Looking through data, we noticed that while member (logged-in) visits have been largely unchanged, the forum posting activity has significantly declined in the past 6 months. We're somewhat unclear why this is the case. Also, what can be done to reverse the trend?
सिस्टम वाले बाबू,
गलत तार छेड़ दिया आपने। लोग भरे बैठे है।
पिछले साल जो मेम्बर सबसे ज्यादा एक्टिव थे उनके पोस्ट तो थोक में डिलीट हुए। वो भी बिना किसी जस्टिफिकेशन के।
सारी बातें मंज़ूर है। लेकिन कोई अपना टाइम लगा के एक पोस्ट करता है और कोई उसे एक सेकंड में डिलीट का बटन दबाके उड़ा दे। बताओ दिल पे नहीं लगेगी क्या। चलो डिलीट कर भी दिया तो कम से कम उसी थ्रेड में रीज़न तो बता दे। बाकी लोगो को भी पता चले के ये चीज़ ओफ़ेन्सिव है। कोई गाली तो पोस्ट नहीं करता यहाँ जहाँ तक मुझे पता है। हर बार साईट पॉलिसी को रेफ़र कर देना सॉल्युशन नहीं है।
भला ऐसी बेइज्जती कौन बर्दाश्त करता। इसलिए चले गए वो जब कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्ही लोगो की वजह से यह फोरम आबाद था। सबसे बड़ी बात कि उसकी वजह से बाकी मेंबर्स में गलत मैसेज गया कि यहाँ वही पोस्ट होता है जो मॉडरेटर चाहते है।
इसने बाकी बचे मेबेर्स के उत्साह को चकनाचूर कर दिया। लोगो ने यहाँ से चुपचाप निकलने में ही भलाई समझी।
अब बस मॉडरेटर ही एक्टिव है यहाँ। उनकी हाइपर एक्टिविटी की वजह से मेंबर्स की एक्टिविटी ठंडी पड़ गयी।
आजकल लोग अपने घर वालो की टोका टाकी पसंद नहीं करते। फिर किसी और की कैसे करते।
खैर सारा ठीकरा मॉडरेटर के सर पे फोड़ना भी ठीक नहीं है।
ये कमबख्त इलेक्शन है कि 5 साल बाद ही आते है। इस बहाने कुछ रौनक तो आ ही जाती है। दूसरा ये सरकार भी कोई घोटाले नहीं कर रही। कुछ तो मसाला मिलता।
भला एक गाय को लेके कब तक पोस्ट करे कोई। आजकल विपक्षी पार्टियो ने भी पेड मेंबर्स को तन्ख्व्हा देनी बंद कर दी शायद। वो लोग भी बेदम पड़े है।
कोई नया भाई आता भी है तो उसे अपना पॉलिटिकल टेस्ट देना पड़ता है।
जिस पार्टी का फेवर करेगा दूसरी पार्टी के सपोर्टर उसकी कह के ले लेते है। अब ऐसा प्रेशर झेलना हर किसी के बसकी बात नहीं। उसका पोस्ट काउंट कभी एक से ज्यादा नहीं बढ़ पाता।
बाकी बचे मेरे जैसे जो अपनी हिंगलिश उर्दू चेक करने के लिए आते है। बुरा मत मानना में स्वांत: सुखाय: वाले मोड़ में हूँ।:very_drunk: