Amrit Kalash/Chapter-9

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स्वतंत्रता सेनानी प्रसिद्ध कवि एवं समाज सुधारक - चौ. धर्मपाल सिंह भालोठिया - अमृत कलश (भजनावली),

लेखक - सुरेंद्र सिंह भालोठिया और डॉ स्नेहलता सिंह, बाबा पब्लिकेशन, जयपुर


अध्याय – 9: देशभक्ति

38 . भारत के जन जन की ओर से

भजन-38

तर्ज:- इस फैशन नै म्हारे देश की, कती बिगाड़ी चाल .......

भारत के जन-जन की ओर से, है तुमको प्रणाम ।

देश के अमर शहीदो ।। टेक ।।

जिस दिन भारत माता थी, अंग्रेजों के बंधन में ।

हमारे मरने जीने का, कानून बने था लंदन में ।

दुनिया हमको कहती थी, कुली काले और गुलाम ।

देश के अमर शहीदो ।। 1 ।।

काली घटा गुलामी की में, मौत की बिजली कड़के थी ।

कायर और कमजोरों की, बिस्तर में छाती धड़के थी ।

अंग्रेजों के पिट्ठू बनगे, जितने नमक हराम ।

देश के अमर शहीदो ।। 2 ।।

जिस दिन भारत माता ने, ये आवाज लगाई थी ।

कितने मेरे सपूत बेटे, सूची अलग बनाई थी ।

माँ के दफ्तर में लिखवाया, आपने अपना नाम ।

देश के अमर शहीदो ।। 3 ।।

नहीं था मोह धन धरती पर, नहीं था मकां हवेली पर ।

जंगे आजादी में चाले, धर के जान हथेली पर ।

मात पिता पत्नी बच्चे और छोड़ा ऐशो-आराम ।

देश के अमर शहीदो ।। 4 ।।

कोई जेल में बंद रहे और कोई गये काला पानी ।

कोई फांसी पर झूल गये, हँस-हँस दे गये कुर्बानी ।

माता हुई आजाद, आपको पूजे देश तमाम ।

देश के अमर शहीदो ।। 5 ।।

जब तक सूरज चाँद रहेंगे, धरती और आकाश रहे ।

आपकी कुर्बानी का जिन्दा, दुनिया में इतिहास रहे ।

भालोठिया कहे बनी समाधि, जगह जगह पर धाम ।

देश के अमर शहीदो ।। 6 ।।

39 . मिले उदाहरण, जिसके कारण

भजन-39

तर्ज:- मन डोले, मेरा तन डोले.........

मिले उदाहरण , जिनके कारण , हुआ देश आजाद ।

करो आज उन वीरों को याद ।। टेक ।।

आजादी के जंग में जिन्होंने , खून से खेली होली ।

भारत माँ के लिये अपनी , दे गये जान अनमोली ।

वीर बहादुर , हुए अमर , माता की सुनी फरियाद ।

करो आज उन वीरों को याद ।। 1 ।।

अमीर कायर देशद्रोही , मस्त रहे खेलों में ।

भारत माँ के सपूत उस दिन , बैठे थे जेलों में ।

कर दिये बेघर , भटके दर-दर , जब्त करी जायदाद ।

करो आज उन वीरों को याद ।। 2 ।।

आजादी के दीवाने , निज घर बच्चों को भूले ।

कोई गये काला पानी , और कोई फांसी पर झूले ।

कर गये सफर , गये छोड़ पिसर , दो उनको आशीर्वाद ।

करो आज उन वीरों को याद ।। 3 ।।

राजगुरू,सुखदेव,भगतसिंह , गाँधी तिलक सुभाष ।

धर्मपाल सिंह भालोठिया कहे , बना गये इतिहास ।

चन्द्रशेखर , वीर सावरकर, ,खुद हो गये बरबाद ।

करो आज उन वीरों को याद ।। 4 ।।

40 देश के वीरो, किसने खेला

भजन-40

तर्ज:- इस फैशन नै म्हारे देश की, कती बिगाड़ी चाल ........

देश के वीरो, किसने खेला, आजादी का फाग ।

आज तुम भूल गये क्या ।।टेक।।

भारत माता के गल में, जंजीर थी पड़ी गुलामी की ।

दुनिया में चर्चा होती थी, भारत की बदनामी की ।

अंग्रेजों की ठोकर में थी, ऋषि मुनियों की पाग ।

आज तुम भूल गये क्या ।। 1 ।।

ऐसे भयानक वक्त में, किस हस्ती ने जन्म लिया ।

अंग्रेजो भारत छोड़ो, ये किसने ऐलान किया ।

गाँधी जी की अमर कहानी, मोतीलाल का त्याग ।

आज तुम भूल गये क्या ।। 2 ।।

जिस दिन माँ अपने बेटों से, माँग रही थी कुर्बानी ।

कौन जेल में बैठा था, कौन गया काला पानी ।

बिल से बाहर निकल करके,आ गये थे काले नाग ।

आज तुम भूल गये क्या ।। 3 ।।

एक ओर थी आजादी, एक ओर थी मौत खड़ी ।

मौत के मुँह में जाने को, देखें थे बाट घड़ी-घड़ी ।

देश के घर-घर में क्रान्ति की, किसने लगाई आग ।

आज तुम भूल गये क्या ।। 4 ।।

कितने वीर शहीदों ने, खेली खून से होली थी ।

आपको इतना याद नहीं, कहाँ चली धड़ाधड़ गोली थी ।

सत्रह सौ वीर शहीद हुए थे, जलियाँवाला बाग ।

आज तुम भूल गये क्या ।। 5 ।।

पन्द्रह अगस्त आज भारत में, धूमधाम से आता है ।

भारत का बच्चा-बच्चा, घर-घर में खुशी मनाता है ।

भालोठिया कहे कौन देश में, लीडर था बेदाग ।

आज तुम भूल गये क्या ।। 6 ।।

41. जिनके त्याग से भारत भूमि

भजन-41

तर्ज:- आओ बच्चो तुम्हें दिखाऐं,झाकी हिन्दुस्तान की .........

जिनके त्याग से भारत भूमि, हुई आजाद तुम्हारी है ।

देश के वीरो उनको स्वर्ग में, आती याद तुम्हारी है ।। टेक ।।

ये देश दयानन्द, गाँधी, नेहरू,शास्त्री,बोस, बंगाली का ।

ये देश है चन्द्रशेखर, बिस्मिल,उद्यमसिंह बलशाली का ।

ये देश किशोरी,महामाया,दुर्गा और झाँसी वाली का ।

ये देश भगतसिंह, राजगुरू,सुखदेव व धन्ना हाली का ।

अपना घर बर्बाद किया और सुनी फरियाद तुम्हारी है ।

देश के वीरो...........।। 1 ।।

ये देश शिवाजी गुरूगोविन्द सिंह,महाराणा प्रताप का ।

ये देश नाहरसिंह, जवाहर सिंह और जवाहर के बाप का ।

ये देश अनेकों शहीद उनकी कुर्बानी की छाप का ।

आपको दे गये आजादी, अब देश संभालो आपका ।

आप देश के, देश तुम्हारा, ये जायदाद तुम्हारी है ।

देश के वीरो.........।। 2 ।।

उनके देश में स्वार्थी आज रोजाना रंग बदलते हैं ।

जिनके द्वारा धर्म मजहब भाषा आंदोलन चलते हैं ।

तोड़ फोड़ हड़ताल करादें, हरदम जहर उगलते हैं ।

रोड़वेज कहीं रेल फूँक दें, कहीं पर दफ्तर जलते हैं ।

जितनी नष्ट करो सम्पत्ति, हो बरबाद तुम्हारी है ।

देश के वीरो ......... ।। 3 ।।

भाग्य देश का दिया जिन्होंने, आज तुम्हारे हाथों में ।

देश के अमर शहीदों की है, लाज तुम्हारे हाथों में ।

ताज तुम्हारे सिर पै देश का, राज तुम्हारे हाथों में ।

पुलिस फौज,बम,टैंक, हवाई जहाज तुम्हारे हाथों में ।

अब स्वर्ग से देते आशीर्वाद, इतनी इमदाद तुम्हारी है ।

देश के वीरो............।। 4 ।।

उनका सपना साकार हो जब, आपका देश पवित्र हो ।

हर एक नागरिक के मस्तक पर, सदाचार का चित्र हो ।

देशभक्ति की गंगा बहे और, सबका नेक चरित्र हो ।

अहिंसावादी और सत्यवादी, एक-एक का मित्र हो ।

भालोठिया कहे नेक बने, आगे औलाद तुम्हारी है ।

देश के वीरो...........।। 5 ।।

42. हिन्दुस्तान को देह समझो

भजन-42

तर्ज:-चौकलिया

हिन्दुस्तान को देह समझो, और प्राण समझ कश्मीर ।

प्राण अलग हो जाने पर, नहीं रहता कायम शरीर ।। टेक ।।

अमरीका जापान जर्मनी, चीन रूस और फ्राँस ।

पाकिस्तान अरब मिश्र, और मक्का मदीना खास ।

भारत में पूर्व पश्चिम, उत्तर दक्षिण मद्रास ।

काश्मीर सी जगह नहीं, दुनिया में करो तलाश ।

इतिहास बतावे इस भूमि पर, खपे अनेकों वीर ।

प्राण अलग हो .......... ।। 1 ।।

ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों से, शोभा देता है आकाश ।

दुश्मन के लिए चक्रव्यूह, ये नहीं होने दे पास ।

थोड़ी दूर पै खड़ा हिमालय,यहीं पर्वत कैलाश ।

अटल संतरी भारत का, पहरा दे बारह मास ।

वास यहीं था देवों का, झरणों का पीते नीर ।

प्राण अलग हो .......... ।। 2 ।।

सुन्दर-सुन्दर बाग बगीचे, फल मेवा के खास ।

कोयल भौंरे राग सुनावें, मोर दिखावें रास ।

कई तरह की जड़ी बूटी और भाँति-भाँति के घास ।

वैद्य डॉक्टर बना दवाई, करें रोग का नाश ।

बदमाश यहाँ पर आजमाते, आकर अपनी तकदीर ।

प्राण अलग हो .......... ।। 3 ।।

भारत माता आज आपकी, करे रात दिन आस ।

मेरे सपूतो आज बुझादो, मेरी खून से प्यास ।

कौन सरदार भगतसिंह होगा, कौनसा वीर सुभाष ।

जिनकी वीरता नहीं भूलेगा, भारत का इतिहास ।

पास करेगा भालोठिया, उन वीरों की तस्वीर ।

प्राण अलग हो ..........।। 4 ।।

43. किसी को कौम से मोहब्बत

।। दोहा ।।

नहीं जाति से प्रेम है, नहीं जाति से तकरार ।

बुरे कर्म से दुश्मनी , शुभ कर्मों से प्यार ।।

भजन-43 (कर्म की महत्ता)

तर्ज:- दया कर दान भक्ति का..........

किसी को कौम से मोहब्बत , किसी को नाम प्यारा है ।

हमें तो एक दुनिया में, मनुष्य का काम प्यारा है ।। टेक ।।

किसी को आनन्द लूट में, किसी को मजा फूट में ।

हमें तो चारों कूंट में, अमन सुबह शाम प्यारा है ।। 1 ।।

कोई धन जोड़ के धरता , जमीं में छोड़ के मरता ।

हमें तो जो दान करता है, वो कुटुम्ब तमाम प्यारा है ।। 2 ।।

कोई माने कर्मचन्द ने, कोई ईसा मोहम्मद ने ।

बताया जो दयानन्द ने, वही प्रोग्राम प्यारा है ।। 3 ।।

लगे क्यों लड़-लड़ के मरने, चले सुख शान्ति करने ।

दिया दुनिया को जवाहर ने, वही पैगाम प्यारा है ।। 4 ।।

दया न थी जागीरदारों को, लूटते थे काश्तकारों को ।

बचाया इन बेचारों को, श्री कुम्भाराम प्यारा है ।। 5 ।।

करो धर्मपालसिंह सेवा, एक दिन पाओगे मेवा ।

काम से पार हो खेवा, नहीं ये चाम प्यारा है ।। 6 ।।

44 . जुग जुग याद रहेगा

।। भजन-44 ।।
शहीदों को श्रद्धासुमन
तर्ज:-चौकलिया

जुग-जुग याद रहेगा, अमर शहीदों का बलिदान ।

पन्द्रह अगस्त आज भारत का, बन गया पर्व महान ।। टेक ।।

भारत माता बोली जिस दिन, वक्त आ गया खास ।

मेरे सपूतो आज बुझादो, मेरी खून से प्यास ।

देश के घर-घर में कर दो, आजादी का प्रकाश ।

आने वाले पढ़ेंगे अमर, शहीदों का इतिहास ।

गौरव से यूँ कहेंगे हम, उन वीरों की संतान ।

पन्द्रह अगस्त........ ।। 1 ।।

अंग्रेजों ने दमन चक्र की, सारी ताकत झोंकी ।

किसी के धर छाती पर पत्थर, गति सांस की रोकी ।

कोई पेड़ों के साथ खड़े कर, कील बदन में ठोकी ।

कोई नजरबन्द घर में करके, आगे लगवा दी चौकी ।

अंग्रेजो भारत छोड़ो, ये था उनका ऐलान ।

पन्द्रह अगस्त........ ।। 2 ।।

कोई भेजे काला पानी, जहाजों में चढ़ा-चढ़ा ।

कोई मारा था उम्र कैद कर, जेल में सड़ा-सड़ा ।

कोई फांसी पर झूले था, तख्ते पर खड़ा-खड़ा ।

कोई कहे आजादी लूँगा, जख्मी पड़ा-पड़ा ।

जलियाँवाले बाग में हो गये, सतरह सौ कुर्बान ।

पन्द्रह अगस्त........।। 3 ।।

लम्बी लिस्ट शहीदों की, मैं कहाँ तक करूँ बयान ।

जिनकी कुर्बानी से बन गया, आजाद हिन्दोस्तान ।

पन्द्रह अगस्त को हो गया था, आजादी का ऐलान ।

छब्बीस जनवरी को भारत का, लागू हुआ विधान ।

धर्मपाल सिंह भालोठिया करे, शहीदों का गुणगान ।

पन्द्रह अगस्त........ ।। 4 ।।

45. हुई मनादी, आई आजादी

।। भजन-45।। (स्वतंत्रता दिवस)

तर्ज:-मन डोले, मेरा तन डोले...........

हुई मनादी, आई आजादी, शहीदों का त्यौंहार ।

पन्द्रह अगस्त मुबारक हो ।। टेक ।।

कभी होली कभी क्रिसमिस डे, कभी आवें ईद दीवाली ।

पन्द्रह अगस्त छब्बीस जनवरी, इनकी छवि निराली ।

बज रहा बाजा, रंक और राजा, दिखा रहे सब प्यार ।

पन्द्रह अगस्त मुबारक हो ।। 1 ।।

हमारे सिर के ऊपर जब, मुँह पाड़े मौत खड़़ी थी ।

हाथ हथकड़ी पैरों बेड़ी, गले में तौक पड़ी थी ।

भारतवासी चढ़ गये फांसी, गये समुंदर पार ।

पन्द्रह अगस्त मुबारक हो ।। 2 ।।

भारत माँ के लाल हजारों, हो गये अमर शहीद ।

कुर्बानी नहीं निष्फल जागी, थी उनको उम्मीद ।

हुई पूरी आस, आ गया खास, था जिस दिन का इन्तजार ।

पन्द्रह अगस्त मुबारक हो ।। 3 ।।

इस दिन अमर शहीदों की, हर जगह निकालो झाँकी ।

धर्मपाल सिंह कहे छोड़ दो, और काम सब बाकी ।

हुए अमर, वोह शेर बब्बर, आज याद करे संसार ।

पन्द्रह अगस्त मुबारक हो ।। 4 ।।
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