क्या जाट सबसे कायर या सबसे ज्यादा लोभी-लालची कौम है?
मैंने संयुक्त पंजाब और यूपी की सन् 1931 की जनगणना रिपोर्टों के आधार पर जाटों की जनसंख्या संबन्धित पोस्ट लिखी थी, इसमें मैंने हिन्दू, सिख, मुस्लिम व अन्य धर्मों को मानने वाले जाटों के अलग अलग आंकड़े दिये थे। इस पर कुछ ब्रेनवाश्ड जाटों ने कमेंट किया कि सिर्फ धर्म की रक्षा करने वाले हिन्दू जाटों की बात करो, जो डर से या लोभ-लालच में अपना धर्म छोड़ गए उनकी नहीं। उनका इशारा मुस्लिम जाटों की तरफ था। ये ब्रेनवाश वाला सिलसिला अभी कोई दस-बीस साल से नहीं चला है, मैं एक पुरानी किताब पढ़ रहा था, जो सन् 1900 के आस-पास लिखी गई थी, उसमें भी जब दिल्ली के आसपास के जाटों का जिक्र आता है तो लेखक लिखता है कि यहाँ के हिन्दू जाटों में मुस्लिम जाटों के बारे में अक्सर सुनने को मिलता है कि डर या लालच में मुस्लिम बने। उस समय यह प्रोपगैंडा किसने चलाया, इसका अनुमान उस समय की सामाजिक-धार्मिक गतिविधियों को पढ़ेंगे तो आसानी से समझ आ जाएगा। खासकर अगर आबादी के आंकड़ों के साथ पढ़ें तो यह सपष्ट समझ आ जाएगा। तो आज भी जो लोग इस प्रोपगैंडा के शिकार हैं और बड़े गर्व से इसका प्रचार करते हैं, उनके लिए मैं सन् 1921 व सन् 1931 के आंकड़े लिख रहा हूँ, इन आंकड़ों को पढ़कर वे ये जरूर बताएं कि क्या जाट ही सबसे कायर या सबसे ज्यादा लोभी-लालची कौम थी?
सन् 1921 में देश में जाट आबादी (N.W.F.P, पंजाब, संयुक्त प्रांत, कश्मीर, राजपूताना)
हिन्दू जाट ? 27,20,601
आर्य जाट ? 29,642
जैन जाट ? 565
सिक्ख जाट ? 18,41,773
मुस्लिम जाट ? 27,82,236
कुल आबादी ? 73,74,817
(हालांकि, इसमें बॉम्बे प्रेसीडेंसी, सेंट्रल प्रोविन्स आदि प्रान्तों के जाटों के आंकड़े शामिल नहीं हैं, वैसे वो आंकड़ा इतना बड़ा भी नहीं है)
(Census Of India, 1921; Vol-I, Part-II, tables; page 153)
सन् 1931 की जनगणना में देश में हिन्दू जाट आबादी और कम हुई।
हिन्दू जाट ? 28,45,156 (34.69%)
सिक्ख जाट ? 21,91,730 (26.72%)
मुस्लिम जाट ? 31,64,537 (38.59%)
कुल आबादी ? 82,01,423
:- आर्य जाट, जैन, ईसाई , ब्रह्मों, राधास्वामी आदि ये सब मैंने हिन्दू में ही गिन लिए हैं। वैसे आर्य समाजी जाटों ने खुद को हिन्दू से अलग लिखवाया था।
(census of India, 1931, Rajputana, vol-27, page 124,131; Census of India, 1931, Part-II, Imperial and Provincial Tables, Page- 509, 525, 539, 546; Census Of India, 1931, Vol-I, part-II, page-544)
ये बड़ा प्रचार किया जाता रहा है कि औरंगजेब ने तलवार के बल पर जबरन धर्म परिवर्तन करवाया। जबकि हैरानी कि बात यह है कि जाट जाति के धर्म के आंकड़ों में तेजी से जो बदलाव आया वह सन् 1881 से सन् 1931 के बीच आया। जबकि इस अवधि में न तो औरंगजेब का कोई शासन था और न ही शायद उसकी रूह अप्रत्यक्ष रूप से यहाँ शासन कर रही थी। फिर जाट किसके डर से ये पलायन कर रहे थे? और खास बात यह भी है कि इस दौर में आर्य समाज का शुद्धि आंदोलन भी अपने चरम पर था, जाट आर्य समाज से भी खूब जुड़े, परंतु जाट इससे कहीं अधिक इस्लाम या सिख में ज्यादा गए।
इसलिए कहता हूँ कि किसी दूसरे के बहकावे में आने से पहले तथ्यों को जरूर परख लिया करो, कहीं ऐसा न हो कि अनजाने में जो तुम प्रचार कर रहे हो, जिसे नीचा दिखाने की कोशिश कर रहें हो, कहीं उसमें तुम्हारे ही लोग तो ज्यादा नहीं हैं! यदि ज्यादा हैं तो फिर ये जरूर विचार कर लेना कि तुमसे यह प्रचार कौन करवा रहा है?
संयुक्त पंजाब जाटों का घर कहा जाता था। सन् 1931 में अकेले संयुक्त पंजाब में जाटों की आबादी 60,70,032 थी। जिसमें मुस्लिम जाटों की आबादी 29,41,395 थी। अब इन आंकड़ों के आधार पर हर धर्म के जाट को विचार करना चाहिए कि तुम्हारे साथ कौन खेल कर गया? वैसे जाट के बारे में एक कहावत भी प्रसिद्ध है कि जाट वह इंसान है जो खुद की झोपड़ी को आग लगा कर कह सकता है कि ?ले भाई! मजा आ गया?।
-राकेश सिंह सांगवान
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मैंने संयुक्त पंजाब और यूपी की सन् 1931 की जनगणना रिपोर्टों के आधार पर जाटों की जनसंख्या संबन्धित पोस्ट लिखी थी, इसमें मैंने हिन्दू, सिख, मुस्लिम व अन्य धर्मों को मानने वाले जाटों के अलग अलग आंकड़े दिये थे। इस पर कुछ ब्रेनवाश्ड जाटों ने कमेंट किया कि सिर्फ धर्म की रक्षा करने वाले हिन्दू जाटों की बात करो, जो डर से या लोभ-लालच में अपना धर्म छोड़ गए उनकी नहीं। उनका इशारा मुस्लिम जाटों की तरफ था। ये ब्रेनवाश वाला सिलसिला अभी कोई दस-बीस साल से नहीं चला है, मैं एक पुरानी किताब पढ़ रहा था, जो सन् 1900 के आस-पास लिखी गई थी, उसमें भी जब दिल्ली के आसपास के जाटों का जिक्र आता है तो लेखक लिखता है कि यहाँ के हिन्दू जाटों में मुस्लिम जाटों के बारे में अक्सर सुनने को मिलता है कि डर या लालच में मुस्लिम बने। उस समय यह प्रोपगैंडा किसने चलाया, इसका अनुमान उस समय की सामाजिक-धार्मिक गतिविधियों को पढ़ेंगे तो आसानी से समझ आ जाएगा। खासकर अगर आबादी के आंकड़ों के साथ पढ़ें तो यह सपष्ट समझ आ जाएगा। तो आज भी जो लोग इस प्रोपगैंडा के शिकार हैं और बड़े गर्व से इसका प्रचार करते हैं, उनके लिए मैं सन् 1921 व सन् 1931 के आंकड़े लिख रहा हूँ, इन आंकड़ों को पढ़कर वे ये जरूर बताएं कि क्या जाट ही सबसे कायर या सबसे ज्यादा लोभी-लालची कौम थी?
सन् 1921 में देश में जाट आबादी (N.W.F.P, पंजाब, संयुक्त प्रांत, कश्मीर, राजपूताना)
हिन्दू जाट ? 27,20,601
आर्य जाट ? 29,642
जैन जाट ? 565
सिक्ख जाट ? 18,41,773
मुस्लिम जाट ? 27,82,236
कुल आबादी ? 73,74,817
(हालांकि, इसमें बॉम्बे प्रेसीडेंसी, सेंट्रल प्रोविन्स आदि प्रान्तों के जाटों के आंकड़े शामिल नहीं हैं, वैसे वो आंकड़ा इतना बड़ा भी नहीं है)
(Census Of India, 1921; Vol-I, Part-II, tables; page 153)
सन् 1931 की जनगणना में देश में हिन्दू जाट आबादी और कम हुई।
हिन्दू जाट ? 28,45,156 (34.69%)
सिक्ख जाट ? 21,91,730 (26.72%)
मुस्लिम जाट ? 31,64,537 (38.59%)
कुल आबादी ? 82,01,423
:- आर्य जाट, जैन, ईसाई , ब्रह्मों, राधास्वामी आदि ये सब मैंने हिन्दू में ही गिन लिए हैं। वैसे आर्य समाजी जाटों ने खुद को हिन्दू से अलग लिखवाया था।
(census of India, 1931, Rajputana, vol-27, page 124,131; Census of India, 1931, Part-II, Imperial and Provincial Tables, Page- 509, 525, 539, 546; Census Of India, 1931, Vol-I, part-II, page-544)
ये बड़ा प्रचार किया जाता रहा है कि औरंगजेब ने तलवार के बल पर जबरन धर्म परिवर्तन करवाया। जबकि हैरानी कि बात यह है कि जाट जाति के धर्म के आंकड़ों में तेजी से जो बदलाव आया वह सन् 1881 से सन् 1931 के बीच आया। जबकि इस अवधि में न तो औरंगजेब का कोई शासन था और न ही शायद उसकी रूह अप्रत्यक्ष रूप से यहाँ शासन कर रही थी। फिर जाट किसके डर से ये पलायन कर रहे थे? और खास बात यह भी है कि इस दौर में आर्य समाज का शुद्धि आंदोलन भी अपने चरम पर था, जाट आर्य समाज से भी खूब जुड़े, परंतु जाट इससे कहीं अधिक इस्लाम या सिख में ज्यादा गए।
इसलिए कहता हूँ कि किसी दूसरे के बहकावे में आने से पहले तथ्यों को जरूर परख लिया करो, कहीं ऐसा न हो कि अनजाने में जो तुम प्रचार कर रहे हो, जिसे नीचा दिखाने की कोशिश कर रहें हो, कहीं उसमें तुम्हारे ही लोग तो ज्यादा नहीं हैं! यदि ज्यादा हैं तो फिर ये जरूर विचार कर लेना कि तुमसे यह प्रचार कौन करवा रहा है?
संयुक्त पंजाब जाटों का घर कहा जाता था। सन् 1931 में अकेले संयुक्त पंजाब में जाटों की आबादी 60,70,032 थी। जिसमें मुस्लिम जाटों की आबादी 29,41,395 थी। अब इन आंकड़ों के आधार पर हर धर्म के जाट को विचार करना चाहिए कि तुम्हारे साथ कौन खेल कर गया? वैसे जाट के बारे में एक कहावत भी प्रसिद्ध है कि जाट वह इंसान है जो खुद की झोपड़ी को आग लगा कर कह सकता है कि ?ले भाई! मजा आ गया?।
-राकेश सिंह सांगवान
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