Kapish Singh Muwal

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Lt Commander Kapish Singh Muwal , SC , INS Sindhuratna

Kapish Singh Muwal (Lt Commander) became martyr of Casualty on 26.02.2013 in INS Sindhuratna. He was awarded Shaurya Chakra (posthumous) for his act of bravery. He was from Najafgarh in South Delhi.

Unit - INS Sindhuratna

लेफ्टिनेंट कमांडर कपीश सिंह मुवाल

लेफ्टिनेंट कमांडर कपीश सिंह मुवाल

52360-Z

शौर्य चक्र (मरणोपरांत)

यूनिट - आईएनएस सिंधुरत्न

लेफ्टिनेंट कमांडर कपीश सिंह का जन्म भारतीय नौसेना के कमांडर ईश्वर सिंह मुवाल (सेवानिवृत्त) एवं श्रीमती दयावती के परिवार में हुआ था। वह दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के नजफगढ़ के निवासी थे। उन्हें भारतीय नौसेना में कमीशन प्राप्त हुआ था। वर्ष 2014 तक वह लेफ्टिनेंट कमांडर के पद पर पदोन्नत हो गए थे और आईएनएस सिंधुरत्न पनडुब्बी पर तैनात थे।

मई 2013 से दिसंबर 2013 के मध्य आईएनएस सिंधुरत्न की संभाल (Maintenance) की गई थी। संभाल पूर्ण होने के पश्चात 25 फरवरी 2014 को, 94 कर्मियों के दल के साथ, आईएनएस सिंधुरत्न ने समुद्री परीक्षण के लिए कूच किया।

26 फरवरी 2013 की प्रातः लगभग 5:30 बजे, जब आईएनएस सिंधुरत्न मुंबई तट से 80 किमी दूर थी, उस समय तृतीय खंड (COMPARTMENT) में अत्यधिक धुआं भरने की सूचना प्राप्त हुई, जिसमें पनडुब्बी की आधी मुख्य बैटरियां भी थीं। लेफ्टिनेंट कमांडर कपीश सिंह ने अपने सहयोगी लेफ्टिनेंट कमांडर कपीश सिंह, ने अपने साथी लेफ्टिनेंट कमांडर मनोरंजन कुमार के साथ त्वरित स्थिति का आकलन किया और कार्रवाई में जुट गए।

उन्होंने आपातकाल से निपटने के लिए सभी संभव उपाय करने के लिए सभी उपलब्ध कर्मियों और क्षति नियंत्रण संपत्तियों को जुटाया। जब ताप के कारण उस खंड में वातावरण का तापमान बढ़ गया और दृश्यता अल्प हो गई, दोनों अधिकारियों ने अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की घोर उपेक्षा करते हुए आपात स्थिति से संघर्ष किया। एक समय, जब उन्हें अनुभूत हुआ कि अब स्थिति विकट हो गई है, तो उन्होंने तत्क्षण 13 कर्मियों वाली क्षति नियंत्रण टीम को सुरक्षित क्षेत्रों में जाने का आदेश दिया, जिससे हताहतों की संख्या अति अल्प हुई।

लेफ्टिनेंट कमांडर कपीश सिंह ने न केवल अपने सहयोगी के साथ अग्निशमन कार्य किया अपितु क्षति की स्थिति नियंत्रित की और कमांड पोस्ट को आगे संभावित प्रभावों पर अति महत्वपूर्ण सूचना भी प्रदान की। कउनकी कार्रवाई ने क्षतिग्रस्त क्षेत्र को सीमित कर दिया, जिसने अग्नि को बैटरी खंड तक प्रसारित होने से रोक दिया और संपूर्ण पनडुब्बी को संभावित गंभीर क्षति नहीं हुई। जब श्वास लेना अति कठिन हो गया, तब भी दोनों अधिकारी चालक दल को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाते रहे और निर्भीकता के साथ आपात स्थिति से जूझते रहे।

अति संकटमय परिस्थितियों में उनका धुएं के शमन का अनुकरणीय प्रयास कर्तव्य से परे था, जिसने चालक दल के 94 सदस्यों के जीवन की और पनडुब्बी की सुरक्षा सुनिश्चित की। किंतु, अपने साथियों की रक्षा करते समय, लेफ्टिनेंट कमांडर कपीश सिंह और लेफ्टिनेंट कमांडर मनोरंजन कुमार दीर्घ समय तक विषैली गैसों के संपर्क में रहे, जो उनके लिए घातक सिद्ध हुआ और वे दोनों वीरगति को प्राप्त हुए।

लेफ्टिनेंट लेफ्टिनेंट कमांडर कपीश सिंह और लेफ्टिनेंट कमांडर मनोरंजन कुमार को उनके असाधारण साहस, सौहार्द की भावना, कर्तव्य के प्रति समर्पण और सर्वोच्च बलिदान के मरणोपरांत "शौर्य चक्र" सम्मान दिया गया।

शहीद को सम्मान

चित्र गैलरी

स्रोत

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ


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