Baljit Singh Randhawa

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Major Baljit Singh Randhawa

Baljit Singh Randhawa (Major) (11.11.1934 - 17.05.1965) (Mahavir Chakra posthumous) became martyr on 17.05.1965 in Kargil sector before Indo-Pak War 1965. He was from Isapur village in tahsil Ajnala of Amritsar district in Punjab. Unit 4 Rajput Regiment.

मेजर बलजीत सिंह रंधावा

मेजर बलजीत सिंह रंधावा

11-11-1934 - 17-05-1965

महावीर चक्र (मरणोपरांत)

यूनिट - 4 राजपूत रेजिमेंट

ऑपरेशन रिडल

कारगिल सेक्टर का युद्ध

भारत-पाक युद्ध 1965

मेजर बलजीत सिंह रंधावा का जन्म 11 नवंबर 1934 को ब्रिटिश भारत के संयुक्त पंजाब में वर्तमान अमृतसर जिले के ईसापुर गांव में श्री आर.एस. रंधावा के घर में हुआ था। 14 दिसंबर 1958 को उन्हें भारतीय सेना की राजपूत रेजिमेंट की 4 बटालियन में सैकिंड लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन प्राप्त हुआ था। वर्ष 1965 तक वह मेजर के पद पर पदोन्नत हो चुके थे और उनकी बटालियन को जम्मू-कश्मीर के कारगिल सेक्टर में तैनात किया गया था।

यद्यपि, 1965 का भारत-पाक युद्ध वास्तविक रूप से 1 सितंबर 1965 को जब पाकिस्तानी सेना ने छंब सेक्टर पर आक्रमण किया तब आरंभ हुआ था, किंतु महीनों पूर्व से ही सीमा पर तनाव चल रहा था। जिसके परिणामस्वरूप नियंत्रण रेखा (LoC) पर अनेक झड़पें हुईं। 16/17 मई 1965 की रात्रि में मेजर बलजीत सिंह की कंपनी को कारगिल सेक्टर में शत्रु की एक स्थिति पर आक्रमण कर अधिकार करने का आदेश दिया गया।

मेजर बलजीत सिंह 17 मई 1965 की रात्रि 2:00 बजे सक्रिय हुए और अपने सैनिकों के साथ शत्रु की सुदृढ़ स्थिति पर आक्रमण किया। चूंकि उस स्थिति पर भारी पहरा था। राजपूत कंपनी भारी मोर्टार, लाइट मशीन गनों और लघु शस्त्रों के फायर में घिर गई। भयानक गोलीबारी से अविचलित मेजर बलजीत सिंह ने आगे हो कर अपने सैनिकों का नेतृत्व किया और लक्ष्य की चोटी पर अधिकार करने में सफल रहे।

इस कंपनी को और आगे बढ़ना था, किंतु शत्रु की एक लाइट मशीन गन पोस्ट से हो रही गोलीबारी कंपनी के आगे बढ़ने में बाधक बन रही थी। मेजर बलजीत सिंह ने अनुभूत किया कि अपने सैनिकों की क्षति टालने और कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए उस मशीन गन पोस्ट को निष्क्रिय करना आवश्यक है। अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा पर ध्यान नहीं देते हुए और साहसिक कार्रवाई में मेजर बलजीत सिंह ने उस लाइट मशीनगन पोस्ट पर आक्रमण किया।

इस भयानक प्रक्रिया में उन्हें अनेक गोलियां लगीं और वह गंभीर रूप से घायल हो गए। घातक घावों के उपरांत भी उन्होंने एक भी सैनिक को देखभाल के लिए अपने समीप नहीं रोका। वह अपने सैनिकों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हुए ही वीरगति को प्राप्त हुए।

मेजर बलजीत सिंह रंधावा ने अपने कर्तव्य की पालना में असाधारण साहस, प्रचंड वीरता, युद्ध की अडिग भावना एवं अनुकरणीय नेतृत्व का प्रदर्शन किया। उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।

शहीद को सम्मान

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स्रोत

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ


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