Mera Anubhaw Part-2/Ishwar Vandana

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रचनाकार: स्वतंत्रता सेनानी एवं प्रसिद्ध भजनोपदेशक स्व0 श्री धर्मपाल सिंह भालोठिया

ए-66 भान नगर, अजमेर रोड़, जयपुर-302021, 9460389546

ईश्वर वन्दन:भजन क्रमांक:1-5

1. निराकार करतार तू ही

== दोहा ==

ओ३म् नाम सबसे बड़ा, इससे बड़ा न कोय ।

जो सुमिरण करे ओ३म् का, शुध्द आत्मा होय ।।

ईश्वर निराकार है और पाताल,पृथ्वी व ब्रह्मांड में हर जगह है, उसकी शक्ति से यह सारा संसार चलता है -

भजन-1

तर्ज : चौकलिया

निराकार करतार तुही, इस गुलशन का रखवाला ।

क्या से क्या करदे पल में, तेरा देखा ढ़ंग निराला ।। टेक ।।

सर्व व्यापक भगवान तेरे से, जगह नहीं कोई खाली ।

हर गुलशन में चमक रही है, तेरी शान निराली।

जहाँ मेहर फिर जाती तेरी, कर देता हरियाली।

कंद मूल फल फूल से लट पट, हो जाती हैं डाली।

काली रात अंधेरी में, कर देता तुरंत उजाला।।

क्या से क्या करदे.......।। 1 ।।

फल देता अनुसार कर्म के, तू है सबका माली।

लख चौरासी जीवाजूण की, तेरे हाथ में ताली।

जिस पै निगाह टिक जाती तेरी, टले नहीं वो टाली।

तेरे जैसा और दूसरा, देखा ना बलशाली।

पशु पक्षी इंसान रटें सब, तेरे नाम की माला ।।

क्या से क्या करदे.......।। 2 ।।

राज ताज धनमाल छीन, करदे पल में कंगाली।

कंगाली ऐसे कर दे, बिकवादे लोटा थाली।

पल में जल जंगल में भरदे , घटा चढ़ा के काली।

दादुर मोर पपीहा बोलें, खुश हों हाली पाली।

निर्धन को धनवान बनादे , ऐसा दीनदयाला।।

क्या से क्या करदे.......।। 3 ।।

धर्मपाल सिंह तेरे सहारे , करना तू रखवाली।

जालिम गुण्डे बेईमान , नित्य जाल गेरते जाली।

एक छोटा सा गाँव नाम , ढाणी भालोठियों वाली।

जिला महेन्द्रगढ़ कहते हैं, डाकखाना सतनाली ।

पूर्वी पंजाब स्टेट्स, यूनियन पटियाला ।।

क्या से क्या करदे.......।। 4 ।।

2. हमें तो जर्रे जर्रे में, व्यापक भगवान

== दोहा ==

विध्न हरण मंगल करण, अजर अमर जगदीश।

रमा हुआ संसार में , प्रभु पूर्ण बिस्वा बीस।।

भजन-2

तर्ज : दिल लूटने वाले जादूगर, अब मैंने तुम्हें पहचाना है............

हमें तो जर्रे-जर्रे में, व्यापक भगवान दिखाई दे।

पाताल पृथ्वी ब्रह्माण्ड में, सब उसकी शान दिखाई दे ।। टेक ।।


नहीं मंदिर और शिवाले में, नहीं बन्द रहे वो ताले में।

अंधेरे और उजाले में, सर्वशक्तिमान दिखाई दे ।। 1 ।।

गिरजा मस्जिद गुरुद्वारा, घर और नहीं उसका न्यारा।

जितना बड़ा जगत सारा, ये उसका मकान दिखाई दे।। 2 ।।

जलते हुए अंगारों में, वह ठण्डे जल की धारों में।

सूरज चाँद सितारों में, उसकी मुस्कान दिखाई दे ।। 3 ।।

सृष्टि का ताना बाना, सब देख रहे आना जाना।

जो त्यार करे सबका खाना, देता जलपान दिखाई दे।। 4 ।।

नहीं आवे लख चौरासी में, इस जन्म मरण की फांसी में।

उस अजर अमर अविनाशी में, ये सारा जहान दिखाई दे।। 5 ।।

लेत उडारी बिन पाँखों , सब देख रहा है बिन आँखो।

कर बिन काम करे लाखों , सुनता बिन कान दिखाई दे।। 6 ।।

नहीं कोई शक्ल सूरत उसकी, घर मंदिर में मूरत उसकी।

पूजा करता धूर्त उसकी, करता अपमान दिखाई दे ।। 7 ।।

हारे सब पता लगाने में, नहीं मिला वो किसी ठिकाणे में।

इस भालोठिया के गाने में, उसका गुणगान दिखाई दे।। 8 ।।

3. हे दीनबन्धु भगवान

== दोहा ==

हे दयामय हम सभी को,शुद्धताई दीजिये।

दूर करके हर बुराई को,भलाई दीजिये ।।

भजन-3

तर्ज : ले के पहला पहला प्यार , भर के आँखों में खुमार .............

हे दीन बन्धु भगवान,तू है सर्व शक्तिमान।

जर्रे जर्रे में रहती है, तेरी नजर ।। टेक ।।

तू ही है पाताल में और तू ही आसमान में।

तू ही है पहाड़ों में और जंगल बियाबान में।

तू है निराकार , तेरी रचना है साकार।

तेरे जैसा नहीं है और कोई कारीगर ।।

हे दीन बन्धु........।। 1 ।।

गुरुद्वारा शिवालय में भी, रहे तेरा वास है।

मंदिर मस्जिद गिरजाघर में, तेरा ही निवास है।

कूटे पीतल क्यों पुजारी, मुल्ला मारे क्यों किलकारी।

गूंगा बहरा नहीं तू , लेता सबकी खबर ।।

हे दीन बन्धु........।। 2 ।।

देखा तेरे नाम का,सम्बोधन न्यारा न्यारा सै।

कोई बोले गोड किसी को अल्लाह प्यारा सै।

कोई रटे सीताराम, कोई बोले राधेश्याम।

कोई बोले बम बम,सुनके लागे सै डर ।।

हे दीन बन्धु ........।। 3 ।।

कोई तेरे दर्शनों के, लिये उपवास करे।

कोई नग्न उघाड़ा फिरै, तेरी ही तलाश करे।

तू रहता सबके पास , तेरा सब में है निवास।

फिर क्यों फिरते भटकते, ये नारी नर ।

हे दीन बन्धु ........।। 4 ।।

धर्मपाल सिंह एक तेरा सच्चा दास है।

तू ही मुक्तिदाता है ये पूरा विश्वास है।

एक तेरा ओ३म् नाम रोज रटे सुबह शाम।

इसका तेरे बिना है नहीं कोई ईश्वर ।।

हे दीन बन्धु ........।। 5 ।।

4. निराकार कारीगर ने

भजन-4

तर्ज : चौकलिया

निराकार कारीगर ने, साकार ये जगत रचाया।

पाताल पृथ्वी ब्रह्माण्ड का, निर्माता एक बताया।। टेक ।।

स्वरुप अनादि अजर अजन्मा,नहीं पिता और भाई।

है सर्वशक्तिमान अकेला, नहीं बहन और भाई।

चले सफर में बिन पैरों,आँखों बिन देत दिखाई।

कर बिन काम करे लाखों,कानों बिन देत सुनाई।

रामायण में चौपाई, उसका लक्षण दरसाया।।

पाताल पृथ्वी........ ।। 1 ।।

पेड़ और पौधे लगा लगा के, धरती खूब सजाई।

कोई देता फल फूल किसी की, लकड़ी काम में आई।

किसी की मिलती ठण्डी छाया, किसी की बने दवाई।

आक फोग सत्यानाशी और कहीं पै खड़ी चौलाई।

चीढ़ सफेदा की ऊँचाई , मैं देख-देख चकराया।।

पाताल पृथ्वी........ ।। 2 ।।

चाँद सूरज लाखों तारे, आकाश बना दिया न्यारा।

सप्त़ऋषि कहीं अरूंधती,कहीं अलग खड़ा ध्रुवतारा।

कहीं पानी के भरे समुन्द्र, कोई मीठा कोई खारा।

मीठा खारा अलग अलग सै, दोनों का बँटवारा।

धारा तेल की अलग बहे, डीजल पैट्रोल कहाया।।

पाताल पृथ्वी........ ।। 3 ।।

जलचर थलचर नभचर खुश हैं,अपने अपने घर में।

कोई धरती पर कोई पानी में , कोई बसे अम्बर में।

घुण लकड़ी और चना मोठ में, कीड़ा रहे पत्थर में।

गेहूँ में सुणसी , भौंरा फूल में, भूँड रहे गोबर में।

दफ्तर में एक जगह लेखा नहीं खाता अलग बनाया।।

पाताल पृथ्वी........ ।। 4 ।।

लाखों चेहरा बना बना, यो ल्यावै सै रोजाना।

हींजड़ा बावना कुबड़ा गंजा, गूंगा बहरा काना।

कीड़ी को कण हाथी को मण, देता सबको खाना।

कहाँ पर इनको त्यार करे, वो देखा नहीं ठिकाना।

क्यों लाखों को करे रवाना, नहीं समझ में आया।।

पाताल पृथ्वी........ ।। 5 ।।

धरती सूखी बिन पानी, लाग्या हर प्राणी तरसन।

चढ़ा के काली घटा गगन में, पल में लाग्या बरसन।

निराकार कारीगर देता, सच्चे भक्त को दर्शन।

धर्मपाल सिंह भालोठिया रहे, दर्शन करके प्रसन्न।

बनके कृष्ण सुरेश कुमार को, अपना रुप दिखाया।।

पाताल पृथ्वी........ ।। 6 ।।

5. लाखों दुश्मन खड़े सिरहाने

जिनके साथ सर्वशक्तिमान भगवान है उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता -

।। भजन-5।।

तर्ज : चौकलिया

लाखों दुश्मन खड़े सिरहाने, हों एक एक से आला।

नहीं हो बाल भी बाँका, जिसका ईश्वर रखवाला।। टेक ।।

बियाबान हो रात अंधेरी, जहाँ हाथी खड़े चिंघाड़ें।

बिजली चमके, ओले बरसें, बेशक अजगर मुँह पाड़ें ।

रींछ भगेरे शेर दहाड़ें, चाहे नाग फुँकारें काला ।।

नहीं हो बाल भी बाँका ........।। 1 ।।

प्रहलाद भक्त को हिरणाकुश ने, थी मौत की सजा सुनाई।

अपनी बहन की बिठा गोद में, फिर उसके आग लगाई।

भक्त को आँच जरा नहीं आई, होली को खा गई ज्वाला।।

नहीं हो बाल भी बाँका ........।। 2 ।।

रावण ले गया उठा सिया को, जब करड़ाई ने घेरा।

राम ने अपनी फौज सजाके, रावण का फूँक दिया डेरा।

लंका में हो गया अंधेरा, अयोध्या में हुआ उजाला।।

नहीं हो बाल भी बाँका........।। 3 ।।

जन्मा कंस की जेल में कृष्ण, जहाँ कोई नर्स नहीं दाई।

वासुदेव ने नन्द को सौंपा, जा ब्रज में छठी मनाई।

इसीलिए सब लोग लुगाई, उसको कहें नन्दलाला ।।

नहीं हो बाल भी बाँका........।। 4 ।।

केश पकड़ के भरी सभा में, जब द्रोपदी सती नचाई।

उस दिन श्री कृष्ण ने आके, सती की लाज बचाई।

मारा दुशासन अन्याई, जब पड़ा भीम से पाला ।।

नहीं हो बाल भी बाँका........।। 5 ।।

हर चाहे जो बात बनेगी, कुछ हाथ नहीं सै नर के।

भालोठिया कहे लख चौरासी, आधीन सभी ईश्वर के।

काल-कोठरी में बन्द करके, बेशक लगवा दो ताला ।।

नहीं हो बाल भी बाँका........।। 6 ।।


6. भोले भारत का ईश्वर कोई साथी भेजिये

== भजन- 5 (I) ==

भोले भारत का ईश्वर कोई साथी भेजिये ।

देश धर्म और कौम का हिमाती भेजिये ।। टेक ।।

सर्वशक्तिमान हमें तू इतना दान दे ।

देश के बच्चे बच्चे में बल बुद्धि ज्ञान दे ।

इंसानियत से भरा हुआ हर इंसान दे ।

कृष्ण का सुदर्शन और अर्जुन का बाण दे ।

दुर्योधन जैसा ना कोई कुलघाति भेजिये ।

जयचंद शकुनी जैसा ना उत्पाति भेजिये ।। 1 ।।

हरा भरा सरसब्ज देश और अच्छा माली हो ।

रामराज्य हो भारत में हर जां हरियाली हो ।

भूखा नंगा कोई रहे ना, देखा भाली हो ।

गऊ दूध दे घर घर में ना कहीं कंगाली हो ।

अच्छी नसल के बैल और घोड़े हाथी भेजिये ।

नल नील जैसे इंजीनियर खाती भेजिये ।। 2 ।।

बल विद्या तप खत्म हुआ,कमजोरी आ गई |

धोखा कपट छल बेईमानी और चोरी आ गई ।

भारत के घर-घर में फूट हंडोरी आ गई ।

ब्लैक और सिफारिश रिश्वतखोरी आ गई ।

करे न्याय धर्म अनुकूल वह पंचाती भेजिये ।

असेंबली में मेंबर सब देहाती भेजिये ।। 3 ।।

एक रोज हमारी जग में हुई मनादी थी ।

कोई अड़ा नहीं आगे जो शर्त लगा दी थी ।

दूर-दूर मुल्कों में हमारी होती शादी थी ।

ईरान में मामे थे और काबुल की दादी थी ।

फेर यहां अमरीका वाले भाती भेजिये ।

धर्मपाल को लंदन में बाराती भेजिये ।। 4 ।।



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