Jat Jan Sewak/Editorial

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पुस्तक: रियासती भारत के जाट जन सेवक, 1949, पृष्ठ: 580

संपादक: ठाकुर देशराज, प्रकाशक: त्रिवेणी प्रकाशन गृह, जघीना, भरतपुर

संपादकीय वक्तव्य

[p.i]:

चूँकि राजस्थानी जाट जागृति में मैंने सक्रिय भाग लिया है। इसलिए वहां की गतिविधियों में साझीदार होने से अपनी रुचि तो उन घटनाओं के साथ आरम्भ से ही जुड़ी हुई है। एक कौम परस्त आदमी अपनी कौम के लिए जो कुछ कर सकता है वह भी मैंने किया है। एक लेखक के नाते मेरा यह भी कर्तव्य था कि मैं राजस्थान की आधुनिक जागृति को लेखबद्ध कर दूँ और उसे प्रकाशित कराकर चिरस्मरणीय बना दूं। इसी कर्तव्य में प्रेरित होकर मैंने इस पुस्तक को तैयार करने का संकल्प किया। किंतु सूदूर तक फैले हुए उन भाइयों के जीवन परिचयों का संग्रह करना मेरे अकेले के लिए कठिन था। जिन्होंने राजस्थान में जागृति पैदा करने के लिए और गहरी निद्रा में सोई हुई अपनी कौम को जगाने के लिए अनेक कष्ट सहे हैं और अपने जीवन के अमूल्य समय को इधर खर्च किया है।

पुस्तक तैयार करने में सहयोगी

अतः इस पुस्तक को तैयार करने में खासतौर से जीवन रेखाएं खींचने (लिखने) में अनेकों मित्रों से सहयोग लिया गया है। कुछ जीवन परिचय मैंने भी लिखें जो जीवन परिचय


[p.ii]:

मैंने लिखे हैं वे पहचाने जा सकते हैं क्योंकि मैंने उनमें अपने मिलने और उनसे जानकारी होने के समय और अवसरों का जिक्र किया है।

इस पुस्तक में शामिल शेखावाटी के वृतांत मास्टर फूल सिंह सोलंकी ने लिखे हैं। सीकर के कार्यकर्ताओं के जीवन परिचयों की रूपरेखा मास्टर कन्हैया लाल जी महला ने तैयार की है। खंडेलावाटी के बारे में ठाकुर देवासिंह बोचल्या और कुँवर चन्दन सिंह बीजारनिया का सहयोग है। बीकानेर के पुराने कार्यकर्ताओं एवं नेताओं के जीवन चरित्र चौधरी हरीश चंद्र नैन की कृपा से और तरुण कार्यकर्ताओं तथा नेताओं के परिचय की चौधरी कुंभाराम आर्य द्वारा लिखाये गए फुटनोटों के आधार पर लिखे गए हैं।

जोधपुर के महारथियों और कार्यकर्ताओं के संबंध में मूलचंद जी सिहाग और मास्टर रघुवीर सिंह से जो कुछ भी प्राप्त हुआ और मारवाड़ (सन् 1946) के दौरे के समय जो भी अपने लिए मालूम हुआ उसके आधार पर तमाम सामाग्री तैयार की गई है।

अजमेर मेरवाड़ा के परिचय अधिकांश में मास्टर सुआलाल जी सेल के लिखे हुये हैं।

अलवर के कुछ जीवन परिचय मेरे (ठाकुर देशराज) लिखे हुये हैं। हालांकि इनके संबंध में कुछ जानकारी का आधार


[p.iii]:

नानकराम जी ठेकेदार हैं। भरतपुर के अनेकों जीवन परिचय पंडित हरीशचंद्र जी द्वारा लिखे हैं।

जाट जागृतियों का इतिहास

पहले सिर्फ राजस्थान की जाट जागृति के बारे में ही पुस्तक प्रकाशित कराने का इरादा था किंतु शेष भारतीय रियासतों की जागृतियों का इतिहास छुटा जाता था। उसे सहज ही प्रकाश में लाने का अवसर जाने कब हाथ आता। इसलिए यह आवश्यक समझा गया की तमाम रियासतों के जाटों की आधुनिक काल की जागृति पर प्रकाश डाल देना उचित होगा। अतः इस पुस्तक में पंजाब, मध्य भारत और बुंदेलखंड की रियासतों के जाटों की आधुनिक गतिविधियों का भी संक्षिप्त इतिहास दे दिया गया है।

जींद और लोहारू की रियासतों के बारे में सामग्री जुटाने में श्री निहालसिंह जी तक्षक से काफी सहायता मिली है।

बुंदेलखंड और मध्य भारत के जीवन परिचय लिखने में श्री भ्रमरसिंह जी बीए और ठाकुर भूपसिंह जी से सहयोग मिला है।

उत्तर भारत की तमाम रियासतों में जो भी जाट प्रगति हुई उनके बारे में आरंभ से दिलचस्पी रखने के कारण मेरे पास काफी सामग्री अखबारों, पंपलेट और ततसंबंधित साहित्य की थी। उससे बहुत दूर तक इस पुस्तक में संग्रहित कर दिया गया है।

पुस्तक में जीवन परिचय के हिसाब से कुछ असंबद्धता भी है यह सिर्फ इसलिए कि कुछ सज्जनों के परिचय हमें


[p.iv]

काफी पीछे मिले हैं।

यह भी संभव है कि अनेक पुरुषों के जीवन परिचय इस पुस्तक में जाने से रह गए हो किंतु इसमें मेरा दोष नहीं है और न मेरे सहयोगियों का है। ऐसी भूल अजानकारी से हुई होगी।

कड़वी सचाई

यह कड़वी सचाई मुझे लिखनी पड़ती है कि जाट कौम में साहित्यिक रुचि नहीं है इसलिए उन्हें अपने कारनामे लेखबद्ध कराने व देखने की उत्सुकता ही नहीं है। किन्तु मैं समझता हूं कि इस प्रकार की गलती ने उनके दर्जे को घटाया ही है। अतः लोगों की इस ओर विशेष रुचि न होते हुये भी लेखक को यह पुस्तक लिखानी पड़ी है।

एक समय आएगा जब यह पुस्तक हमारे गौरव को बढ़ाने में सहायक होगी और इस जमाने के लोगों की व हमारी भावी पीढ़ी में उत्साह और प्रेरणा पैदा करने का काम देगी। आने वाली संतान अपने उन पूज्यों को सराहेगी जिन्होने इस जमाने में कुछ काम किया है।

रियासती जाटों की प्रगतियों का यह वैसा ही एक इतिहास है जैसा बारडोली के सत्याग्रह, जलियांवाला बाग आदि का इतिहास है।


देशराज

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