शव का हजारों ग्रामीणों की मौजूदगी में गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार कर दिया गया । नागौर व बीकानेर पुलिस के जवानों ने साथी कांस्टेबल को हवाई फायर कर श्रद्धांजलि दी । शिकारियों द्वारा कांस्टेबल के गोली मारकर हत्या करने के बाद वन्य जीव प्रेमियों और नागौर जिले के भाजपा नेताओं ने भी कांस्टेबल को श्रद्धांजलि दी । भाजपा जिला अध्यक्ष रामचंद्र उत्ता, भाजपा के जिला महामंत्री पाबूराम ज्याणी, जिला मीडिया प्रभारी अब्दुल राशिद, नागौर ग्रामीण मंडल अध्यक्ष नरेंद्र गहलोत, महामंत्री भंवरलाल विश्नोई सहित अनेक पदाधिकारियों ने भी शहीद को श्रद्धांजलि दी । अखिल भारतीय विश्नोई महासभा की ओर से कोषाध्यक्ष रामस्वरूप धारणियां ने कांस्टेबल के परिजनों को 5 लाख रुपए दिए जाने की घोषणा की गई । इस मौके पर बंशीलाल गिला, गंगाराम विश्नोई, पतराम सियाग, प्रहलाद गोदारा, हनुमान विश्नोई, बंशीलाल सारण, शंकर माल अलाय, हरिराम विश्नोई कोलायत सहित बड़ी संख्या में विश्नोई समाज के लोग मौजूद थे ।

शहीद पर कविता

  • अमर शहीद उमारामजी जाट को शत- शत नमन ।

जाट विश्नोई एक हथा, है इतिहास गवाही ।

बाबो बैले आवियो, जग री रीत सवाई ।।

भेळा रहियो भाइड़ो, धरम बचाबण काज ।

जीव बचावै जगत रा, जाटै राखी लाज ।।

जाट दयालु कोम है, धरम धजा रा धारी ।

माया है महादेव री, नहीं है थारी म्हारी ।।

जाटो थारी जहाजड़ी, भव सागर भरियोह ।

पांच पीढी ले पुरखा री, ऊमो आज तिरियोह ।।

जाट ऊजाळौ जगत रो, सूरज चांद सिरै ।

ऊमो उणसूं ऊजळो, पुन री पाळ घिरै ।।

ऊमो सुत भूरेश रो, भांभू कुळ रो दियो ।

एक ही बेटो बापरै, चौखो काज कियो ।।

शारद बेटी साहब री, लाडकड़ो राकेश ।

मुन्ना मन सूं खूब पढो, हरि भैला हरमैश ।।

नागाणौ चावो नांव सूं, कालड़ी करि ऊमैश ।

ऊमे जैड़ा आदमी, नहीं जलमै हर देश ।

  • बहिन हस्तु को दिलासा ।

वीरो थारौ बावळी, सुरगा जाय रहिजै ।

राखी बांधो रूख रै, ओ हरि रो हाथ कहिजै ।।

  • माता चम्पा देवी को दिलास ।

माता मन ममता घणी, हियौ हिबौळा खाय ।

अमर हुओ है ऊमजी, हरि करै सो होय ।।

  • पिता भूराराम जी को दिलासा ।

भूरा मत भरमिजीयै, गयो सो पासी आसी ।

सुघड़ नर ओ सुरग सूं, पासो आ बतलासी ।।

जलम लेसी फिर जाट घर, शिव शंकर वरदान ।

उदै री अरदास है, मान भले मत मान ।।

  • वीर पत्नी भजनीदेवी को दिलासा ।

भजनी भजन भगवान रा, करियो जग री रीत ।

ऊमो गया आकाश में, जग में जसड़ौ जीत ।।

हियौ हमकै हेत सूं, धरम धक्को नहीं आवै ।

पर उपकारी जीवड़ौ, सीधो सुरगा जावै ।।

  • रचियता:-उदयराज खिलेरी "अध्यापक", अगड़ावा (सांचोर) ।

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