Aring Mathura

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For Gotra see Ading

Arig (अड़ीग) or Ading (अड़ींग) or Aring (अड़ींग) is a large village And a estate (riyasat) at Govardhan tahsil in Mathura district of Uttar Pradesh.

Location of Aring Mathura district map

The Founders

कुन्तल (तोमर)

Jat Gotras

Nauhwar

Population

Total population : 14608
(Males: 7795, Females: 6813)
(according to statistical data of Census 2011)[2]

History

Badan Singh’s second imprisonment within a short time and the maltreatment at the hands of Muhkam Singh ultimately strengthened his cause. Fransoo adds that as many as 22 prominent sardars (Said [3] to be Raja Ram’s son, Fateh Singh of Ajan , Anup Singh of Arig, Ati Ram’s son, Shardul Singh of Halena , Gujars of Sihi and Helak , Purohit Kalu Ram and Lalji of Barsana and others), who loved Badan Singh for his “ good behaviour” appealed to Muhkam Singh to release his cousin but he refused . [4],

The Kuntal ruler of Ading state had poisoned Khemkaran of Sogaria clan. [5]


Girish Chandra Dwivedi[6] mentions....Then came the turn of yet another strong partisan of Churaman, Thakur Khema Jat of Fatehpur. In 1733, Suraj Mal attacked him and demolished his garhi at that place. But Khema was not killed in the action as is commonly believed.[7]He lived on for some time more till Suraj Mal managed his end through Bhunda Ram Jat of Arig (c. 1753).[8]

अडिंग रियासत

अडिंग ब्रज में जाटों की एक प्राचीन रियासत थी| अडिंग में किले का निर्माण जाट राजा अनंगपाल देव ने करवाया था| अपने शासको की वीरता अडिंगता के कारण अडिंग नाम से प्रसिद्ध हुआ अडिंग के किले का पुनः निर्माण करवाने का श्रेय अनंगपाल के वंशज जाट राजा अडिंग फौंदासिंह को जाता है।राजा फोदा सिंह ने अडींग के किले का पुनः निर्माण करवाकर इसे मजबूती प्रदान की थी| इसके आसपास 384 गाम राजा अनंगपाल के वंशजों के हैं। इस क्षेत्र को खुटेलापट्टी तोमरगढ़ बोलते हैं।

अडिंग पर कौन्तेय /तोमरों की 22 पीढ़ीयों ने शासन किया है| मथुरा मेमायर्स, पृ० 376 पर लिखा है कि “जाट शासनकाल में मथुरा पांच भागों में बंटा हुआ था – अडींग, सोसा, सांख, फरह और गोवर्धन।” यह पांचो किले तोमरवंशी कुन्तलों के अधीन थे अंग्रेजी इतिहास (पृष्ट 3) के अनुसार अडिंग दक्षिणी सीमा पर स्थित तोमर राज्य था| मुग़ल काल के इतिहास में अडिंग के इन कुंतल जाटों शासको ने मुगलों से बहुत संघर्ष किया | चूड़ामणि के बाद बदन सिंह के समय में अडिंग पर अनूपसिंह का राज था | उनके पिता अतिराम सिंह थे अनूप सिंह के 4 पुत्र थे| राजा अनूप सिंह जाट ने भरतपुर (डीग ) राजा बदन सिंह को बहुत से युद्धों में सैनिक सहायता पहुंचाई थी|

बदनसिंह के समय में उनका वर्णन ब्रज के शक्तिशाली राजाओं में हुआ है| ठाकुर चूड़ामणि ने अडिंग के जगतपाल (अनूप सिंह के छोटे भाई) सहयोग प्राप्त किया था| अडिंग के शासकों में फौंदासिंह बड़े प्रसिद्ध रहे है | फौदासिंह ने मुगलों के विरुद्ध कड़ा संघर्ष किया था मुग़ल काल के इतिहास में अडिंग के इन कुंतल जाटों शासकों ने मुगलों से बहुत संघर्ष किया था। इन वीरों ने ग्रांड-ट्रंक रोड से जाने वाली मुगलों का असला और रसद लूट लेते थे। शास्त्री और पंडित अनिल भारद्वाज के अनुसार मुगल बादशाह ने फौदा सिंह का लोहा मानते हुए उनके लिए शाही फरमान भी जारी करवाए थे। अपने जीवन काल में राजा फौदा सिंह ने मुगलों से बहज का युद्ध ,गोवर्धन का युद्ध, तैती का युद्ध जैसे बहुत से युद्ध में मुगलों को मात दी थी| इतिहासकार जॉन कोहन ने लिखा है की भादों वदी संवत 1783 विक्रमी (1726 ईस्वी) को मुगलों ने अडिंग और सिनसिनी के जाट राजाओं से समझोता किया था। फौदासिंह को अडिंग का राजा स्वीकार किया गया और इस समझोते से फौदासिंह को तीन लाख का अतिरिक्त क्षेत्र मिला ।

मि. ग्राउस आगे लिखते हैं - जाट पूर्ण वैभवशाली और धनसम्पन्न थे। जाट-शासन-काल में मथुरा पांच भागों में बटा हुआ था - अडींग, सोसा, सांख, फरह और गोवर्धन[9]

Notable persons

Picture Gailery

External Links

References

  1. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter III (Page 298)
  2. http://www.census2011.co.in/data/village/124240-aring-uttar-pradesh.html
  3. U.N.Sharma, Itihas, 304, 310
  4. G.C.Dwivedi, The Jats, Their role in the Mughal Empire, Ed. Dr Vir Singh, Delhi, 2003, p.89
  5. Thakur Deshraj: Jat Itihas (Hindi), Maharaja Suraj Mal Smarak Shiksha Sansthan, Delhi, 1934, 2nd edition 1992. Page 557
  6. The Jats - Their Role in the Mughal Empire/Chapter V,p.100
  7. U.N. Sharma Itihas 325-330; Qanungo, Jats, 65-66; Pande, Bharatpur, 46.
  8. For details see Tawarikh-i-Hunud, 20b-21 b.
  9. मथुरा मेमायर्स, पृ. 376

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