तोमर/कुंतल वंश की उत्पत्ति और वंशावली

From Jatland Wiki
Jump to navigation Jump to search

मुख्य पृष्ठ


तोमर वंश की उत्पत्ति

तोमर प्राचीन जाट जाति का एक मुख्य गोत्र है जो भाषाभेद के कारण तँवर और पंजाब में तूर नाम से तो पांडवो के वंशज होने के कारन पांडव,कुंतल ,खुटैल नाम से जाना जाता है। तोमर जाट भारत के उत्तरप्रदेश , हरियाणा ,दिल्ली ,राजस्थान ,पंजाब ,उत्तराखंड ,मध्यप्रदेश और तेलंगाना में ग्रामीण क्षेत्र में निवास करते है। कुछ संख्या में तोमर जम्मू और कश्मीर ,हिमाचल और बिहार ,गुजरात राज्यो में भी निवास करते है। तोमर वंश की उत्पत्ति के इतिहासिक मत तोमरो को पांडव वंशी सिद्ध करते है। तोमर /कुंतल गोत के भाटो के अनुसार तोमर गोत्र प्राचीन चंद्रवंशी जाट है। इस वंश में राजा भरत हुए जिनके नाम पर यह भूमि भारत कहलायी इसी भरत वंश में राजा पाण्डु का जन्म हुआ जिनकी दो पत्नियाँ थी एक कुंती दूसरी माद्री और 5 पुत्र थे जो पांडव कहलाते थे। अर्जुन के पुत्र अभिमन्यू हुए और अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित हुए

अर्जुन के वंशज होने के कारन ही उनको अर्जुनयान और कौन्तेय कहलाते थे। उनके सम्मान में कहा जाता है अर्जुन के सूत सो भये अभिमन्यु नाम उदार ! तिन्हते उत्तम कुल भये तोमर जाट उदार !

  • 'गीता' में आने वाले नाम- 'पार्थ', 'भारत', 'धनंजय', कौन्तेय', 'परन्तप', 'गुडाकेश', 'पांडव' ये सभी अर्जुन के ही सम्बोधन हैं। कौन्तेय का अर्थ कुंती पुत्र से है। अर्जुन कुंती पुत्र होने से ही पार्थ और कौन्तेय कहलाए आगे चल कर यही वंश अर्जुनयान और कुंतल कहलाए इस वंश को तोमर बोलने के पीछे भाटो ने लिखा है की जब महाभारत के रण की रणभेरी बज चुकी थी। अर्जुन ने अपने कुल देवी मंशा की पूजा अर्चना की पूजा से देवी ने प्रसन्न होके दिव्य अश्त्र तोमर अर्जुन को प्रदान किया जिसका प्रयोग अर्जुन ने महाभारत के युद्ध में उपयोग किया जिसके कारन यह वंश तोमर कहलाया जबकि कुछ इतिहासकार काल्पनिक तोमरपाल नाम व्यक्ति से गोत्र की उत्पत्ति नाम