Ajan
Ajan (अजान) village is in Kumher tehsil of Bharatpur district in Rajasthan. PIN code-321025.
Location
Biggest village (Area & Population) on Bharatpur - Saukh Road, Also called Govardhan Link Road.
History
अजान का प्राचीन नाम अजयगढ़ था । इज्यराज सिंह के समय यह अजानगढ़ से इजानगढ़ हुआ फिर अजान हुआ ।
Jat Gotras
- Kuntal(Tomar)
इतिहास
सम्राट अनंगपाल द्वितीय (1051ई.-1081 ई.): अनंगपाल द्वितीय ने 1051 ई.-1081 ई. तक 29 साल 6 मास 18 दिन तक राज्य किया । इनका वास्तविक नाम अनेकपाल था । इनकी मुद्राएँ तोमर देश कहलाने वाले बाघपत जिले में जोहड़ी ग्राम से प्राप्त हुई । लेख के अनुसार "सम्वत दिहालि 1109 अनंगपाल बहि "
इसका अर्थ है कि अनंगपाल ने सन 1052 ईस्वी में दिल्ली बसाई । पार्श्वनाथ चरित के अनुसार भी 1070 ईस्वी में दिल्ली पर अंनगपाल था । इंद्रप्रस्थ प्रबंध के अनुसार भी इस बात की पुष्टि होती है । महाराजा अनंगपाल तोमर की रानी हरको देवी के दो पुत्र हुए । बड़े सोहनपाल देव बड़े पुत्र आजीवन ब्रह्मचारी रहे और छोटे जुरारदेव तोमर हुए जुरारादेव को सोनोठ गढ़ में गद्दी पर बैठे जुरारदेव तोमर के आठ पूत्र हुए -
1. सोनपाल देव तोमर - इन्होंने सोनोठ पर राज्य किया
2. मेघसिंह तोमर - इन्होंने मगोर्रा गाँव बसाया
3. फोन्दा सिंह तोमर ने फोंडर गाँव बसाया
4. गन्नेशा (ज्ञानपाल) तोमर ने गुनसारा गाँव बसाया
5. अजयपाल तोमर ने अजान गाँव बसाया
6. सुखराम तोमर ने सोंख
7. चेतराम तोमर ने चेतोखेरा गाँव
8. बत्छराज ने बछगांव बसाया
इन आठ गाँव को खेड़ा बोलते हैं । इन आठ खेड़ों की पंचायत वर्ष अनंगपाल की पुण्यतिथि (प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ला-पूर्णमासी ) पर कुल देवी माँ मनसा देवी के मंदिर अनंगपाल की समाधी और किले के निकट हज़ार वर्षो से होती आ रही है । इस का उद्देश्य पूरे वर्ष के सुख दुःख की बाते करना, अपनी कुल देवी पर मुंडन करवाना, साथ ही आपसी सहयोग से रणनीति बनाना था । वर्तमान में यह अपने उद्देश्य से दूर होता दिख रहा है । मंशा देवी के मंदिर पर प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ला-पूर्णमासी को एक विशाल मेला लगता है जिसमे सिर्फ तोमर वंशी कुन्तल जाते हैं । दिल्ली के राजा अनंगपाल ने मथुरा के गोपालपुर गाँव में संवंत 1074 में मन्सा देवी के मंदिर की स्थापना की । यह गाँव गोपालदेव तोमर ने बसाया । अनंगपाल तोमर/तँवर ने गोपालपुर के पास 1074 संवत में सोनोठ में सोनोठगढ़ का निर्माण करवाया । जिसको आज भी देखा जा सकता है । इन्होंने |सोनोठ में एक खूँटा गाड़ा और पुरे भारतवर्ष के राजाओं को चुनोती दी की कोई भी राजा उनके गाड़े गए इस स्तम्भ (खुटे) को हिला दे या दिल्ली राज्य में प्रवेश करके दिखा दे। किसी की हिम्मत नहीं हुई । इसलिए जुरारदेव तोमर के वंशज खुटेला कहलाये ।
इनकी अन्य मुद्राओं पर श्री अंनगपाल लिखा गया है । इन्होने हरियाणा भाषा में भी नाम अणगपाल नाम सिक्कों पर अंकित करवाया है । इनके कुछ सिक्कों पर कुलदेवी माँ |मनसा देवी का चित्र भी अंकित है । ब्रज क्षेत्र और कृष्ण से प्रेम के कारन इन्होने कुछ सिक्को पर श्री माधव भी अंकित करवाया ।
Ref - सम्राट अनंगपाल द्वितीय (1051ई.-1081 ई.) फेसबुक पर
अजानगढ़ (अजयगढ़) का इतिहास
अजान(प्राचीन नाम अजयगढ़) की स्थापना महाराजा अनगपाल तोमर ने 1067 ईस्वी में की थी।महाराजा अनगपाल तोमर ने इस जगह गढ़(किले ) का निर्माण करवाया था।महाराजा अनगपाल तोमर ने अपने पौत्र अजयपाल को इस किले की जागीरी दी थी। यह जगह आगे चलकर अजयगढ़(अजेयपाल की वीरता के कारण उनके नाम पर) नाम से प्रसिद्ध हुआ था। रजिया सुल्तान के समय मे यहां के प्रशासक(राजा) इज्यराज सिंह (इजानदेव सिंह)अपनी वीरता के लिए प्रसिद्ध थे। उनके समय मे यह अजयगढ़ की जगह इजान नाम से प्रसिद्ध था। समय के साथ आगे चलकर इजान का अपभ्रंश अजान हो गया है।
खूटेलपट्टी (तोमरवाटी ) के मुख्य आठ गढ़ (खेरो) में एक अजयगढ़ है | महाराजा अनंगपाल तोमर की रानी हरको देवी के दो पुत्र सोहनपाल देव और जुरारदेव तोमर हुए थे।यह दोनों आगे चलकर क्रमश दिल्ली और सोनोठ गढ़ में गद्दी पर बैठे । अनंगपाल देव के आठ पौत्र(पोते) (सोनपाल देव,मेघसिंह,फोन्दासिंह,ज्ञानपाल सिंह (गन्नेशा),अजयपाल ,सुखराम,चेतन सिंह,बत्छराज सिंह हुए थे| यह वंश अपने पूर्वज अर्जुन (कुंती पुत्र) के नाम से कौन्तेय(कुंतल),अर्जुनायन,मनसा देवी के हथियार के नाम से तोमर कहलाता है|
अजान(अजयगढ़) में प्राचीन समय में एक मजबूत किला था | राजा अजयपाल के समय यह किला अजयगढ़ कहलाता था| रजिया बेगम के समय के अजयगढ़ के शासक इजान सिंह के नाम से यह अजान नाम से प्रसिद्ध हुआ यहाँ एक प्राचीन किला भी था लेकिन समय के थपेड़ो में यहाँ का किला नष्ट हो चूका है लेकिन वर्तमान में उसके अवशेष आज भी देखे जा सकते है| सम्राट अनंगपाल ने किरारो पर विजय के उपरांत यहाँ जब एक किले की नीव रखी तब एक मंदिर का निर्माण भी करवाया था | अनंगपाल द्वारा निर्मित मंदिर आज भी अजान में उनके पूर्वजो की गौरव गाथा का गुणगान कर रहा है|[1]
अजय पाल तोमर का सन 1207 विक्रमी में अजयपाल प्रशस्ति उल्लखेनीय है यह केशवदेव के टीले (मथुरा) पर प्राप्त हुई थी तीस पंक्तियों का यह लेख शुद्ध संस्कृत लेख है दूसरी बात यह की यह 1207 विक्रम संवत 1149 ईस्वी की है जिसको पाल और कुलधर कवि ने गाई थी और सोमल ने इसको पत्थर पर लिखा था इस लेख में छोटी सी वंशावली सुरक्षित है|इंग्लिश इतिहासकार हेंरीच लुड़ेर्स और कलूस जनेर्ट ने इस शिलालेख का वर्णन किया है इसके आधार पर कहा जा सकता है तोमर वंशी राजा अजयपाल खुटेला के समय मे कुन्तल वंश का वैभव और सैनिक ताकत किसी से कम नहीं थी |
[2]
Population
Approximate = 16000, Male = 8500, Female = 7500, Vote counts 2015 is approx. 9000.
Notable persons
- Gyarsi Ram Khuntela (ठाकुर ग्यारसीराम), from Ajan (अजान), Bharatpur was a Social worker in Rajasthan. [3]
- Tikam Singh Ajan (टीकमसिंह), Ajan (अजान), Pahari, Bharatpur was a Social worker in Bharatpur, Rajasthan.[4]
- अजान के उदयराम और कंचन सिंह 1939 ई. ठाकुर देशराज के साथ भरतपुर जेल में रहे। तभी से वे उनके सहयोगी हैं। दोनों नौजवान हैं और बहुत उत्साही हैं। इनके पिता ठाकुर गोविंद राम किसान सभा के पक्के हितेषी हैं। [5]
- Dori Lal Raja - Famous for Princely Attitude and Great leadership for whole village.
- Jagdish Prasad Kuntal Raja - Famous for gentle behavior, Awesome athletics activities and wrestling in earlier young age.
- Chandrabhan Singh Kuntal Raja - Famous Entrepreneur in India, Strong Corporate & Political Relations.
- Ravindra Singh Kuntal Raja - J.En. Govt. Officer @ PHED, Jaipur Rajasthan.
- Virendra Singh Kuntal (Rifleman) (01.07.1974 - 25.06.1999) is a Martyr of Kargil war from Rajasthan. He was from village Ajan in Kumher tehsil of Bharatpur district in Rajasthan. He became martyr on 25.06.1999 during Operation Vijay in Kargil War. He belonged to Unit-11 Raj Rifles.
External links
References
- ↑ Pandav Gatha page 95
- ↑ Pandav Gatha page 96
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, p.26
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, p.59-60
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, p.59-60
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