Abhilasha Ranwa
Abhilasha Ranwa is a young artist, writer and Social worker from Sikar in Rajasthan. She is daughter of Late Mansukh Ranwa. She has authored a number of books on social issues. She has been awarded for creative writing by Rajasthan Text Book Board.
अभिलाषा रणवा का जीवन परिचय
स्वर्गीय मनसुख रणवा की पुत्री अभिलाषा रणवा एम. ए. में अध्ययनरत है। वह लेखिका है। अभिलाषा रणवा को लेखन कला के क्षेत्र में राजस्थान पाठ्यपुस्तक मण्डल शिक्षा प्रोत्साहन प्रन्यास, जयपुर द्वारा राज्य स्तर पर सम्मानित किया गया है। वह दक्ष योगाचार्य, गायिका व चित्रकार है। वह हमेशा समाज सेवा कार्यों के लिए तत्पर रहती है।
समाज सेविका
अभिलाषा रणवा पढ़ाई और लेखन के साथ-साथ अपनी माता दुर्गा रणवा सहित समाज सेवा के लिए भी तत्पर रहती है। वह 'मनसुख रणवा स्मृति संस्थान' के जरिये समाज सेवा में बड़ी भूमिका निभा रही है। आपने मंदबुद्धि बच्चों के सुधार के लिए कार्यरत 'कस्तूरबा सेवा संस्थान' सीकर में स्वर्गीय पिता मनसुख रणवा की याद में एक पुस्तकालय स्थापित किया है। अभिलाषा रणवा इन बच्चों के लिए समय-समय पर आर्थिक सहायता करती है। बेटी बचाओ अभियान के अंतर्गत नवजात बालिकाओं की माताओं को 1-1 किलो घी और शाल भेंट करती है। ग्रामीण महिला शिक्षण संस्थान सीकर के साथ मिलकर सफाई अभियान तथा योग कार्यक्रम भी संचालित करती है। आपने कच्ची बस्तियों के बच्चों को शिक्षित और संस्कारित करने का अभियान भी चला रखा है। वह अपनी योग की बेहतर सेवा के लिए बाबा रामदेव द्वारा सम्मानित की गई है। अभिनव समाज सेवा के लिए वह अनेक संस्थानों द्वारा सम्मानित की गई है।
अभिलाषा रणवा द्वारा लिखित पुस्तकें
वर्ष 2014 में अभिलाषा रणवा की पुस्तक 'शेखावाटी की मदर टेरेसा' प्रकाशित हुई है। यह पुस्तक कल्पना पब्लिकेशन जयपुर द्वारा प्रकाशित की गई है। इस पुस्तक में 'कस्तूरबा सेवा संस्थान' सीकर की संस्थापिका श्रीमती सुमित्रा शर्मा की जीवनी और उनके द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों का विवरण दिया गया है। श्रीमती सुमित्रा शर्मा ने सरकारी नौकरी छोड़कर वर्ष 1990 में निराश्रित, विकलांग और मंदबुद्धि बच्चों के सुधार के लिए 'कस्तूरबा सेवा संस्थान' सीकर की स्थापना की। सुमित्राजी ने अनेक असहाय बच्चों को सहारा देकर उनको संसार में सर उठाकर जीने लायक बनाया है।
वर्ष 2015 में अभिलाषा रणवा की पुस्तक 'प्रेरणा दायक कहानियाँ' प्रकाशित हुई है। यह पुस्तक कल्पना पब्लिकेशन जयपुर द्वारा प्रकाशित की गई है। ISBN 978-93-85181-18-4
इस पुस्तक में व्यक्ति को सकारात्मक सोच की ओर ले जाने वाली कहानियाँ हैं। इन कहानियों की युवा पीढ़ी को धैर्यवान व ईमानदार और संसकारवान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
वर्ष 2016 में अभिलाषा रणवा की पुस्तक 'जन चेतना' प्रकाशित हुई है। यह पुस्तक कल्पना पब्लिकेशन जयपुर द्वारा प्रकाशित की गई है। ISBN 978-93-85181-31-3
इस लघु पुस्तक में आधुनिक युग की कई जीवंत और गंभीर समस्याओं का वर्णन किया गया है। यह पुस्तक युवा वर्ग को संस्कारवान बनाने, समाज के प्रति अपना दायित्व समझने और पर्यावरण को सुधारने में सहायक होगी।
बेटी बचाओ अभियान: माँ मेरी पुकार सुनो !
हमारी संस्कृति में नारी का स्थान उच्च माना गया है। हमारे भारत में नारी ने प्रधान मंत्री, राष्ट्रपति एवं मुख्यमंत्री के रूप में अपना कर्तव्य निर्वाह किया है व कर रही हैं। पहले लड़की का काम चूल्हे-चौके तक ही सीमित था परंतु आज के युग में लड़कियों ने लड़कों को कई कदम पीछे छोड़ दिया है। फिर भी कुछ अंधविश्वासी लोग लड़कों की अपेक्षा लड़कियों को कम महत्व देते हैं। ऐसे परिवार लड़की होने पर खुश नहीं होते हैं। घर में लड़के का जन्म होने पर थाली बजाते हैं और मिठाइयाँ बांटते हैं। ऐसा क्यों?
कहीं ऐसा दहेज के डर से तो नहीं ? क्या दहेज ने समाज में इतनी दहशत फैला करदी है कि माता-पिता अपने बच्चे के हत्यारे बन जाते हैं ? आज विकास इतना हो गया है कि हम भ्रूण में ही मालूम कर लेते हैं कि बेटा है या बेटी ? जब बेटी होती है तो हम उसे भ्रूण में ही नोच कर मार देते हैं। ऐसा घिनौना अपराध माता-पिता दोनों मिल कर करते हैं। डाक्टर भी चंद पैसों के लालच में किसी की संतान का हत्यारा बन जाता है। क्या व्यक्ति अपनी संतान को पेट में ही मार सकता है? क्या व्यक्ति इतना गिर गया है? ऐसे सवाल मेरे मन में बार बार उठ रहे हैं। जब भ्रूण में बच्चे की हत्या की जाती है तो बच्चा तड़पता है और माँ से पुकारता है, माँ मैं आपके पेट में ही सुरक्षित नहीं हूँ तो कहाँ सुरक्षित रहूँगा ?
मेरी प्यारी माँ मैं भी इंसान हूँ। मुझे भी आप की तरह दुनिया देखनी है। आपकी गोद में खेलना है , आपसे बेटी शब्द सुनना है। किसी की बहिन, किसी की बेटी, किसी की पत्नी , किसी की बहू बनकर सांसारिक रिश्ते निभाने हैं। मेरी प्यारी माँ ! मेरा क्या दोष है, जो इस संसार में आने से पहले ही मुझे आप मार रही हो। इस तरह के जघन्य अपराध करने से ही तो आज लोगों का विश्वास गिरता जा रहा है, मानव नारकीय जीवन जीने को मजबूर है।
माँ इतिहास के पन्ने उलटकर देखो, हम बेटियाँ कभी लक्ष्मी बाई, कभी दुर्गवती बन कर युद्ध के मैदान में भी उतरी थी। इन्दिरा बनकर दुश्मन को ललकारा था। राम के साथ सीता बनकर जंगल-जंगल घूमी थी। कृष्ण के साथ राधा बनकर प्रेम का संदेश दिया था। कर्मा बनकर भगवान को भी खिचड़ी खाने के लिए मजबूर किया था। मीरा बाई और राणा बाई बनकर भक्ति का संदेश दिया था। बोल माँ मेरे बिना पुरुष का क्या अस्तित्व है? हे प्यारी माँ व्यथा सुनलो और मुझे बचालो। मैं भी यह सुंदर संसार देखना चाहती हूँ। मेरा क्या कसूर है? क्या यही ममता व करुणा है? क्या यही पिता का बेटी के प्रति स्नेह है?
माँ तुम शिक्षित नारी हो। समझने की कोशिश करो। यदि घर में लड़की पैदा नहीं होगी तो संसार कैसे चलेगा? माँ कहाँ से लाओगे? बेटी नहीं, तो बेटे का अस्तित्व कैसे रहेगा?
बेटी जो सृष्टि की रचयिता है, उसे बचाने हेतु अभियान चलाने की आवश्यकता पड़ती है। रोज-रोज अखबारों में पढ़ा जाता है - 'बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ'। क्या इंसान आज पढ़लिखकर भी इतना अज्ञानी हो गया है कि वह अपने ही खून का प्यासा हो रहा है। क्या आज वह कंस बन गया है?
सोचो विचार करो, फिर मनन करो और यदि इस धरती को पाप-मुक्त करना है , तो स्वयं पाप करना छोड़ो। बेटी को आने दो इस संसार में और उसे भी आँगन में किलकार करने दो। बेटी दो घरों की शान है, उसे अपना फर्ज निभाने दो । बिना बेटी के इस घर में अंधेरा है, नारी के बिना यह संसार अधूरा है।
- कहती है नन्ही-सी बाला, मैं कोई अभिशाप नहीं,
- लज्जित होना पड़े पिता को, मैं कोई ऐसा पाप नहीं।
- नारी सृष्टि की सबसे बड़ी सौगात है,
- मेरा देश महान है, यह सब कह प्रण करो,
- नहीं होने देंगे कन्या-भ्रूण हत्या जैसा जघन्य अपराध।
कलेक्टर ने कसम लेकर कहा - दुष्कर्म करने वालों पर होगी कार्रवाई
सीकर। रींगस में नाबालिग से दुष्कर्म की घटना को लेकर ज्ञापन देने आए प्रतिनिधिमंडल में शामिल छात्रा अभिलाषा रणवा ने कलेक्टर एसएस सोहता के सामने उनके चैंबर में कहा, प्रशासन से विश्वास उठ चुका है। सुबह से शाम तक यह सुनने को मिलता है कि बेटियों के साथ ज्यादती हो रही है। इस पर कलेक्टर सोहता ने कार्रवाई की हर कोशिश करने का आश्वासन दिया। इस पर अभिलाषा ने कहा, मेरी कसम खाकर कहो कि कार्रवाई होगी। कलेक्टर सोहता खड़े हुए और उसके सिर पर हाथ रख विश्वास दिलाया कि वे इस मामले में पूरी कार्रवाई करेंगे। किसी को बख्शा नहीं जाएगा। सोहता ने बाद में कहा कि अभिलाषा को जो विश्वास दिलाया उस पर तत्काल कार्रवाई भी की जाएगी। एसपी को चिट्ठी लिखी है कि जल्द कोर्ट में चालान पेश किया जाए ताकि दोषियों को सजा मिल सके।
सन्दर्भ: दैनिक भास्कर सीकर दिनांक 12.9.2013: कलेक्टर ने कसम लेकर कहा- दुष्कर्म करने वालों पर होगी कार्रवाई
सीकर लावारिस मिली बच्ची का धूम धाम से जन्म दिन मनाया
सीकर में लावारिस मिली एक मासूम बच्ची का धूम-धाम से राजकीय जानना अस्पताल में जन्म दिन मनाया। इस अवसर पर यादगार बनाने के लिए अस्पताल परिसर में पौधे लगाए गए, मिठाई और पुस्तकें वितरित की गई। ब्रांड एम्बेसेडर अभिलाषा रणवा की पहल पर एस.के. अस्पताल के पी.एम.ओ. डॉ. एस.के. शर्मा, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष रतनलाल मिश्र सहित शहर के कई लोग इस अवसर के गवाह बने।
Gallery
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सूरजमल से लें एकजुटता की प्रेरणा:दैनिक भास्कर सीकर, 26.12.2015
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जरूरत मंदों को स्वेटर वितरित की: दैनिक अंबर डूंडलोद, 2.1.2016
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बालिकाओं ने चलाया सफाई अभियान:दैनिक अंबर डूंडलोद, 13.1.2016
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अभिलाषा को किया सम्मानित: दैनिक उद्योग आस-पास:18.1.2016
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शिक्षा से संस्कार की अलख जगा रही अभिलाषा: दैनिक उद्योग आस-पास:22.1.2016
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सेवा और योग में गुरु:राजस्थान पत्रिका सीकर,12.1.2016
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अभिलाषा ने की पुलिस अधीक्षक को फोटो भेंट: राजस्थान पत्रिका सीकर,13.1.2016
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अभिलाषा ने की पुलिस अधीक्षक को फोटो भेंट
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आजादी का उल्लास:अभिलाषा रणवा, राजस्थान पत्रिका सीकर,15.8.2015
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रणवा व देव का सम्मान:राजस्थान पत्रिका सीकर,18.1.2016
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पाकेट मानी से बिटिया फैला रही शिक्षा का उजियारा: राजस्थान पत्रिका सीकर,16.1.2016
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बाबा रामदेव के साथ अभिलाषा
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स्वामी सुमेधानंद को स्वयं द्वारा बनाया गया चित्र भेंट करते हुये अभिलाषा रणवा
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अभिलाषा रणवा की पुस्तक का विमोचन करते हुये मुख्यमन्त्री
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मुख्यमन्त्री को स्वयं द्वारा बनाया गया चित्र भेंट करते हुये अभिलाषा रणवा
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मुख्यमन्त्री जल स्वावलंबन अभियान में भागीदारी
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माताजी श्रीमती दुर्गा रणवा के साथ अभिलाषा रणवा
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Abhilasha Ranwa with Indi and Potali Bag
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External links
References
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