Dev Karan Singh Burdak

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Dev Karan Burdak

Dev Karan Singh Burdak (19.12.1982-19.02.2023) Naib Subedar became martyr on 19.02.2023 in Kargil area of Jammu and Kashmir. He was from Dhani Burdakan Kaliyasar village in Jhunjhunu tahsil in Jhunjhunu district of Rajasthan.

Unit: 15 Jat Regiment.

नायब सूबेदार देवकरण का परिचय

नायक सूबेदार देवकरण सिंह बुरड़क

19-12-1982 - 19-02-2023

वीरांगना - श्रीमती अंजू देवी

यूनिट - 15 जाट रेजिमेंट

ऑपरेशन रक्षक

नायक सूबेदार देवकरण सिंह का जन्म श्री बोईतराम बुरड़क के घर में हुआ था। वह राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र के झुंझुनूं जिले के कालियासर ग्राम पंचायत की [[Dhani Burdakan Kaliyasar]|ढाणी बुरकड़ान]] के निवासी थे। वर्ष 2002 में वह भारतीय सेना की जाट रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे। प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 15 जाट बटालियन में सिपाही के पद पर नियुक्त किया गया था। अपनी बटालियन में विभिन्न परिचालन परिस्थितियों और स्थानों पर सेवाएं देते हुए वह नायब सूबेदार के पद पर पदोन्नत हो गए थे।

वर्ष 2023 में नायब सूबेदार देवकरण सिंह 'ऑपरेशन रक्षक' में कारगिल क्षेत्र में 18 हजार फीट की ऊंचाई पर एक अग्रिम चौकी पर तैनात थे। वह अपने साथियों का उत्साहवर्धन करते हुए अत्यंत चौकसी के साथ सीमाओं की रक्षा कर रहे थे। अत्यधिक ऊंचाई पर अति कठोर जलवायु की स्थिति में आकस्मिक अत्यधिक हिमपात होने से 13 फरवरी 2023 को उन्हें श्वास लेने में समस्या हुई और वह अचेत हो गए।

उन्हें हेलिकॉप्टर द्वारा उपचार के लिए कारगिल के सैन्य चिकित्सालय में लाया गया तत्पश्चात हेलिकॉप्टर द्वारा उधमपुर स्थित सैन्य कमांड चिकित्सालय में स्थानांतरित किया गया। जहां उपचार के समय 19 फरवरी 2023 को वह वीरगति को प्राप्त हुए थे।


Source - Ramesh Sharma

झुंझुनू का शहीद देवकरन कारगिल में शहीद

Dev Karan Burdak

कारगिल में तैनात उपखण्ड क्षेत्र के ढाणी बुरड़कान, कालियासर निवासी सेना के जेसीओ देवकरण बुरड़क शहीद हो गए। चालीस साल के देवकरण करगिल क्षेत्र के हाडांगब्रक क्षेत्र में तैनात थे।

जहां पर भारी बर्फबारी के दौरान उनकी तबीयत 13 फरवरी को खराब हो गई थी। गंभीर हालत में सीएचसी उधमपुर लाया गया। जहां पर रविवार को उपचार के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली।

22 साल पहले हुए थे भर्ती: गांव के जयपाल सिंह ने बताया कि जेसीओ देवकरण बुरड़क करीब 22 साल पहले सेना के 15 जाट रेजिमेन्ट में भर्ती हुए थे। उनके पिता बोईतराम भी पूर्व सैनिक हैं। शहीद के बडे़ व छोटे भाई भी सेना में हैं। शहीद की शादी निराधनूं गांव की अंजू देवी से हुई। उनके दो बेटे हैं जो अभी पढाई कर रहे हैं।

ऑपरेशन रक्षक में थे तैनात: जेसीओ देवकरण बुरड़क करगिल क्षेत्र में सुपर एचएए बटालियन संप्रदाय में ऑपरेशन रक्षक में तैनात थे। ऑपरेशन के दौरान ऊंची पहाड़ी पर भारी मात्रा में बर्फबारी के दौरान तबीयत खराब हो गई थी।

शांत स्वभाव और मिलनसार थे: गांव के लोगों ने बताया कि जेसीओ देवकरण बुरड़क शांत स्वभाव एवं मिलनसार थे। जब भी गांव आते गांव की चौपाल पर गांव के लोगों के साथ घंटों बातचीत करते थे।

Source - patrika.com, Feb 20, 2023, by Santosh Trivedi

राजकीय सम्मान के साथ किया गया अंतिम संस्कार

झुंझुनूं में शहीद नायब सूबेदार देवकरण सिंह का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. नौ किलोमीटर तक युवाओं के साथ लगाए देवकरणसिंह अमर रहे के नारे लगाए.

झुंझुनूं के एक और जवान ने देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति दे दी है. मलसीसर उपखंड की कालियासर ग्राम पंचायत के ढाणी बुरकड़ान निवासी नायब सूबेदार देवकरण सिंह ने देश सेवा में शहादत दी है.जिनका आज राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया.इससे पहले ना केवल ग्रामीणों ने, बल्कि पास पड़ौस के युवाओं ने शहीद देवकरण सिंह के अंतिम दर्शन करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए.

नौ किलोमीटर निकाली लंबी तिरंगा यात्रा: साथ ही मलसीसर से लेकर उनके गांव तक, करीब नौ किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकाली.इस तिरंगा यात्रा में शहीद की पत्नी वीरांगना अंजू भी साथ रही.जिन्होंने अपने शहीद पति के अमर रहे के नारे लगाए.

कैसे हुई मौत: जानकारी के मुताबिक कारगिल में तैनात देवकरण सिंह को 13 फरवरी को सांस लेने में तकलीफ हुई थी.वे कारगिल की ऊंची पहाड़ी पर आपरेशन रक्षक के तहत ड्यूटी कर रहे थे.सांस लेने की तकलीफ होने पर उन्हें एयर लिफ्ट के जरिए मिलट्री अस्पताल कारगिल लाया गया.जहां पर उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ तो उन्हें हायर सेंटर मिलट्री अस्पताल उधमपुर भेजा गया.लेकिन वहां पर रविवार सुबह उनकी शहादत हो गई.

गांव पहुंचा पार्थिव देह: सोमवार 20.02.2023 को उनकी पार्थिव देह मलसीसर थाने पहुंची.जहां पर अपने शहीद पति की पार्थिव देह को लेने के लिए ग्रामीण और सैंकड़ों युवाओं के साथ वीरांगना अंजू भी पहुंची. उन्होंने ना केवल पार्थिव देह देखते हुए अपने शहीद पति के अमर रहे के नारे लगाए बल्कि मलसीसर से लेकर गांव ढाणी बुरडकान तक युवाओं के साथ भारत माता की जय और शहीद देवकरण सिंह अमर रहे के नारे लगाए. शहीद का पार्थिव देह उसके पेतृक गांव पहुंचने पर घर में परिवार के सदस्यों ने अंतिम दर्शन किए.वहीं ग्रामीणों ने भी अपने लाडले को अंतिम विदाई दी.

बेटों ने दी मुखाग्नि: शहीद देवकरण सिंह के दोनों बेटों निखिल और कुनाल ने मुखाग्नि दी.इस मौके पर सांसद नरेंद्र कुमार खीचड़, जिला कलेक्टर लक्ष्मण सिंह कुड़ी, एसपी मृदुल कच्छावा, ​मंडावा विधायक रीटा चौधरी व मलसीसर एसएचओ गोपालसिंह थालौड़ समेत अन्य अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी.वहीं पुलिस और सेना से आई टुकड़ी ने इससे पहले गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया.

पूरे रास्ते तिरंगे लेकर खड़े रहे बच्चे: मलसीसर से ढाणी बुरड़कान तक युवाओं ने बाइक तिरंगा रैली निकाली.वहीं पूरे रास्ते में स्कूली और गांवों के बच्चों के अलावा ग्रामीण महिलाएं, पुरूष हाथों में तिरंगा लेकर खड़े रहे.उन्होंने ना केवल देशभक्ति से ओत-प्रोत नारे लगाए.बल्कि कहा कि पूरे क्षेत्र को देवकरणसिंह की शहादत पर गर्व है.

मां-बाप ने सिर पर हाथ फेरा: वैसे तो वीरांगना अंजू मलसीसर से अपने साथ आई शहीद पति की पार्थिव देह लेकर ढाणी बुरकड़ान पहुंची.लेकिन घर में जब अंतिम संस्कार के कार्य किए जा रहे थे तो उन्होंने अपने हाथों की चूड़ियां और बिंदी आदि अपने पति को समर्पित किए.वहीं उन्होंने अपने पति से करीब एक मिनट तक अंतिम बात भी की.यह पल देखकर हर कोई भावुक हो गया.वहीं दोनों बेटों व परिवार के अन्य सदस्य बार-बार देवकरण सिंह की पार्थिव देह देखकर खुद को रोने से नहीं रोक पा रहे थे. पिता बोइतराम और मां लाडोदेवी ने भी अपने लाडले के सिर पर हाथ फेरा और उसे अंतिम विदाई दी.इस मौके पर वीरांगना अंजू ने कहा कि वे भारत मां के बेटे होने के साथ-साथ लाडो देवी के पुत्र ​थे.मेरे पति भी थे.लेकिन मेरे बेस्ट फ्रेंड भी वो ही थे.

कलेक्टर ने कहा, सरकार हमेशा परिवार के साथ खड़ी रहेगी: इस मौके पर कलेक्टर लक्ष्मण सिंह कुड़ी ने कहा कि पूरे जिले को आज दुख भी है तो गर्व भी है कि देश की रक्षा में एक और लाडले ने अपनी शहादत दी है.उन्होंने कहा कि वे राज्य सरकार की ओर से परिवार को आश्वस्त करते है कि ना केवल शहीद का जो भी निर्धारित पैकेज है.वो परिवार को दिया जाएगा.बल्कि हर सुख-दुख में सरकार और प्रशासन शहीद परिवार के साथ खड़ा रहेगा.एसपी मृदुल कच्छावा ने भी झुंझुनूं पुलिस और व्यक्तिगत रूप से वे उन्हें नमन करते है.साथ ही विश्वास दिलाते है परिवार के साथ झुंझुनूं पुलिस हमेशा खड़ी रहेगी.

10 दिन बाद आने वाले थे गांव: ग्रामीणों की मानें तो शहीद देवकरण सिंह 10 दिन बाद गांव आने वाले थे.अंतिम बार वे 26 सितंबर 2022 को गांव आकर गए थे. घर में उनकी वीरांगना पत्नी अंजू के अलावा 19 साल का बेटा निखिल तथा 15 साल का बेटा कुनाल है. निखिल 12वीं कक्षा में तो कुनाल 10वीं कक्षा में पढ़ता है. दोनों जयपुर में पढाई कर रहे है. शहीद देवकरण सिंह का परिवार पिछले दो सालों से जयपुर में रहता है. शहीद देवकरण ने वर्ष 2000 में आर्मी जॉइनिंग की थी. देवकरण तीन भाइयों में दूसरे नंबर के थे. उनके बड़े भाई संजय सिंह भी आर्मी से रिटायर है. फिलहाल डीएससी आर्मी में कार्यरत है.जबकि छोटा भाई अनिल वर्तमान में आर्मी में तैनात है.शहीद के माता पिता गांव में ही रहते है.पिता बोइतराम भी आर्मी से रिटायर है.बड़ा भाई झुंझुनूं में रहता है, जबकि छोटे भाई अनिल का परिवार माता पिता के साथ गांव में ही रहता है.

Source - Sandeep Kedia, zeenews.india.com, 20.02.2023

शहीद को सम्मान

बाहरी कड़ियाँ

चित्र गैलरी

संदर्भ


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