File:मेरा गाँव अल्लीका - बदन सिंह चौहान 25.06.2020.pdf
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मेरा गाँव अल्लीका - एक परिचय
मेरे गांव का नाम अल्लीका है । जिला पलवल से पश्चिम में 10 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है । यहां लगभग 700 घर हैं और कुल आबादी लगभग 5000 है । जाट जाति की बहुलता है मेरे गाँव में । कोली, बाल्मीकि, नाई, कुम्हार, बल्हार, ब्राह्मण भी रहते हैं, एक घर धोबियों के भी हैं । मेरा गाँव लगभग 550 वर्ष पहले यह गांव बसा । बसावट से अब तक 20 वीं और 21 वीं पीढ़ी भी चल रही है ।
वर्ष, 2020 में, आज हमारे इस गांव में शिक्षा का स्तर बहुत ही अच्छा चल रहा है । हर एक व्यक्ति चाहता है कि उसके बच्चे स्कूल जाए, पढ़े लिखे, भविष्य में अपना विकास करें और देश की सेवा करें और समाज की सेवा करें । यह एक बहुत अच्छी बात है । लोगों में जागरूकता फैली है अब सोचने लगे हैं कि पढ़ाई के बिना कुछ नहीं है । पहले जमाने में यहां हमारे देश में शिक्षा के इतने साधन नहीं थे और इसी कारण लोग बच्चों को स्कूल नहीं भेज सकते थे ।
अभी पिछले दिनों सर्वे हुआ था , वर्ष 2019 में, उसके अनुसार 0 से 14 वर्ष के बच्चों का पढ़ाई के आंकड़े इकट्ठे किये गये, जिसके अनुसार पाया गया कि कुल 887 बच्चों में से जो भी स्कूल जाने योग्य है वे बच्चे सभी स्कूल जा रहे हैं । यह जान कर बहुत अच्छा लगता है । गांव में दो सरकारी स्कूल हैं, एक हायर सेकेंडरी 12वीं तक और दूसरा प्राइमरी स्कूल है, पांचवीं तक । अब तो अन्य 3 प्राइवेट स्कूल भी हैं गॉंव में । जब हमारा देश आजाद हुआ था, सन 1947 में, तब एक स्कूल था प्राइमरी, फिर मिडिल बना । और बाद में हाई स्कूल और फिर हायर सेकेंडरी स्कूल बना । और प्राइमरी शाखा अलग कर दी गई । पहले, आजादी से पहले यहाँ प्री प्राइमरी 1 से 3 तक का स्कूल था । बच्चे लोग आगे पढ़ने के लिए गांव धतीर जाते थे, जहां 4थी एवं 5वीं की कक्षाएं लगती थी । उसके बाद गांव पृथला के स्कूल में दाखिला लेना पड़ता था । धतीर 4 किलो मीटर और पृथला 9 किलो मीटर पड़ता है । बहुत कम ही बच्चे पढ़ने के लिए जाते थे । उनके मां बाप अपने बच्चों को बहुत ही कम भेजते थे । जाटों के बहुल इस गांव में कृषि मुख्य व्यवसाय है । पिछड़ी जाति के लोगों के पास कृषि भूमि नहीं है । इस लिए वे लोग मजदूरी करते आ रहे हैं । आज के समय में जैसे जैसे समय आगे बढ़ता गया, पढ़ाई आगे बढ़ती गई और लोग, चाहे वे उच्च वर्ग के हों या पिछड़ी जाति के, शहर में जा कर योग्यता अनुसार नौकरी करने लगे हैं । आज हमारे गांव के लोगों में से जज भी हुएं हैं, सरकारी बड़े अधिकारी हुएं हैं, प्रोफेसर, डॉक्टर और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों में देश विदेशों में नौकरी करने के लिए ऐ हुए हैं । ये सब हमारे लोगों की पढ़ाई के बारे में आगे बढ़ने की प्रवृति का ही फल है । गर्व होता है ये सब देख कर और सुन कर । जहां एक तरफ पढ़ाई की ओर इतना अग्रसर है मेरा यह गांव, दूसरी तरफ दिल को चोट पहुचाने वाली दुःखद बाते भी हैं । लोगों में शराब की, दूसरे प्रकार के नशे की आदत भी बहुत पाई जाती है । शराब के कारण बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं और मर रहे हैं । नए नए लड़के मर रहे हैं । और हमेशा इन लोगों के घरों में झगड़ा होता है । इसका कारण मां बाप को भी जाता है क्योंकि वे भी इसी लत से घिरे हुए थे । माँ-बाप से ही देख कर उनके बच्चों ने भी आदत में ले लिया और आत्म हत्या, हत्या भी तो हो रहीं हैं । राजनीति के स्तर की गिरावट के कारण गांव में गुटबाजी बन गई । एक दूसरे को खत्म करने पर तुले हो जाते हैं । कोशिश करते हैं कि विरोधी को पुलिस में दे दिया जाए, फसा दिया जाए और यहां तक उसकी हत्या कर दी जाए । परिवार बढ़ने से जमीन कम हो गई है अपने अपने हिस्से की । संयुक्त परिवार नहीँ रहे । पारिवारिक जिम्मेदारियां उठाने के लिए आज की पीढ़ी उठाने के लिए तैयार नहीं है । चाहे बेटा हो या बहु आए घर में, घर की व मां बाप की जिम्मेदारी कोई नही उठाना चाहता। ऐसा अधिकांश हो रहा है ।
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current | 09:20, 25 June 2020 | (9.63 MB) | Badan (talk | contribs) | मेरा गाँव अल्लीका - एक परिचय मेरे गांव का नाम अल्लीका है । जिला पलवल से पश्चिम में 10 किलो मीटर की... |
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