Ramdhan Shyoran
Ramdhan Shyoran - From Neshal, Rajgarh Churu, Rajasthan was a Freedom fighter and officer of the Indian National Army, who died in 2016 at the age of about 100. He was Worker of Rajgarh Kisan Sabha.[1]
जीवन परिचय
स्वतन्त्रता सेनानी एवं आज़ाद हिन्द फौज में अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष करने वाले नेशल बड़ी निवासी रामधन श्योराण का निधन हो गया। वे लगभग 100 वर्ष के थे। राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। पुलिस की ओर से हवा में 2 राउंड फायर कर उनको अंतिम सलामी दी गई।
6 माह की उम्र में ही रामधन श्योराण के माता-पिता का देहांत हो गया। उनका लालन-पालन ताऊ-ताई ने किया।
5 जून 1935 को वे भारतीय सेना में ग्रेनेडियर के पद पर भर्ती हुये। बरेली में ट्रेनिंग करने के बाद तीन वर्ष मिरली व रावलपिंडी, वर्तमान पाकिस्तान, में रहे।
1939 में वे तोपखाने में लांसनायक पद पर तैनात हुये। द्वीतीय विश्व-युद्ध में लड़ने के लिए सिंगापूर भेजा। वर्ष 1943 में नेताजी सुभाष चन्द्र बॉस के साथ सेना में शामिल हो गए। लड़ाई लड़ते हुये सिंगापूर, रंगून, मांडले होते हुये साथी जवानों के साथ आसाम पहुंचे। बाद में अंग्रेजों ने उनको पकड़ कर मुल्तान भेज दिया। 9 माह जेल में रहने के बाद वो अपने घर नेशल पहुंचे।
नेशल पहुँच कर भी वे शांति से नहीं बैठे। यहाँ भी उन्होने जागीरदारों के खिलाफ मौर्चा खोल दिया। वे इस कारण राजगढ़ की जेल में रहे।
वे गाँव के सरपंच भी रह चुके हैं। उनके 6 बेटे-बेटियाँ हैं। सबसे बड़े का नाम बसंत कुमार है, फिर रघुवीर, ब्रह्मप्रकाश, महेंद्र सिंह तथा राजेंद्र सिंह हैं। पत्नी का नाम बरजी देवी है।
इन्दिरा गांधी ने किया सम्मान
- 15 अगस्त 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने आपको ताम्र-पत्र भेंट कर सम्मानित किया।
- 2 अक्तूबर 1987 को राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री ने ताम्र-पत्र भेंट किया।
- 14 नवंबर 2000 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ताम्र-पत्र भेंट किया।
संदर्भ: जाट गाथा, मार्च-2016, पृ.20
संदर्भ
- ↑ Ganesh Berwal: 'Jan Jagaran Ke Jan Nayak Kamred Mohar Singh', 2016, ISBN 978.81.926510.7.1, p.170