Sangasi
Sangasi (सांगासी) is a small village in Nawalgarh tahsil in Jhunjhunu district of Rajasthan. It was founded by Sanga Kulhari about 500 years back.
Location
Sangasi is situated midway between Nawalgarh and Jhunjhunu at a distance of 19 km from Nawalgarh. It is generally associated with Mandasi and written as Sangasi-Mandasi. There is a population of about 3000 out of which 80 percent are Jats and rest harijans. The main population is of Kulhari Jats.
Founder
Sangasi was founded by Sanga Kulhari
Jat Gotras
It is mainly a village of Kulhari Jats. There are few families of other Jat clans.
History
It was founded by Sanga Kulhari about 500 years back, who moved from Didwana to Chudi and finally settled at Sangasi. One brother of Sanga Kulhari was settled at Triloki Ka Bas.
सांगासी में बैठक वर्ष 1921
राजेन्द्र कसवा[1]लिखते हैं कि सन् 1921 में शेखावाटी से भिवानी गया जत्था जब लौटा तो वह नई ऊर्जा से भरा था. गांधीजी से मिलने और अन्य संघर्षशील जनता को देखने के बाद, किसान नेताओं में स्वाभाविक उत्साह बढ़ा . सन् 1921 में चिमना राम ने सांगासी गाँव में अपने घर अगुआ किसानों की एक बैठक बुलाई. इस प्रथम बैठक में चिमनाराम और भूदाराम दोनों भईयों के अतिरिक्त हरलाल सिंह, गोविन्दराम, रामसिंह कंवरपुरा, लादूराम किसारी, लालाराम पूनिया आदि सम्मिलित हुए. पन्ने सिंह देवरोड़ और चौधरी घासीराम इस बैठक में नहीं पहुँच सके थे लेकिन आन्दोलन करने के लिए सबका समर्थन और सहयोग था. इस बैठक में निम्न निर्णय लिए गए:
- बेटे-बेटियों को सामान रूप से शिक्षा दिलाना
- रूढ़ियों, पाखंडों, जादू-टोना, अंध विश्वासों का परित्याग करना और मूर्तिपूजा को बंद करना
- मृत्युभोज पर रोक लगाना
- शराब, मांस और तम्बाकू का परित्याग करना
- पर्दा-पर्था को समाप्त करना
- बाल-विवाह एवं दहेज़ बंद करना
- फिजूल खर्च एवं धन प्रदर्शन पर रोक लगाना
इस बैठक के बाद भूदाराम में सामाजिक जागरण का एक भूत स्वार हो गया था. वे घूम-घूम कर आर्य समाज का प्रचार करने लगे. अप्रकट रूप से ठिकानेदारों के विरुद्ध किसानों को लामबंद भी करने लगे. विद्याधर कुल्हरी ने अपने इस बाबा भूदाराम के लिए लिखा है कि, 'वह नंगे सर रहता था. हाथ में लोहे का भाला होता. लालाराम पूनिया अंगरक्षक के रूप में साथ रहता था. [2]
1925 से 1932 ई. तक सांगासी शेखावाटी की गतिविधियों का पावर हाऊस था लेकिन 1932 से हनुमानपुरा तथा गौरीर भी शेखावाटी के किसानों की आशा के केंद्र बन गए. [3]
राजस्थान की जाट जागृति में योगदान
ठाकुर देशराज[4] ने लिखा है ....उत्तर और मध्य भारत की रियासतों में जो भी जागृति दिखाई देती है और जाट कौम पर से जितने भी संकट के बादल हट गए हैं, इसका श्रेय समूहिक रूप से अखिल भारतीय जाट महासभा और व्यक्तिगत रूप से मास्टर भजन लाल अजमेर, ठाकुर देशराज और कुँवर रत्न सिंह भरतपुर को जाता है।
[पृ.4]: अगस्त का महिना था। झूंझुनू में एक मीटिंग जलसे की तारीख तय करने के लिए बुलाई थी। रात के 11 बजे मीटिंग चल रही थी तब पुलिसवाले आ गए। और मीटिंग भंग करना चाहा। देखते ही देखते लोग इधर-उधर हो गए। कुछ ने बहाना बनाया – ईंधन लेकर आए थे, रात को यहीं रुक गए। ठाकुर देशराज को यह बर्दाश्त नहीं हुआ। उन्होने कहा – जनाब यह मीटिंग है। हम 2-4 महीने में जाट महासभा का जलसा करने वाले हैं। उसके लिए विचार-विमर्श हेतु यह बैठक बुलाई गई है। आपको हमारी कार्यवाही लिखनी हो तो लिखलो, हमें पकड़ना है तो पकड़लो, मीटिंग नहीं होने देना चाहते तो ऐसा लिख कर देदो। पुलिसवाले चले गए और मीटिंग हो गई।
इसके दो महीने बाद बगड़ में मीटिंग बुलाई गई। बगड़ में कुछ जाटों ने पुलिस के बहकावे में आकार कुछ गड़बड़ करने की कोशिश की। किन्तु ठाकुर देशराज ने बड़ी बुद्धिमानी और हिम्मत से इसे पूरा किया। इसी मीटिंग में जलसे के लिए धनसंग्रह करने वाली कमिटियाँ बनाई।
जलसे के लिए एक अच्छी जागृति उस डेपुटेशन के दौरे से हुई जो शेखावाटी के विभिन्न भागों में घूमा। इस डेपुटेशन में राय साहब चौधरी हरीराम सिंह रईस कुरमाली जिला मुजफ्फरनगर, ठाकुर झुममन सिंह मंत्री महासभा अलीगढ़, ठाकुर देशराज, हुक्म सिंह जी थे। देवरोड़ से आरंभ करके यह डेपुटेशन नरहड़, ककड़ेऊ, बख्तावरपुरा, झुंझुनू, हनुमानपुरा, सांगासी, कूदन, गोठड़ा
[पृ.5]: आदि पचासों गांवों में प्रचार करता गया। इससे लोगों में बड़ा जीवन पैदा हुआ। धनसंग्रह करने वाली कमिटियों ने तत्परता से कार्य किया और 11,12, 13 फरवरी 1932 को झुंझुनू में जाट महासभा का इतना शानदार जलसा हुआ जैसा सिवाय पुष्कर के कहीं भी नहीं हुआ। इस जलसे में लगभग 60000 जाटों ने हिस्सा लिया। इसे सफल बनाने के लिए ठाकुर देशराज ने 15 दिन पहले ही झुंझुनू में डेरा डाल दिया था। भारत के हर हिस्से के लोग इस जलसे में शामिल हुये। दिल्ली पहाड़ी धीरज के स्वनामधन्य रावसाहिब चौधरी रिशाल सिंह रईस आजम इसके प्रधान हुये। जिंका स्टेशन से ही ऊंटों की लंबी कतार के साथ हाथी पर जुलूस निकाला गया।
कहना नहीं होगा कि यह जलसा जयपुर दरबार की स्वीकृति लेकर किया गया था और जो डेपुटेशन स्वीकृति लेने गया था उससे उस समय के आईजी एफ़.एस. यंग ने यह वादा करा लिया था कि ठाकुर देशराज की स्पीच पर पाबंदी रहेगी। वे कुछ भी नहीं बोल सकेंगे।
यह जलसा शेखावाटी की जागृति का प्रथम सुनहरा प्रभात था। इस जलसे ने ठिकानेदारों की आँखों के सामने चकाचौंध पैदा कर दिया और उन ब्राह्मण बनियों के अंदर कशिश पैदा करदी जो अबतक जाटों को अवहेलना की दृष्टि से देखा करते थे। शेखावाटी में सबसे अधिक परिश्रम और ज़िम्मेदारी का बौझ कुँवर पन्ने सिंह ने उठाया। इस दिन से शेखावाटी के लोगों ने मन ही मन अपना नेता मान लिया। हरलाल सिंह अबतक उनके लेफ्टिनेंट समझे जाते थे। चौधरी घासी राम, कुँवर नेतराम भी
[पृ.6]: उस समय तक इतने प्रसिद्ध नहीं थे। जनता की निगाह उनकी तरफ थी। इस जलसे की समाप्ती पर सीकर के जाटों का एक डेपुटेशन कुँवर पृथ्वी सिंह के नेतृत्व में ठाकुर देशराज से मिला और उनसे ऐसा ही चमत्कार सीकर में करने की प्रार्थना की।
Population
As per Census-2011 statistics, Sangasi village has the total population of 745 only (of which 367 are males while 378 are females).[5]
Notable persons
- Chimana Ram Kulhari - Freedom fighter
- Budha Ram Kulhari - Freedom fighter
- Vidyadhar Kulhari - Freedom fighter and advocate of repute
- Jaydev Singh Kulhari - Freedom fighter
- R V Mukul (Kulhari) - Retd. IPS, Phone - 0141-2358191. Originally from village Sangasi-Mandasi in jhunjhunu district (Rajasthan)
- Dr Devendra Kulhari - Retd Principal
- Bhagwan Singh Payal - Lecturer
- Vidyasagar Kulhari - Dy. C M - Jhunjhunu
- D K Payal - From Sangasi is Sr Executive and Head of Marketing of Cement Company.
- Narendra Singh Kulhari (RAS), from village Sangasi, Jhunjhunu, Rajasthan. He died of heart attack at Jaipur in 2018.
- Kritika Kulhari - D/O Narendra Singh Kulhari (RAS), from village Sangasi, Jhunjhunu, Rajasthan. IAS-2012, Rank 162. राजस्थान के झुंझुनू जिले के सागासी गांव हाल निवासी इन्दिरा नगर की रहने वाली कृतिका कुल्हरी हिमाचल प्रदेश डीसी पद पर प्रोमोट हो गई है। उनके प्रमोशन की खबर सुनते ही गांव में खुशियों की लहर दौड़ चुकी है। कृतिका कुल्हरी के आईएएस बनने की कहानी बड़ी शानदार रही हैं। कृतिका कुल्हारी केवल 25 साल की उम्र में यूपीएससी की परीक्षा को पास करके बनी थी। साल 2013 में उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में 132वी रैंक हासिल की थी। झुंझुनू जिले की इस बेटी ने पूरे जिले का नाम रोशन कर दिया कृतिका कुल्हारी की शिक्षा की बात करें तो उन्होंने मशहूर संस्थान बिट्स पिलानी से बीटेक की पढ़ाई की है। इसके बाद उन्होंने अपने पिता से प्रेरित होकर सिविल पर क्षेत्र में जाकर देश की सेवा करने का निर्णय किया।कृति कुल्हरी के पिता नरेंद्र कुल्हरी की बात करें तो वह बीकानेर में एडिशनल डिप्टी डायरेक्टर पद पर कार्यरत थे। लगभग 3 साल पहले उनके पिता जयपुर के अंबर होटल में डैड पाए गए थे। जब उन्हें अस्पताल ले जाया गया था, डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। बताया जा रहा था नरेंद्र कुल्हरी का हार्टअटेक्ट की वजह से निधन हो गया है। वही कृतिका कुलहरि ने इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद कई नौकरी के ऑफर मिले थे। लेकिन उन्होंने उन सभी नौकरियों को त्याग कर यूपीएससी परीक्षा देने का फैसला किया था। कृतिका अपने पिता की तरह सिविल क्षेत्र में जाना चाहती थी। इसी को लेकर उन्होंने कई बड़ी कंपनियों की नौकरी को छोड़कर आईएएस बनने का निर्णय किया था। कृतिका हिमाचल प्रदेश में पहले चंबा जिले में एडीसी पद पर कार्यरत थी। लेकिन अब वह हिमाचल प्रदेश में डीसी पर प्रमोट हो गई है। साल 2009 में कृतिका के भाई का भी निधन हो गया था। इसके चलते वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान रह गई थी। [6]
- केसरदेव सांगसी /जयदेव सिंह सांगासी /मुकुंद राम सांगसी - 15 जून 1946 को झुंझुनू में किसान कार्यकर्ताओं की एक बैठक चौधरी घासी राम ने बुलाई. शेखावाटी के प्रमुख कार्यकर्ताओं ने इसमें भाग लिया. अध्यक्षता विद्याधर कुलहरी ने की. इसमें यह उभर कर आया कि भविष्य में समाजवादी विचारधारा को अपनाया जाये. जिन व्यक्तियों ने किसान सभा का अनुमादन किया उनमें आप भी सम्मिलित थे. (राजेन्द्र कसवा, p. 201-03).
- Amit Kulhari - G/S Late Rameshwar Lal, S/O Jai Bhagwan, Senior Scientist in CSIR, Lucknow, Details see: CSIR Link, http://wellcomedbt.org/fellowsprofile/dr-amit-kumar-324
- Late Shri Bansidhar Kulhari - नुआ स्कूल में बाबू जी की नौकरी करते करते DIET झुंझुनूं से OS पोस्ट से रिटायर हुए,आजीवन छुट्टी नहीं ली इन्होंने अपने कार्यकाल में। रिटायर होने के बाद 10 साल तक कैंसर से जंग लड़ी। अपने जमाने में हाफ बॉडी ट्रक रखा करते थे नोकरी के साथ, घोड़ीवारा बालाजी मंदिर के निर्माण के लिए सबसे पहले पत्थर इन्होंने डलवाए थे, 2 बेटे और 3 बेटियां है इनकी।
बड़ा बेटा AA क्लास PWD कांट्रेक्टर थे झुंझुनूं में, जिले के सबसे बड़े ठेकेदारों में आज भी नाम है उनका सुनील कुलहरी (फर्म कुलहरी कंस्ट्रक्शंस). छोटा बेटा डॉक्टर है वर्तमान में मंडावा टाउन में BcMo के पद पर कार्यरत है जो समाज को अपनी सेवाए दे रहे है, झुंझुनूं रिको में निर्माणधीन हॉस्पिटल इनके पिताजी के नाम गवर्नमेंट एलॉटेड प्लॉट H1 पर है। इनकी तीनों बेटियां शिक्षा विभाग में कार्यरत है।
- Sumit Kumar Kulhari - DSP, Raj Police,
Gallery
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Kritika Kulhari, IAS
External Links
References
- ↑ राजेन्द्र कसवा: मेरा गाँव मेरा देश (वाया शेखावाटी), जयपुर, 2012, ISBN 978-81-89681-21-0, P. 95
- ↑ विद्याधर कुल्हरी:मेरा जीवन संघर्ष, पृ.27
- ↑ डॉ पेमाराम: शेखावाटी किसान आन्दोलन का इतिहास, 1990, p.155
- ↑ ठाकुर देशराज:Jat Jan Sewak, p.1, 4-6
- ↑ http://www.census2011.co.in/data/village/71573-sangasi-rajasthan.html
- ↑ Facebook Post of Jasraj Dhatarwal, 24.6.2021
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