Maha-Chutkala Thread::Your Best Jokes ::Hall of Fame

samarkadian

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अपणा यो विभाग यानी की हँसी मजाक आला विभाग पूरी साईट पे सब ते बत्ती trp बगावे स ! चाहए गेस्ट हो या मेम्बर, अधिकतर सब त पहलम नए चुटकले चेक करे स ! और सारे विभागा त बत्ती सूत्र(धागे) भी इसे म चाले स ! पुराने हसाऊ सौदे किसे न देखने हो त आलकस स हो जा ह पछले पन्ने पलटन का ! प्रस्तुत सूत्र में सारे अपनी अपनी पसंद क पुराने अर नए चुटकले छाप सके स ताकि बार बार पन्ने न पलटने पड़े अर जो सब त कसुता माल हो वो हाल ऑफ़ फेम यानी की विकी में भी एंटरी ले ले !



मै सूत्र का आरम्भ अपणे एक प्रिय चुटकले से करता हूँ जो यहाँ बरसो पहले डाला गया था !

(सरद-गरम)

एक ब एक ताऊ, कसुता उत , अपणे बड़े छोरे के शहर में नए बनाये ओड़ घर में गया अर रात ने बहार बरामदे में खाट गाल के सोगा ! कित जक पड़े थी !

अपने छोरे ते रुका मारया - र मन्ने जाड़े में मारोगे के ? छोरे ने उसकी खाट भीतर गाल दी !

कोन्या डटया गया ! फेर रुका मारया - अर ! मन्ने गर्मी में मारोगे के ?

छोरे ने फेर ताऊ की खाट धेल ते आधी बहार अर आधी भीतर घाल दी !

ताऊ के फेर कुचरनी उठी अर मारया रुका -- अर कसाई मन्ने सरद-गरम करके मारोगे के !
 
[h=2]Jat is Jat[/h]
Do Jat bhari dopahar me cycle ne bhajaaye ja the ...........unme te ek ki cycle ki bar-bar chain utar ja thi... wo bechara dhoop me bath k use sudharan laag ra... paseene me bheeg ra ar ghana tang ho liya .............:rolleyes:
pahla bolya - re Ompal aaj to teri cycle ghana e preshaan kar ri hai ...............:p
Ompal- fer ke ho gya...paachle saal teri bhi to chhori bhaaj gi thi ............
:rock
 
Jat is Jat

Do Jat bhari dopahar me cycle ne bhajaaye ja the ...........unme te ek ki cycle ki bar-bar chain utar ja thi... wo bechara dhoop me bath k use sudharan laag ra... paseene me bheeg ra ar ghana tang ho liya .............:rolleyes:
pahla bolya - re Ompal aaj to teri cycle ghana e preshaan kar ri hai ...............:p
Ompal- fer ke ho gya...paachle saal teri bhi to chhori bhaaj gi thi ............
:rock

:rock:rock:rockhiiiiiiiiiiiiiihhhhhhhhhiiiiiiiiiiihhhhhhhhhiiiiiiiiiiiiiii,,,,,,,,,,,:rock:rock:rock
 
अपणा यो विभाग यानी की हँसी मजाक आला विभाग पूरी साईट पे सब ते बत्ती trp बगावे स ! चाहए गेस्ट हो या मेम्बर, अधिकतर सब त पहलम नए चुटकले चेक करे स ! और सारे विभागा त बत्ती सूत्र(धागे) भी इसे म चाले स ! पुराने हसाऊ सौदे किसे न देखने हो त आलकस स हो जा ह पछले पन्ने पलटन का ! प्रस्तुत सूत्र में सारे अपनी अपनी पसंद क पुराने अर नए चुटकले छाप सके स ताकि बार बार पन्ने न पलटने पड़े अर जो सब त कसुता माल हो वो हाल ऑफ़ फेम यानी की विकी में भी एंटरी ले ले !

ईब याहडै इतने टुचकले लिख दयांगे अक इसके भी थोडे दिनां मे कई पन्ने हो ज्यांगे, अर फेर पढण आला नै आलकस आवैगा
 
ईब याहडै इतने टुचकले लिख दयांगे अक इसके भी थोडे दिनां मे कई पन्ने हो ज्यांगे, अर फेर पढण आला नै आलकस आवैगा

अच्छी ये बात स भाई ज तू गर्जन के साथ बरसन आला बादल भी स त ! तावला कर मरयार यो काम !
 
badiya kra yu taga suru kr k...........per bhai thamne to punjhadi devta k pet pe laat maar di................
aade vo punjhad lgata lgata thak jaga......................hahahhahhahaha
 
रविंदर : आन भाई या लड़ाई (द्वित्य विश्व युद्ध ) कद ख़तम होवेगी ?
सुनील : मन्ने के बेरा भाई
रविंदर : अपना समर भी जा रहया है ने लड़ाई में
सुनील : जबे तो कहू हूँ हिटलर भी जिद्दी आर समर भी कोए सा पाछे ना हटे
 
एक बार एक सूते होए बनिए की छाती पर के सांप उतर गया ! बनिया मारे किलकी कसुता फूट फूट रोवे ! समर आया बोल्या हट तेरा ससरा क्यूँ अरडाण लग रहया है सांप तो जा लिया ! बनिया बोल्या " सांप ने तो इब राही पा गयी जब जी करेगा आ ज्यागा "
 
एक गाम मै दो मोहले थे , एक ज्ञाटा का और एक मुसलमाना का ,
ज्ञाटा ने भूरा कुत्ता पाल रखा और मुसलमाना ने काला कुत्ता पाल रखा था ,
एक दिन ज्ञाटा के कुत्ते ने काले कुत्ते को आपने मोहले मै न्योता दे क
बुला लिया , इब काला कुत्ता आगा . दोनु मोहले मै किसे भी घर के आगे
जावे , कही घर के आगे राबड़ी धरी मिल जा , कही रोटी , कही छाछ
मिलज्या . दोनों साँझ तक छिक लिए . अब चलते टाइम उस काले कुत्ते
नै भी इतवार का उसको न्योता दे दिया . इतवार को भूरा कुत्ता पहुच
गया उसके मोहले मै . सुबह से रात होगी पुरे मोहले मै कुछ भी न पाया
खावन नै . दोनों मरे भूखे , जाटा का कुत्ता बोल्या ,, क्यों पडा है इस मोहले
मैं , मेरे पास आजा तू भी . थोडी देर बाद एक मुसल्मान्नी आपनी छोरी
नै गाल देन लाग रही की -- तने काले कुत्ते के ब्याहुगी .
काला कुत्ता न्यू बोल्या -भाई जीना जाना तो कीमे अपना आप तो इसे आस में जी रहे हैं देखो रिश्ता हो ज्या तै​
 
अच्छी ये बात स भाई ज तू गर्जन के साथ बरसन आला बादल भी स त ! तावला कर मरयार यो काम !
वो कहया करें " म्हारी कुत्ति का मन माने शेर ने पाड ले पर के करा सुसरी का मन ए ना मानता "


आड़े दो चार आदमी सिर्फ इसलिए लिखे हैं की उनके थ्रेड काउंट बढ़ जया ये कीमे कारन धरण के ना हैं !
 
वो कहया करें " म्हारी कुत्ति का मन माने शेर ने पाड ले पर के करा सुसरी का मन ए ना मानता "


आड़े दो चार आदमी सिर्फ इसलिए लिखे हैं की उनके थ्रेड काउंट बढ़ जया ये कीमे कारन धरण के ना हैं !

भाई तन्नै भी पूंझड ला ला आधे तै बत्ती थ्रैड न्यूं ए काऊंट कर राखे सैं अपणे
 
(तन्ने इतनी जी कह दी ह ...)


यो किस्सा मेरे गाम में एक डेढ़ साल पहलम हुआ था !

म्हारे त पाछली गाल म घरडू रहा करे ! घरडू स कती घरडू ! कसुता मजाकिया भी अर छोला भी ! रोल्ला करती हना टेम न लावे ! उसके तीन छोरे स ! सब त छोटा छठी म पडया करता इस घटना के टेम ! सांझ न खेलती हाना किसे और के बालक न घरडू आले का सर फोड़ दिया ! सर फोडनीया बालक घरडू आले त कोय दो तीन साल छोटा होगा ! इस बालक की माँ पढ़ी लिखी लुगाई स ! घरा जा क इस छोरे ने अपनी माँ त बताई ! छोरे की माँ डरगी अक काल मेरे छोरे का भी फोड़ेंगे ये ! डरती डरती घरडू हर क गयी ! घरडू न बेरा भी न था अक छोरा सर फुड़ा क आ रहा स !

छोरे की माँ बोली - ''जी म्हारे छोरे त गलती होगी जी ! मै दवाई पट्टी कर दूंगी जी ! पिस्से दे दूंगी जी ! म्हारे छोरे का सर मत फोड़ीयो जी !''

घरडू सारी बात सुना पाछे बोला - ''तन्ने इतनी ब जी कह दी स .पूरी ज़िन्दगी म मेरे ताई त किसी न कही नहीं ! इब सुसरे म्हारे आले क चाहे धनुस्बा हो जा ज तेरे आले त कीमे कह वो त मै समारुंगा उसने !''
 
यो समर भी बालकपन त कसुता उत् स | जद यो समर पैदा होया तो इसका बाबु इसने शहर त दूर जंगले में एक ऋषि के गुरुकुल में छोड़ आया अक कदे छोरा आड़े उलटी सीधी बात सीख के बिगड़ न जा |
20 साल बाद जद इसकी पढ़ाई पूरी हो गई तो यो उल्टा शहर में अपने बाबू के पास आ गया | एक दिन इसका बाबू इसने शहर दीखान ले गया अक छोरे न इब किम्मे दुनियादारी का भी ज्ञान दे दू | इसका बाबू इसने बतान लाग्या अक बेटा ये उच्ची उच्ची जो दिखे स इन्ने इमारत कह्य करे , या मेट्रो स , या बस स , इतने में इसके जड़ क एक छोरी टपी | यो पड़ता ऐ बोला अक बाबू यो के स ? इसके बाबू न भी सोची अक इबके गलत सवाल कर दिया उत् ने पर जवाब तो देना ऐ पड़ेगा तो इसका बाबू बात टालन का मारा बोल्या बेटा इसने राजहंस कह्य करे | रात ने जद घर आये तो इसके बाबू बोल्या अक बेटा तैने सबते अच्छा के लाग्या | उत् पड़ता ऐ बोल्या.. बाबू ...राजहंस
;)
 
ईब याहडै इतने टुचकले लिख दयांगे अक इसके भी थोडे दिनां मे कई पन्ने हो ज्यांगे, अर फेर पढण आला नै आलकस आवैगा

ehh lee bhai koni bhare kise ne is thread k page.............ebb kise ne alkass na aave.......lol
 
अपणा यो विभाग यानी की हँसी मजाक आला विभाग पूरी साईट पे सब ते बत्ती trp बगावे स ! चाहए गेस्ट हो या मेम्बर, अधिकतर सब त पहलम नए चुटकले चेक करे स ! और सारे विभागा त बत्ती सूत्र(धागे) भी इसे म चाले स ! पुराने हसाऊ सौदे किसे न देखने हो त आलकस स हो जा ह पछले पन्ने पलटन का ! प्रस्तुत सूत्र में सारे अपनी अपनी पसंद क पुराने अर नए चुटकले छाप सके स ताकि बार बार पन्ने न पलटने पड़े अर जो सब त कसुता माल हो वो हाल ऑफ़ फेम यानी की विकी में भी एंटरी ले ले !



मै सूत्र का आरम्भ अपणे एक प्रिय चुटकले से करता हूँ जो यहाँ बरसो पहले डाला गया था !

(सरद-गरम)

एक ब एक ताऊ, कसुता उत , अपणे बड़े छोरे के शहर में नए बनाये ओड़ घर में गया अर रात ने बहार बरामदे में खाट गाल के सोगा ! कित जक पड़े थी !

अपने छोरे ते रुका मारया - र मन्ने जाड़े में मारोगे के ? छोरे ने उसकी खाट भीतर गाल दी !

कोन्या डटया गया ! फेर रुका मारया - अर ! मन्ने गर्मी में मारोगे के ?

छोरे ने फेर ताऊ की खाट धेल ते आधी बहार अर आधी भीतर घाल दी !

ताऊ के फेर कुचरनी उठी अर मारया रुका -- अर कसाई मन्ने सरद-गरम करके मारोगे के !


kadian saab kade to naya baga diya karo
yo to balkan ne bhi aave se
 
एक बार एक औरत अपने घरवाले की जो क्वार के महीने मैं हल चलाने गया था सुबह कलेऊ लेकर गई और साथ मैं बैलों के लिए एक बाल्टी मैं खल व नाल भी लेकर गई वह ख़ुशी ख़ुशी अपने घरवाले के पास पहुंची हारी ने कलेऊ करना शुरू किया और फेर हुक्का पीन लग गया उसने अपनी घरवाली से कहा जब तक मैं हुक्का पीऊ तब तक तू बेलों को नार से खल दे दे अब वो विचारी बेलों को नाथ पकड़ के खल देने लगी लेकिन बेल तो औरत के कब्जे में नहीं आ रहे थे और खल को फेलवा देते थे हारी को गुस्सा आया और अपनी घरवाली से बोला मैं सिखाता हूँ तुझे कि किस तरह से खल देते हैं हारी हारिन के पास गया नार मैं खल भरी फिर उसने बैल क़ी नाथ पकड़ने क़ी वजाय घरवाली का मुंह दबाकर फाड़ा और वह खल क़ी भरी हुई नार उसके मुंह मैं उड़ेल दी घरवाली विचारी डरी हुई खल को पी गई और हारी ने कहा इस तरह खल देते हैं
 
बेगन कसूता ए अल्बादी बालक था | गाम त बाहर एक बीस तीस ईंट का छोटा सा मंदिर बना रखा था | उसने वो साबत सुहा नहीं रह्या था | एक दिन स्कूल त आमती हान झाडी क पाच्छे लुक क मंदिर क डले मारण लग गा फेर कोई सा अंत दिखया त मंदिर धोरे खड़या हो के झाडिया क डले मारण लाग गा ! आगले दिन उसका ताप चड गा अर् फेर डरते न उसने या बात अपने बाबू त बता दी |

उसका बाबू गया उस ए मंदिर म अर् बोल्या -- हे देवता , म्हारे त इसी के गलती होगी ?

देवता प्रकट हो क बोल्या -- '' तेरे छोरे न मेरे डले मारे '' !

उका बाबू ने जवाब दिया -- '' जी म्हारा छोरा त झाडिया म मारे था '' ! देवता बोल्या -- '' जब यो मंदिर क डले मारण लागया त मै डरता झाडियाँ म बड गा अर् फेर सारे डले मेरे सर म लागे'' !
 
(तीनु भाई आ रे सो )

बेग सिंह सात- आठ फुट लाम्बा तकड़ा जवान था ! एक ब वो अपनी सुसराड़ डगर गा ! उसकी सासू न बहुत कम दिखया करता ! सांज न जब व खेत म त घरा आई त बेग सिंह बाहरने आगे उकडू बैठा अर उसके गोड्डे आगे न लिकड़ रे थे ! बेग सिंह न अपनी सासू त नमस्ते करी त उसकी सासू न पहलम उसका गोड्डा पुचकारा अर फेर सर , आखिर म दूसरा गोड्डा पुचकारती हान बोली -- '' आँ बेटा , तीनु भाई आ रे सो ?''
 
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