Piru Singh Dahiya
Piru Singh Dahiya (पीरू सिंह दहिया) (b: 1865, d:1928) was a social worker responsible for spread of education and Arya Samaj in Haryana. Much of the spread of education resulted from the establishment of gurukuls, which were especially influencial in Rohtak. The gurukul in Matindu was established by the Dahiyas in 1914 and the one in Bhinswal by the Maliks in 1919.
The gurukul at Matindu was situated about 17 miles southwest of Rohtak, near the market town of Kharkhoda. The manager of the gurukul was Master Piru Singh Dahiya, himself a man of little schooling. The boys' education there was strongly imbued with asceticism and the doctrines of the Arya Samaj. In 1919, it had forty six students. Education was free, and the institution was maintained by voluntarily donations and levies in kind imposed at harvest time on the Jat peasants of the neighbourhood. In addition, travelling collectors raised subscriptions from various Jat Regiments. The chief of their squad was Piru Singh Dahiya.
Dalip Singh Ahlawat writes
आपका जन्म दहिया जाट के घर सोनीपत के मटिण्डू गांव में हुआ था। आप उन आर्यपुरुषों में से थे जिनको स्मरण करके हरयाणा की जनता आज तक प्रेरणा लेती है। आपने चारों ओर सुधारवादिता और आर्यत्व की धूम मचा दी थी। आपने गुरुकुल मटिण्डू की नींव डाली। यह संस्था आज तक ऋषि दयानन्द जी के सन्देश को प्रसारित कर रही है। यह गुरुकुल आज भी शिक्षा क्षेत्र में काफी उन्नतिशील है। चौ० पीरूसिंह जी दहिया खाप के माने-ताने नेता थे।[1]
भीमसेन वेदालंकार
महर्षि दयानन्द के अनन्य भक्त एवं स्वामी श्रद्धानन्द के स्वप्न को मूर्तरूप देनेवाले तथा हरयाणा प्रान्त में गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के सूत्रधार चौधरी पीरूसिंह दहिया नें अपनी 300 बीघे पैतृक भूमि को गुरुकुल की स्थापना हेतु देने की प्रेरणा अपने छोटे भाई चौधरी शिवकरण को दी, जिन्होंने तुरन्त अपनी सहमति इस पुनीत कार्य के लिए देकर गुरुकुल मटिंडू की स्थापना में सहभागी बने।
इन्ही चौधरी शिवकरण के घर 14 मार्च 2014 को जिस बालक ने जन्म लिया परिवार ने उसका नामकरण भीमसेन के रूप में किया।
References
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter III (Page 216)
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