Shripal II

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Shripal II (born 1341 AD) was a Nain clan ruler of Jangladesh. [1]

History

Sons of Shripal II Nain (born 1341 AD) founded villages - Ladhasar by Raju, Bachharara by Dula, Malpur by Kalu, Keu by Hukma, Beenjhasar by Lalla, Churu by Chuhar in 1360 AD. [2]

इतिहास

ठाकुर देशराज [3] ने लिखा है कि....नैणसी के चुहड़ हुआ, चुहड़ के चोखा और लालू दो पुत्र हुये, चोखा के फत्ता और मूला दो लड़के हुये। इनमें फत्ता ने ही सरवरपुर (अब सरूरपुर) की नींव डाली। इस वंश में किशनपाल से 5वीं पीढ़ी में श्रीपाल नाम के एक प्रसिद्ध व्यक्ति हुये उसने संवत 1310 अर्थात 1253 ई. में भिराणी गाँव बसाया। यह गाँव बीकानेर डिवीजन की भादरा तहसील में अवस्थित है।

किशनपाल के दो पुत्र हूला और काहना हुये। हूला के कालू और धन्ना दो पुत्र हुये। कालू के मूंधड़ और मूंधड़ का पुत्र श्रीपाल था। श्रीपाल के दो स्त्रियाँ थी मान और पुनियानी। मान के 6 पुत्र हुये – 1.दल्ला, 2.पेमा, 3.खीवा, 4.चेतन, 5.रतना और 6. पूसा। पुनियानी स्त्री से 5 पुत्र हुये – रामू, काहना, अमरा, गणेश, और हुक्मा।


[p.337]: इनमें से मान स्त्री से उत्पन्न खीवा को बालासर तहसील नोहर में मार दिया। इस घटना का विवरण पिछले पृष्ठों में कहीं आ चुका है। मान स्त्री के ज्येष्ठ पुत्र दूला से 1.आंभल, 2.मोती और 3.हनुमंता नाम के 3 पुत्र हुये। इनमें आंभल के भी 3 पुत्र हुये – 1.दल्ला, 2. काहन और 3. वीरू। वीरू के जो पूत्र हुआ उसका नाम प्रसिद्ध पुरुष श्रीपाल के नाम पर श्रीपाल ही रखा। इस श्रीपाल द्वितीय का जन्म संवत 1398 अर्थात सन 1341 ई. में हुआ। श्रीपाल द्वितीय के 12 पुत्र हुये – 1. राजू, 2. दूला, 3. मूला, 4. कालू, 5. रामा, 6. हुक्मा, 7. चुहड़, 8. हूला, 9. लल्ला, 10. चतरा, 11. फत्ता और 12. नन्दा।

इनमें से राजू ने संवत 1417 (1360 ई.) में लद्धासर, दूला ने बछरारा, कालू ने मालपुर, हुक्मा ने केऊ, लल्ला ने बींझासर बसाया। और चुहड़ ने चुरू आबाद किया।

इन 12 में से दूला के 3 पुत्रों का हमें पता चलता है – 1.राजू, 2.नंदा और 3. जीवन उनके नाम थे। राजू के 1. बुधा और 2. पेमा 2 पुत्र हुये। बुधा के 1. हरीराम और 2. सेवा दो पुत्र हुये। हरीराम ने संवत 1525 (1468 ई.) में बछरारा को फिर से आबाद किया क्योंकि बीच में झगड़ों के कारण बछरारा बर्बाद हो गया था। हरीराम के दो पुत्र 1.पूला और 2. तुलछा नामक हुये।


[p.338]: पूला के 1.सादा और 2.मुगला दो पुत्र हुये। मुगला ने संवत 1610 (1553 ई.) ने बछरारा में एक जोहड़ खुदवाया। जिसका वर्णन ठाकुर सकत सिंह ने सन 1939 ई. को अपनी उस गवाही में किया था जो उन्होने चौधरी हरीश चंद्र के क़दीम बिकानेरी होने के संबंध में तहसील रतनगढ़ में दी थी। सादा के दो पुत्र 1.आसा और 2.चतरा नामी हुये। आसा के 1.दासा और 2.लक्ष्मण हुये। दासा के 1.गोपाल, 2.भूरा और 3.पूरन तीन पूत्र हुये। गोपाल के 2 पुत्र 1.भारू और 2.रामकरण हुये।

नैणसी से हरीशचन्द्र तक की वंशावली

ठाकुर देशराज [4] ने बीकानेरीय जागृति के अग्रदूत – चौधरी हरीशचन्द्र नैण, 1964 पुस्तक में नैण वंश परिचय पृ 335-342 पर विस्तार से दिया है। यहाँ उनका वंश वृक्ष संक्षेप में निम्न प्रकार से दिया जा रहा है:

नैणसी (1100 ई.) → चुहड़ → चोखा → फत्ता (सरवरपुर= सरूरपुर की नींव डाली) → किशनपाल → हूला → कालू → मूंधड़ → श्रीपाल (1253 ई. में भिराणी गाँव बसाया) (+मान गोत्री पत्नी) → दल्ला → आंभल → वीरू → श्रीपाल द्वितीय (जन्म 1341 ई.) → राजू (1360 ई. में लद्धासर बसाया) + (भाई दूला ने बछरारा, कालू ने मालपुर, हुक्मा ने केऊ, लल्ला ने बींझासर बसाया और चुहड़ ने चुरू आबाद किया) राजू का भाई दूला → राजू → बुधा → हरीराम (हरीराम ने 1468 ई. में बछरारा को फिर से आबाद किया) → पूला → सादा (सादा के भाई मुगला ने 1553 ई. बछरारा में एक जोहड़ खुदवाया) → आसा → दासा → गोपाल → भारू (जाखड़नी से) → हर्षा → लाला → हेमा → हीरा → चेनाराम → रामूराम → हरीश चन्द्र (भाई हिमताराम ) → 1.श्री श्रीभगवान (पुत्र है वीरेंद्र) + 2.वेदप्रकाश (पुत्री इन्दुरजनी)

External links

See also

References


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