Kailash

From Jatland Wiki
(Redirected from Mount Kailash)
Author: Laxman Burdak, IFS (Retd.)
Lord Shiva
An illustration of the significance of Mount Kailash, depicting the holy family of Shiva, consisting of Shiva, Parvati, Ganesha and Kartikeya

Kailash (कैलाश) is a peak in the Kailash Range (Gangdisê Mountains), which forms part of the Transhimalaya in Tibet Autonomous Region, China. Kailash is considered to be the home of Shiva in Hindu Mythology. [1]

Location

It lies near the source of some of the longest rivers in Asia: the Indus River, the Sutlej River (a major tributary of the Indus River), the Brahmaputra River, and the Ghaghara (Karnali River, a tributary of the River Ganga). The mountain lies near Lake Manasarovar and Lake Rakshastal in Tibet Autonomous Region, China.

Variants of name

Origin of Name

The mountain is known as Kailāśa (कैलास) in Sanskrit.[2][3] The word may be derived from the word Kēlāsa (केलास) which means "crystal".[4] In his Tibetan-English dictionary, Chandra (1902: p. 32) identifies the entry for 'kai la sha' (Wylie: kai la sha) which is a loan word from Sanskrit 'kailāśa' (Devanagari: कैलाश).[5]

The Tibetan name for the mountain is Gangs Rin-po-che. Gangs or Kang is the Tibetan word for snow peak analogous to alp or himal; rinpoche is an honorific meaning "precious one" so the combined term can be translated "precious jewel of snows".

"Tibetan Buddhists call it Kangri Rinpoche; 'Precious Snow Mountain'. Bon texts have many names: Water's Flower, Mountain of Sea Water, Nine Stacked Swastika Mountain. For Hindus, it is the home of the mountain god Shiva and a symbol of his power symbol om; for Jains it is where their first leader was enlightened; for Buddhists, the navel of the universe; and for adherents of Bon, the abode of the sky goddess Sipaimen."[6]

Another local name for the mountain is Tisé mountain, which derives from ti tse in the Zhang-Zhung language, meaning "water peak" or "river peak", connoting the mountain's status as the source of the mythical Lion, Horse, Peacock and Elephant Rivers, and in fact the Indus, Yarlung Tsangpo/Dihang/Brahmaputra, Karnali and Sutlej all begin in the Kailash-Lake Manasarovar region.[7]

Indian Origin Places in Burma

Dineschandra Sircar[8] writes.... Some important old Indian names found in Burma are Aparanta, Avanti, Varanasi, Champanagara, Dvaravati, Gandhara, Kamboja, Kailasha, Kusumapura, Mithila, Pushkara, Pushkaravati, Rajagriha, etc. and the names Sankashya (Tagaung on the Upper Irawadi), Utkala (from Rangoon to Pegu) and Vaishali (modern Vethali in the Akyub district also fall in the same category.[9] The name of the well-known river Irawadi reminds us of Iravati (modern Ravi River), one of the famous tributaries of the Indus.

कैलास पर्वत

विजयेन्द्र कुमार माथुर[10] ने लेख किया है ...

1. कैलास (AS, p.226): कैलास पर्वत (तिब्बत) मानसरोवर के निकट स्थित, प्राचीन भारतीय साहित्य में प्रसिद्ध पर्वत है, जिस पर महादेव शिव और पार्वती का निवास माना जाता है। कैलास पर्वत के विषय में अति प्राचीन काल से ही हमारे साहित्य में उल्लेख मिलते हैं। वाल्मीकि रामायण, किष्किन्धा काण्ड 43 में सुग्रीव ने शतवल वानर की सेना को उत्तर दिशा की ओर भेजते हुए उस दिशा के स्थानों में कैलास का भी उल्लेख किया है- "तत्तु शीघ्रमतिक्रम्य कान्तारं रोमहूर्गणम-कैलासं पांडुरं प्राप्य दृष्टा सूर्य भविष्यथ"। (किष्किन्धा काण्ड 43, 20) [p.227]: अर्थात् "उस भयानक वन को पार करने के पश्चात् श्वेत ( हिममंडित) कैलास पर्वत को देखकर तुम प्रसन्न हो जाओगे।"

इससे आगे के श्लोकों में कैलास में कुबेर के स्वर्ण-निर्मित घर (‘तत्र पांडुर मेघाभं जांबूनदपरिष्कृतम् कुबेरभवनं रम्यं निर्मितं विश्वकर्मणा’ 43, 21) विशाल झील मानसरोवर (‘विशाला नलिनी यत्र प्रभूतकमलोत्पला हंसकारंडवाकीर्णाप्सरो गण सेविता’ 43, 22) तथा यक्षराज वैश्रवण या कुबेर और यक्षों ( ‘तत्र वैश्रवणो राजा सर्वलोकनमस्कृत:, धनदो रम्यते श्रीमान गुह्मकै: सह यक्षराट्’ 43, 23) का वर्णन है।

महाभारत, वनपर्व के अंतर्गत कैलास का उल्लेख पांडवों की गंधमादन पर्वत की यात्रा के प्रसंग में है, जहां कैलास को लांघने के पश्चात् उसके परवर्ती प्रदेश में केवल देवर्षियों की गति ही संभव है- अस्तयातिक्रम्यं शिखरं कैलासम्य युधिष्ठिर, गति परमसिद्धानां देवर्षीणीं प्रकाशते"। (महभारत, वनपर्व 159, 24)

वनपर्व 139, 11 में विशाला या बद्रीनाथ को कैलास के निकट बताया गया है- "कैलास: पर्वतो राजन् षड्योजनसमुच्छित: यत्र देवा समायान्ति विशाला यत्र भारत।"

भीष्मपर्व 6, 41 में कैलास का दूसरा नाम 'हेमकूट' भी कहा गया है तथा वहां गुह्माकों (यक्षों) का निवास माना गया है- "हेमकूटस्तु सुमहान कैलासो नाम पर्वत: यत्र वैश्रवणो राजन् गुह्यकै: सह मोदते।"

मेघदूत (पूर्वार्घ, 60) में क्रौंच रंध्र के आगे कैलास का वर्णन है- "गत्वा चोर्द्धवं दशमुखजोच्छ्वासितप्रस्थ सन्धै:कैलासस्य त्रिदशवनिता दर्पणस्यातिथि: स्या:तुंगोच्छ्रायै: कुमुदविशदैर्योवितत्य स्थिति: खं, राशीभूत: प्रतिदिशमिवत्र्यम्बकस्याट्टहास:।"

यह द्रष्टव्य है कि वाल्मीकि रामायण, किष्किन्धा काण्ड 43, 20 और मेघदूत के उपर्युक्त वर्णन, दोनों ही में कैलास के धवल-हिममंडित सौंदर्य को सराहा गया है।

आज भी कैलास के यात्री इस पर्वत की, जिसके शिखर सदा हिम से ढके रहते हैं, श्वेत आभा को देखकर मुग्ध हो जाते हैं तथा कालिदास की सुन्दर उपमाओं (देववधुओं के दर्पण के समान स्वच्छ, कुमुदपुष्पों के समान विशद और शिव के अट्टाहस का मानो राशीभूत रूप) की सार्थकता उनकी समझ में आती है। मेघदूत की अलकापुरी कैलास पर ही बसी थी। महाकवि कालिदास ने पूर्वमेघ में गंगा को कैलास की गोद में अवस्थित बताया है। यहाँ गंगा से अलकनंदा का निर्देश समझना चाहिए, क्योंकि अलकनंदा कैलास के निकट बहती हुई बद्रीनाथ आती है और नीचे गंगा के गंगोत्री वाले स्त्रोत में मिल जाती है। संभवत: यह गंगा का मूल स्त्रोत ही हो। 'बुद्धचरित' 28, 57 में बौद्ध स्तूपों की भव्यता की तुलना कैलास के हिमाच्छादित शिखरों से की गई है।

2. कैलास (AS, p.226): इलौरा में स्थित कैलास मंदिर. इस मंदिर में कैलास पर्वत की [p.228]: अनुकृति निर्मित की गई है.

3. कैलास (AS, p.228): कौलास जिला नांदेड़, महाराष्ट्र

4. कैलास (AS, p.228): केलस (बर्मा)

कैलास पर्वत परिचय

कैलास पर्वत (कांग-ति-स्सू-शान), हिमालय पर्वतीय प्रणाली के सर्वोच्च और सबसे विषम क्षेत्रों में से एक है। यह चीन के तिब्बत क्षेत्र के अंतर्गत स्वायत्त क्यू क्षेत्र के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में स्थित है। इस श्रेणी का अक्ष पश्चिमोत्तर से दक्षिण-पश्चिम की ओर है और एक द्रोणी के उत्तर में अवस्थित है, जो पश्चिमी क्षेत्र में लांग्चू नदी (सतलुज नदी का चीनी नाम) और पूर्व में ब्रह्मपुत्र (चीनी भाषा में यालिज़आंग्बू या सांग्पो नदी) के आरम्भिक जलस्रोत माचुआन नदी द्वारा अपवाहित होता है। इस अवसादी क्षेत्र के मध्य में मापाम झील है, जो समुद्र तल से 4,557 मीटर की ऊँचाई पर स्थित होने के कारण दुनिया की सबसे ऊँची मीठे पानी की झील के रूप में विख्यात है। इस झील के उत्तर में 6,714 मीटर ऊँचा कैलाश पर्वत है, जो तिब्बत में 'गंग तिसे' नाम से जाना जाता है और यह इस श्रेणी की उच्चतम चोटी है।

पवित्र धार्मिक स्थल: कैलाश पर्वत हिन्दू और तिब्बती बौद्धों, दोनों के लिए महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थल है; हिन्दू इसे शिव का निवास स्थान मानते हैं, जबकि तिब्बती बौद्ध इसे ब्रह्माण्ड का सार्वभौमिक केन्द्र, सुमेरु पर्वत मानते हैं। हालाँकि कैलाश पर्वत और मापाम झील तक तीर्थस्थल के रूप में जाने की अनुमति 1951 में तिब्बत पर चीन के अधिकार के बाद दी गई थी और 1954 में भारत-चीन सन्धि में भी इसकी पुष्टि की गई थी, लेकिन तिब्बत में विद्रोह के दमन के बाद वहाँ जाने पर नियंत्रण लगा दिया गया और 1962 में सीमा बन्द कर दी गई। दक्षिण की ओर से इस क्षेत्र में पहुँचने का रास्ता पुलन के दक्षिण में स्थित ऊँचे लिपुलेख दर्रे से होकर जाता है। कैलाश पर्वतश्रेणी के उत्तरी कगार से सिन्धु नदी निकलती है।

शिव पुराण के अनुसार: शिव अपने गणों तथा देवी-देवताओं सहित निधिनाथ के पास अलकापुरी गये। उनका आतिथ्य ग्रहण करके शिव ने विश्वकर्मा को आज्ञा दी कि वह कैलास पर्वत पर उनके तथा गणों के लिए मंदिर बनवाये। मंदिर बनने के उपरांत वे वहाँ चले गये। सब देवी-देवताओं को उन्होंने अपना-अपना कार्य संपन्न करने के लिए विदा किया। (शिव पुराण 1 । पूर्वार्द्ध 20-22 ।-)

संदर्भ: भारतकोश-कैलास पर्वत

केलस = कैलास (बर्मा)

विजयेन्द्र कुमार माथुर[11] ने लेख किया है ...केलस = कैलास (बर्मा) (AS, p.225) - ब्रह्मदेश में प्राचीन भारतीय नगर जिसका नाम हिंदू उपनिवेशकों ने प्राचीन भारतीय साहित्य में प्रसिद्ध कैलाश पर्वत के नाम पर रखा था.

मंदराचल

विजयेन्द्र कुमार माथुर[12] ने लेख किया है ...मंदराचल (AS, p.688): 'श्वेतं गिरिं प्रवेक्ष्यामो मंदरं चैव पर्वतं, यत्र मणिवरौ यक्ष: कुबेरश्चैव यक्षराट्'-- महाभारत 139,5. इस उद्धरण में मंदराचल का पांडवों की उत्तराखंड की यात्रा के संबंध में उल्लेख है जिससे यह पर्वत हिमालय में बद्रीनाथ या कैलाश के निकट कोई गिरि-श्रंग जान पड़ता है. विष्णु पुराण 2.2.16 के अनुसार मंदर पर्वत इलावृत के पूर्व में है-- 'पूर्वेण मंदरोनाम दक्षिणे गंधमादन:' मंदराचल का पुराणों में क्षीरसागर-मंथन की कथा में भी वर्णन है. इस आख्यायिका के अनुसार सागर-मंथन के समय देवताओं और दानवों ने मंदराचल को मथनी बनाया था.

अष्टापद

विजयेन्द्र कुमार माथुर[13] ने लेख किया है ... अष्टापद (AS, p.51) जैन-साहित्य के सबसे प्राचीन आगमग्रन्थ एकादशअंगादि में उल्लिखित तीर्थ जिसको हिमालय में स्थित बताया गया है। संभवत: कैलास को ही जैन-साहित्य में अष्टापद कहा गया है। इस स्थान पर प्रथम जैन तीर्थंकर ऋषभदेव का निर्वाण हुआ था।

Mahavansa

Mahavansa/Chapter 29 tells.... From various (foreign) countries also did many bhikkhus come hither; what need to speak of the coming of the brotherhood living here upon the island (Lanka)? ....The great thera Suriyagutta came from the great Kelasa-vihara with ninety-six thousand bhikkhus.

Mahavansa/Chapter 32 tells....The thera Khuddatissa of wondrous power, who dwelt in Mangana, divided it among sixty thousand (bhikkbus) in the Kelasa (vihara) and then ate of it himself.

Religious significance

It is considered a sacred place in four religions: Bön, Buddhism, Hinduism and Jainism.

In Hinduism: According to Hinduism, Lord Shiva, the Destroyer, resides at the summit of a legendary mountain named Kailāśa, where he sits in a state of perpetual meditation along with his wife Pārvatī. He is at once the Lord of Yoga and therefore the ultimate renunciate ascetic, yet he is also the divine master of Tantra.[14]

This Kailas was far away beyond the white Himalayas, and there Shiva dwelt in royal state, worshipped by gods and rishis ; but more often he spent his time wandering about the hill like a beggar, his body smeared with ashes, and with Sati wearing ragged robes ; sometimes also he was seen in the cremation grounds, surrounded by dancing imps and taking part in horrid rites. [15]

According to Charles Allen, one description in the Vishnu Purana of the mountain states that its four faces are made of crystal, ruby, gold, and lapis lazuli.[16] It is a pillar of the world and is located at the heart of six mountain ranges symbolizing a lotus.[17]

In Jainism: In Jainism, Kailash is also known as Meru Parvat or Sumeru. Ashtapada, the mountain next to Mt. Kailash, is the site where the first Jain Tirthankara, Rishabhadeva, attained Nirvana/moksa (liberation).[18]

In Buddhism: Tantric Buddhists believe that Mount Kailash is the home of the Buddha Demchok (also known as Demchog or Chakrasamvara),[19] who represents supreme bliss.

There are numerous sites in the region associated with Guru Rinpoche (Padmasambhava), whose tantric practices in holy sites around Tibet are credited with finally establishing Buddhism as the main religion of the country in the 7th–8th century AD.[20]

It is said that Milarepa (c. 1052-c. 1135 AD), champion of Tantric Buddhism, arrived in Tibet to challenge Naro Bön-chung, champion of the Bön religion of Tibet. The two magicians engaged in a terrifying sorcerers' battle, but neither was able to gain a decisive advantage. Finally, it was agreed that whoever could reach the summit of Kailash most rapidly would be the victor. While Naro Bön-chung sat on a magic drum and soared up the slope, Milarepa's followers were dumbfounded to see him sitting still and meditating. Yet when Naro Bön-chung was nearly at the top, Milarepa suddenly moved into action and overtook him by riding on the rays of the sun, thus winning the contest. He did, however, fling a handful of snow on to the top of a nearby mountain, since known as Bönri, bequeathing it to the Bönpo and thereby ensuring continued Bönpo connections with the region.[21][22][23]

In Bön: The Bön, a religion native to Tibet, maintain that the entire mystical region and the nine-story Swastika Mountain are the seat of all spiritual power.

References

  1. Myths and Legends of the Hindus & Buddhists/CHAPTER VI, by Sister Nivedita and Anand K. Coomaraswamy, p.288
  2. Monier-Williams Sanskrit Dictionary, page 311 column 3
  3. Entry for कैलासः in Apte Sanskrit-English Dictionary
  4. Entry for केलासः in Apte Sanskrit-English Dictionary
  5. Sarat Chandra Das (1902). Tibetan-English Dictionary with Sanskrit Synonyms. Calcutta, India: Bengal Secretariat Book Depot, page 32.
  6. Albinia (2008), p. 288. abc
  7. Camaria, Pradeep (1996), Kailash Manasarovar on the Rugged Road to Revelation, New Delhi: Abhinav, retrieved 11 June 2010
  8. Studies in the Geography of Ancient and Medieval India, By Dineschandra Sircar, p.319
  9. R.C. Majumdar, Hindu Colonies in the Far East,1944,p.216
  10. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.226-227
  11. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.
  12. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.688
  13. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.51
  14. "Mt. Kailash"
  15. Myths and Legends of the Hindus & Buddhists/CHAPTER VI, by Sister Nivedita and Anand K. Coomaraswamy, p.288
  16. Allen, Charles. (1982). A Mountain in Tibet, pp. 21–22. André Deutsch. Reprint: 1991. Futura Publications, London. ISBN 0-7088-2411-0.
  17. Allen, Charles. (1982). A Mountain in Tibet, pp. 21–22. André Deutsch. Reprint: 1991. Futura Publications, London. ISBN 0-7088-2411-0.
  18. "To heaven and back – Times Of India". Articles.timesofindia.indiatimes.com. 2012-01-11.
  19. "Heruka Chakrasamvara". Khandro.net.
  20. The Sacred Mountain, pp. 39, 33, 35, 225, 280, 353, 362–363, 377–378
  21. The Sacred Mountain, pp. 31, 33, 35
  22. The World's Most Mysterious Places Published by Reader's Digest ISBN 0-276-42217-1 pg.85
  23. The Sacred Mountain, pp. 25–26