Rohri

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(Redirected from Roruka)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Rohri (Urdu: روہڑی‎), (Sindhi:روهڙي), (medievally Aror) is a town of Rohri Taluka, Sukkur District, Sindh province, Pakistan.

Variants

Location

It is located at 27°40'60N 68°54'0E, on the east bank of the Indus River.

History

Aror was the ancient capital of Sindh, originally ruled by the Ror Dynasty. Modern Rohri is situated adjacent to Sukkur, Sindh. In 711 AD, Aror was captured by the army of Muslim general Muhammad Bin Qasim. In 962 it was hit by a massive earthquake that changed the course of the Indus River.

Vasudeva Saran Agrawala[1] writes that, according to his research on Panini's Ashtadhyayi, the ancient name of Rohri was Rauruka -

Panini mentions Sauvira and gives valuable social history of the region.It was home of many Gotras - Phāṇṭahṛiti, Mimata, Bhāgavitti, Tārṇabindava, Akaśapeya, Yamunda and Suyāmā. Bhāgavitti may be identified with the present Bugti tribe on the northern border of Sind. Panini mentions Śarakarā (modern Sukkur on the Indus) as a town (IV.2.83). Pali literature mentions Rauruka (modern Rori in Upper Sind as the capital of Sauvira.

रोरी

रोरी (AS, p.804): भक्खर (सिंध, पाकिस्तान) से छः मील की दूरी पर स्थित था। बुद्ध काल (6वीं शती ई. पू.) में रोरी का प्रदेश सौवीर या दक्षिण सिंधु देश के अन्तर्गत था। 'दिव्यावदान' (पृ. 545) में रोरी या रोरुक के राजा रुद्रायण का उल्लेख है। इस नगर का नामांतर 'अलोर' या 'अरोर' है। यहाँ अलक्षेंद्र के भारत पर आक्रमण के समय मूषिकों का राज्य था। (दे. अलोर)

अलोर

विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...अलोर (AS, p.43): पाकिस्तान के सिंध में सक्खर से छ: मील पूर्व छोटा-सा क़स्बा था। यह 'हकरा नदी' के [p.44] पश्चिमी तट पर बसा हुआ था। इस प्राचीन नगर के खंडहर रोरी से पाँच मील दक्षिण-पूर्व की ओर स्थित हैं।

यह नगर अलक्षेंद्र के भारत पर आक्रमण करने के समय मुचुकर्ण या मूषिकों की राजधानी था[3] यूनानी लेखकों ने इन्हें 'मौसीकानोज' लिखा है। यूनानी लेखकों के वर्णन के अनुसार मूषिकों की आयु 130 वर्ष होती थी। 712 ई. में अरब सेनापति मुहम्मद बिन क़ासिम ने इस नगर को राजा दाहिर से युद्ध करने के पश्चात् जीत लिया था। यहाँ ब्राह्मण राजा दाहिर की राजधानी थी। दाहिर इस युद्ध में मारा गया और सतीत्व की रक्षा के लिए नगर की कुलवधुएँ चिताओं में जलकर भस्म हो गईं।

एक प्राचीन दन्तकथा के अनुसार 800 ई. के लगभग यह नगर सिंध नदी की बाढ़ में नष्ट हो गया था। कहा जाता है कि सेफ़ुलमुल्क नामक व्यापारी ने एक सुन्दर युवती की एक क्रूर सरदार से रक्षा करने के लिए नदी का जल नगर की ओर प्रवाहित कर दिया था, जिससे नगर तबाह हो गया।[4]

External links

References

  1. V S Agarwal: India_as_Known_to_Panini,p.50
  2. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.43-44
  3. कैंब्रिज हिस्ट्री ऑफ इंडिया, पृ. 377
  4. स्मिथ- अर्ली हिस्ट्री ऑफ इंडिया, चतुर्थ संस्करण, पृ. 369

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