Vyasa Tila

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Vyasa Tila (व्यासटीला) is a historical site near Kalpi (कालपी) town in Jalaun district in Uttar Pradesh. It is said to be site of Ashrama of Vyasa, the legendary author of the Mahabharata.

Variants

  • Vyasatila व्यासटीला, जिला जालौन, उ.प्र., (AS, p.884)
  • Vyasakshetra व्यासक्षेत्र दे. Kalapi कालपी (AS, p.884)

History

व्यासटीला

व्यास टीला (AS, p.884): उत्तर प्रदेश के जालौन ज़िले का एक ऐतिहासिक स्थान है। यह टीला कालपी के पास यमुना नदी के तट पर व्यास क्षेत्र के अन्तर्गत स्थित है। कहा जाता है कि 'महाभारत' के रचनाकार महर्षि व्यास का आश्रम यहीं था। यह स्थान अब उपेक्षित दशा में है। (दे. कालपी)[1]

कालपी

विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ... कालपी (AS, p.177) उत्तर प्रदेश के जालौन ज़िले में यमुना नदी के तट पर बसा हुआ ऐतिहासिक नगर है।

जनश्रुति में कल्प या कलप नामक ऋषि के नाम का संबंध कालपी से जोड़ा जाता है. महर्षि व्यास का भी यहां एक आश्रम था, ऐसी भी स्थानीय किंवदंती है. इसके प्रमाण स्वरूप नगरी के सन्निकट यमुना के तट पर व्यासटीला या व्यासक्षेत्र नामक स्थान का निर्देश किया जाता है. अकबर का समकालीन इतिहास लेखक फरिश्ता लिखता है कि कालपी का संस्थापक वासुदेव था किंतु इसका अभिज्ञान अनिश्चित है.

इस नगर का इतिहास चंदेलकालीन है। इसके पहले का वृतांत प्राय: अज्ञात ही है. दसवीं सदी के मध्य में कालपी में चंदेलों ने अपना राज्य स्थापित किया था। उसी समय यहाँ एक एक किला बनवाया गया था. चंदेल नरेश मदन वर्मा और परमार्दिदेव (12वीं सदी) (परमाल, पृथ्वीराज चौहान का समकालीन) के समय कालपी एक समृद्धिशाली नगरी थी। चँदेलों के आठ प्रमुख नगरों में इसकी गिनती होती थी. राज्य का एक मुख्य राजपथ कालपी होकर जाता था. उस समय से मुगल काल के अंत तक काल्पी एक व्यस्त व्यापारिक स्थान के रूप में प्रसिद्ध रही.

12वीं शताब्दी के अंत में इस पर कुतुबुद्दीन ऐबक का अधिकार हो गया। 1435 ई. में मालवा के हुशंगशाह का अधिकार हो गया। अकबर के समय कालपी सरकार (ज़िला) का मुख्यालय बन गया। अकबर का प्रसिद्ध दरबारी बीरबल कालपी का ही था। मध्य काल में कालपी व्यापारिक केन्द्र के रूप में भी जानी जाती थी। यहाँ एक दुर्ग बना हुआ था, जिसके अब खण्डहर ही शेष हैं। कालपी की प्राचीन इमारतों में दुर्ग के अतिरिक्त बीरबल का रंग महल, मुग़लों की टकसाल, चौरासी मंदिर और गोपाल मन्दिर आदि हैं।

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857 ई.) के समय के प्रसिद्ध नेता तांतिया टोपे व वीरांगना लक्ष्मीबाई कुछ समय तक इस किले में रहे थे. झाँसी पर अंग्रेजों का अधिकार हो जाने पर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई घोड़े पर बिना रुके यात्रा करके यहां पहुंची थी.

अकबर के दरबार के राजा बीरबल जिनका वास्तविक नाम महेशदास था, कालपी के ही रहने वाले थे.

External links

References